मेरठ में पति और पत्नी के मर्डर के छह आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा
Life imprisonment दिसंबर 2011 में हुई पति और पत्नी की हत्या के मामले में अपर जिला जज ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की सुनवाई के बाद छह आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में इंचौली थाने में केस दर्ज कराया गया था।
मेरठ, जागरण संवाददाता। मेरठ में अपर जिला जज कोर्ट संख्या -14 अजय पाल सिंह ने हत्या के आरोप में मंटू पुत्र भोपाल, सोहन वीर पुत्र कदम, सुरेंद्र पुत्र अमर, सुंदर पुत्र बलदेवा, संजय पुत्र नरेश व रवि उर्फ काला पुत्र ईश्वर पाल को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और पांच-पांच हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
दिसंबर 2011 का मामला
एडीजीसी क्रिमिनल प्रेरणा वर्मा के मुताबिक वादी दुष्यंत ने इंचौली थाने में एक मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें उन्होंने बताया था कि वह अपने परिवार के साथ ग्राम नंगला में ईंट पथाई का काम कर रहे थे। 6 दिसंबर 2011 में सुधीर को गांव में ही रहने वाला सुंदर पाल अपने साथ ले गया गया था। सुंदर ने अपने साथियों संग मिलकर सुधीर की हत्या के बाद उसकी पत्नी जोशी की हत्या कर दी थी। पुलिस जांच में सभी आरोपितों के नाम प्रकाश में आए थे। जिसके बाद उन्हें दबोच लिया गया। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के बीच हुई बहस के बाद न्यायाधीश ने दोषियों को सजा सुनाई।
टाल से लकड़ी उठाने को लेकर खूनी संघर्ष, कई घायल
मेरठ : टाल से लकड़ी उठाने का विरोध करने पर दो पक्ष आमने सामने आ गए, जिसमें कई लोग घायल हो गए। सूचना पर पहुंची दो थानों की फोर्स सीमा विवाद में उलझ गई। दोनों पक्षों ने अलग-अलग थाने में तहरीर दी है। लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र की मदीना कालोनी निवासी सलमान कार चलाता है। बताया गया कि सोमवार रात वह कहीं से आ रहा था तो नूरनगर में एक टाल से वह लकड़ी उठाने लगा। तभी ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र निवासी सुंदर और विजय आ गए।
घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया
उन्होंने विरोध किया तो दोनों पक्षों में कहासुनी होने लगी। इस दौरान मदीना कालोनी निवासी जुबैर भी आ गया। उसने भी समझाने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी। मारपीट की सूचना पर दोनों ओर से लोग एकत्र हो गए और लाठी-डंडे चलने लगे। सूचना पर लिसाड़ी गेट और ब्रह्मपुरी की पुलिस पहुंची और मामले को शांत कराते हुए घायलों को जिला अस्पताल भेज दिया। इसके बाद दोनों थानों की पुलिस सीमा विवाद में उलझ गई। जुबैर के पिता सरफराज ने लिसाड़ी गेट तो विजय ने ब्रह्मपुरी थाने में तहरीर दी है।