बुवाई में देरी से गेहूं की पैदावार हो सकती है प्रभावित, जानिए क्या कहते हैं प्रोफेसर Meerut News
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा. आर एस सेंगर ने बताया कि किसी भी फसल की सही समय पर बुवाई अति आवश्यक है यदि किसी कारण से बुआई में देरी हो जाए तो फसल उत्पादन पर खर्चा तो उतना ही जाता है।
मेरठ, जेएनएन। मेरठ में कृषि ही आजीविका का मुख्य साधन है लगातार हो रहे अनुसंधान और नई किस्मों के आने से कृषि के स्तर में विकास हुआ है, लेकिन अब किसानों को खाद बीज दवाइयों कृषि औजारों पानी बिजली आदि पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है। खेती किसान के लिए मुनाफे का पेशा नहीं बन पा रहा है।
सही समय पर बुवाई जरूरी
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा. आर एस सेंगर ने बताया कि किसी भी फसल की सही समय पर बुवाई अति आवश्यक है यदि किसी कारण से बुआई में देरी हो जाए तो फसल उत्पादन पर खर्चा तो उतना ही जाता है लेकिन पैदावार जरूर कम हो जाती है। गेहूं की देरी से बुवाई करने पर चार किलोग्राम प्रति दिन प्रति बीघा की दर से पैदावार में कमी देखी गई है। अगेती और पछेती किस्मों का भी ध्यान रखना चाहिए। वर्षा नहीं होने पर यदि बुआई में देरी हो जाए तो पछेती किस्म लगा कर पूरा लाभ लिया जा सकता है।
प्रमाणित बीजों का प्रयोग करें
बीजों की पारंपरिक विधि को छोड़कर किसान प्रमाणित बीज का ही प्रयोग करें बीज को दो से तीन ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार कर लें इससे कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है नर्सरी डालने से पहले नर्सरी का उपचार अवश्य कर लें ज्यादातर बीमारियां और कीड़े नर्सरी से फैलते हैं लगाते समय यह ध्यान रखें कि वे रोगी ना हो और उपचारित करके ही पौधों की रोपाई करें यदि नर्सरी अच्छी होगी तो निश्चित रूप से फसल भी अच्छी होगी।