Move to Jagran APP

अभी NHAI की नहीं है मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे की जमीन, जानिए क्‍यों Meerut News

केंद्र और प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे के निर्माण में हालांकि कुछ विलंब हो रहा है लेकिन इसके बावजूद इसे जल्द पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 11:27 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 11:27 AM (IST)
अभी NHAI की नहीं है मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे की जमीन, जानिए क्‍यों Meerut News
अभी NHAI की नहीं है मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे की जमीन, जानिए क्‍यों Meerut News

मेरठ, जेएनएन। केंद्र और प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे के निर्माण में हालांकि कुछ विलंब हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद इसे जल्द पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। डासना से मेरठ के बीच चतुर्थ चरण के लगभग 38 किमी के ग्रीनफील्ड संरेखण को अब 31 मई तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी बीच चौंकाने वाली जानकारी यह सामने आई है कि एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहीत की गई लाखों मीटर भूमि मुआवजा दे दिए जाने के बाद भी अभी तक किसानों के नाम ही दर्ज है। दस्तावेजों में उसे सरकार के नाम दर्ज नहीं किया गया है। एनएचएआइ के पीडी ने इस संबंध में जिला प्रशासन को पत्र भेजकर जमीन की खरीद फरोख्त की आशंका जताई है।

loksabha election banner

सात साल में कुल चार बार गजट

मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे के लिए एनएचएआइ ने वर्ष 2012 से अभी तक कुल चार बार भूमि अधिग्रहण का गजट जारी किया। पहला गजट 29 अक्टूबर 2012 को हुआ। जिसमें तीन गांवों की लगभग 10,500 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण किया गया। दूसरा गजट 14 सितंबर 2016 को हुआ। इसमें काशी गांव की 31,745 मीटर जमीन का अधिग्रहण हुआ। तीसरा गजट 01 फरवरी 2019 को हुआ। इसमें पांच गांवों की 64,000 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण किया गया। अंतिम गजट 22 जून 2019 को तीन गांवों की लगभग 5600 मीटर जमीन का किया गया।

मुआवजा दे दिया, एक इंच जमीन नाम नहीं

चूंकि प्रोजेक्ट केंद्र और प्रदेश सरकार दोनों की प्राथमिकता वाला है लिहाजा इसके लिए मुआवजा वितरण करने और भूमि पर कब्जा लेकर काम शुरू करने में किसी भी स्तर से कोताही नहीं की गई। लगभग सौ फीसद भूमि का मुआवजा किसानों को दे दिया गया अथवा किसानों के आपसी पारिवारिक विवाद की स्थिति में पैसा कोर्ट में जमा करा दिया गया। लेकिन मुआवजा देने में कोई विलंब नहीं किया गया। शायद यही कारण रहा कि गाजियाबाद में चार गांवों में मुआवजा के नाम पर करोड़ों का गबन भी कर लिया गया। इसमें कार्रवाई का सिलसिला जारी है। हाल ही में चौंकाने वाली नई जानकारी यह मिली है कि इस भूमि में एक इंच भी भूमि अभी तक सरकार के नाम नहीं दर्ज की जा सकी है।

परियोजना निदेशक ने भेजा पत्र

मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे का निर्माण एनएचएआइ की गाजियाबाद इकाई कर रही है। परियोजना निदेशक राकेश प्रकाश सिंह ने जिला प्रशासन को इस संबंध में पत्र भेजकर बताया है कि अधिग्रहीत की गई भूमि पर सरकारी राजस्व दस्तावेजों में (भारत के राष्ट्रपति द्वारा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रलय, भारत सरकार नई दिल्ली) के नाम दर्ज किया जाता है। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा भी इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। ताकि जमीन की खरीद फरोख्त न की जा सके। खरीद फरोख्त की स्थिति में परियोजना पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उन्होंने योजना की भूमि का तुरंत अमल दरामद कराने की मांग की है।

एडीएम की तैनाती, अब होगा अमल दरामद

दरअसल, मेरठ में अपर जिलाधिकारी भूमि अध्याप्ति का पद सेवानिवृति के कारण लंबे समय से रिक्त चल रहा है। यही कारण है कि भूमि पर नाम दर्ज नहीं हो सका है। अब शासन ने इस पद पर तैनाती कर दी है। लिहाजा माना जा रहा है कि अब यह कार्य जल्द हो जाएगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.