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शहर की लाइफलाइन पर 'जिदंगी' जाने का डर..यहां संकेतक न रिफलेक्टर

सुबह-शाम कोहरे की चादर छाने लगी है। आने वाले दिनों में दृश्यता और भी कम हो जाएगी। नवीनीकरण होने के बाद बिजली बंबा बाईपास पर हादसे होने की आशंका कई गुना बढ़ गई है। यहां कार्य अधर में लटका है और अफसर खामोशी की चादर ओढ़े बैठे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 10:00 AM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 10:00 AM (IST)
शहर की लाइफलाइन पर 'जिदंगी' जाने का डर..यहां संकेतक न रिफलेक्टर
शहर की लाइफलाइन पर 'जिदंगी' जाने का डर..यहां संकेतक न रिफलेक्टर

मेरठ । सुबह-शाम कोहरे की चादर छाने लगी है। आने वाले दिनों में दृश्यता और भी कम हो जाएगी। नवीनीकरण होने के बाद बिजली बंबा बाईपास पर हादसे होने की आशंका कई गुना बढ़ गई है। यहां कार्य अधर में लटका है और अफसर खामोशी की चादर ओढ़े बैठे हैं। रात तो क्या, बाईपास पर दिन में भी चलना खतरे से खाली नहीं है।

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बिजली बंबा बाईपास को शहर की लाइफलाइन माना जा रहा है। राइट्स लिमिटेड कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार, बाईपास से रोजाना 45800 वाहन आवागमन करते हैं। कोहरे के कारण जिन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जर्जर हो चुके बाईपास का पांच दिसंबर से नवीनीकरण प्रारंभ हुआ था। 13 दिसंबर को लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने इस पर यातायात को हरी झंडी दे दी, परंतु अभी तक इसकी फिनिशिंग नहीं की गई है। आधे-अधूरे कार्य के साथ यहां छोटी-छोटी दुर्घटनाएं रोजाना हो रही है। शायद, लोनिवि को किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार है।

बढ़ गया सड़क का झुकाव, नीचे उतरेंगे वाहन

नवीनीकरण के बाद सड़क का झुकाव दोनों ओर बढ़ गया है। कोहरे के कारण रात में दृश्यता इतनी कम हो जाती है कि रास्ता तक नहीं दिखाई देता। यहां पर सड़क के बीच व बराबर में सफेद पट्टी के अलावा एक भी साइन बोर्ड, सफेद पट्टी, संकेतक और रिफलेक्टर आदि नहीं लगाया गया है, जिससे रास्ते की पहचान हो सके। वाहन चालकों को धुंध में पता ही नहीं चलता कि वह कब सड़क से नीचे उतर जाते हैं।

1.5 खर्च के बाद अफसर बोले, बजट ही नहीं

करीब 7.5 किमी लंबे बाईपास पर 1.5 करोड़ की लागत से तारकोल-कंक्रीट की एक लेयर बिछाई गई है। सड़क को दो लेन में बांटने के लिए मिडिल लाइन बनाई जानी थी। कई जगह जेब्रा क्रासिंग व अन्य संकेतक बनाने के दावे किए गए, परंतु अभी तक एक भी काम नहीं किया गया। रिफलेक्टर के लिए तो लोनिवि अधिकारियों ने बजट नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया।

कई जगह विद्युत पोल ही नहीं

रात में प्रकाश व्यवस्था के लिए बाईपास पर कई जगह विद्युत पोल ही नहीं है। कई स्थानों पर लाइट खराब है। नगर निगम का इस ओर कोई ध्यान ही नहीं है।

50 मीटर में नहीं हुआ काम

पीडब्ल्यूडी एई केएस राजोरा के मुताबिक, जुर्रानपुर फाटक के पास करीब 200 मीटर बाईपास पर काम नहीं हो सका। जुर्रानपुर के चरण सिंह समेत दो किसानों ने मुआवजे की मांग को लेकर काम नहीं होने दिया। एमडीए ने उनकी भूमि अधिग्रहीत की थी। इसके बाद लोनिवि ने उस पर सड़क बना दी। उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया है। जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, वह काम नहीं होने देंगे। उनकी मांग है कि सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा दिया जाए, जबकि लोनिवि 2014 में हुए करार के बाद 28 लाख रुपये देने को राजी है। इस समस्या का भी कोई हल नहीं तलाशा जा सका है।

विभागों में नहीं है आपसी तालमेल

बाईपास पर हादसों का खौफ गहराने लगा है, लेकिन लोगों का सफर सुरक्षित बनाने के लिए सरकारी तंत्र गंभीर नहीं है। पीडब्ल्यूडी, नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस के बीच तालमेल की बेहद कमी है। यही वजह है कि तमाम कार्य अभी अधर में लटके हैं।

इन्होंने कहा--

बाईपास पर फिनिशिंग का काम बहुत जल्द कराया जाएगा। जो किसान अड़ंगा लगा रहे हैं उन्होंने पहले सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजे की हामी भर दी थी। अब वह सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा मांग रहे हैं। इसलिए वहां काम नहीं हुआ। शीर्ष अधिकारियों को इस बाबत बताया गया है। रिफलेक्टर के लिए बजट नहीं है।

प्रताप सिंह, एक्सईएन, लोनिवि शहर की सभी स्ट्रीट लाइटों का टेंडर ईईएसएल के पास है। बिजली बंबा बाईपास पर लाइट खराब है तो संबंधित कंपनी को पत्राचार किया जाएगा।

जितेंद्र केन, चीफ इंजीनियर, नगर निगम बाईपास पर संकेतक और रिफलेक्टर की जरूरत है। लोनिवि से इस बाबत बात कर जल्द समस्या का समाधान तलाशा जाएगा।

संजीव कुमार बाजपेयी, एसपी यातायात


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