उम्मीद पर जिंदगी कायम है..
विभिन्न जिलों से कोरोना के मरीज मेडिकल कालेज में इलाज की उम्मीद लिए पहुंच र
मेरठ,जेएनएन। विभिन्न जिलों से कोरोना के मरीज मेडिकल कालेज में इलाज की उम्मीद लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन अब हालात ऐसे हो चले हैं कि भर्ती और मौत का अंतर कम होता जा रहा है। कुछ इलाज के दौरान तो कुछ इलाज की आस में मेडिकल की चौखट पर दम तोड़ रहे हैं। वहीं, कई को उपचार भी मिल रहा है।
वार्ड पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ा
मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड में रविवार को ऐसे ही एक मरीज को गाजियाबाद से लाया गया लेकिन कोविड वार्ड तक पहुंचते-पहुंचते उसने दम तोड़ दिया। स्वजन जिस एंबुलेंस से आए थे उसी से जीवन का सबसे बड़ा दुख लिए लौट गए।
दिल्ली से आए और बैरंग लौटे
दिल्ली के भजनपुरा में रहने वाले उत्तम सिंह 15 दिन से कोरोना से पीड़ित हैं। आक्सीजन कम होने लगी तो वह दिल्ली के कई अस्पतालों में चक्कर काटते हुए जीटीबी अस्पताल पहुंचे लेकिन वहां जगह ही नहीं थी। किसी ने मेरठ आने की सलाह दी। यहां भी कई अस्पतालों में बेड व आक्सीजन न मिलने पर मेडिकल कालेज पहुंचे। यहां भी बेड न मिला तो थक-हारकर दिल्ली लौट गए।
इमरजेंसी में भी महेश को न मिला सहारा
टीपीनगर के महेश कुमार को उनके स्वजन हालत बिगड़ने पर मेडिकल अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां स्ट्रेचर नहीं मिला तो स्वजन ने गोद में उठाकर इमरजेंसी वार्ड तक पहुंचाया। वहां भी आक्सीजन नहीं मिल सकी। आखिरकार उन्होंने दूसरे अस्पतालों का रुख किया।
नैना को भर्ती कराने में नम हो गई आंखें
एल-ब्लाक शास्त्रीनगर की रहने वाली नैना को मेडिकल कालेज में भर्ती कराने के लिए स्वजन को हर जतन करना पड़ा। गंभीर हालत में स्वजन नैना को मेडिकल लेकर पहुंचे। वहां स्ट्रेचर नहीं मिला तो कुर्सी पर ही बिठाकर लेकर गए। नैना की स्थिति देख उन्हें भर्ती कर लिया गया।
ब्रजपाल को मिली जीवन की उम्मीद
कसेरूखेड़ा के रहने वाले बुजुर्ग ब्रजपाल को भी स्वजन रविवार को मेडिकल इमरजेंसी लेकर आए। इससे पहले वे कई अस्पतालों के दरवाजे खटखटा चुके थे। गंभीर हालत देखते हुए अस्पताल में उन्हें आक्सीजन दी गई।