Delhi-Meerut Expressway: श्रमिकों की कमी ने घटाई एक्सप्रेस-वे की रफ्तार
बाधाओं से घिरे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की रफ्तार फिर कम हो गई है। इस बार कारण है श्रमिकों की कमी।
मेरठ, जेएनएन। बाधाओं से घिरे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की रफ्तार फिर कम हो गई है। इस बार कारण है श्रमिकों की कमी। करीब 32 किमी लंबे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे (मेरठ-डासना प्रोजेक्ट) पर 1400 के बजाय सिर्फ 500 श्रमिक ही काम कर रहे हैं। बाकी श्रमिक कब आएंगे और कितने आएंगे, इसके बारे में कोई नहीं जानता। श्रमिकों की कमी से असमंजस में जूझ रहा एनएचएआइ भी अपना नया लक्ष्य तय नहीं कर पा रहा है।
यह हाल तब है कि जब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हर हाल में इस मार्ग के इसी बरस दिसंबर के पहले पूरा होने का वादा कर चुके हैं। बहरहाल, एनएचएआइ (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) को उम्मीद है कि परिस्थितियां जल्द सामान्य हो जाएंगी और श्रमिकों को बुला लिया जाएगा। 82 किमी लंबे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का 32 किमी हिस्सा मेरठ से डासना तक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे कहलाता है। इस हिस्से को पूरा करने के लिए खास मशक्कत चल रही है। इसके पूरा होते ही मेरठ से दिल्ली की दूरी कम हो जाएगी।
इसे पूरा करने का लक्ष्य बार-बार बदला जा रहा है। कभी किसानों के जमीन मुआवजा प्रकरण ने काम रुकवाया तो कभी बारिश ने। कभी एनसीआर में फैले स्मॉग ने और अब लॉकडाउन ने। इस बार के हालात अलग हैं। कोरोना के प्रकोप के चलते इस प्रोजेक्ट में जुटे 900 श्रमिक अपने घर चले गए। ये श्रमिक विभिन्न प्रदेशों के हैं, 400 श्रमिक प्लांट में ही रुके हुए थे और करीब 100 श्रमिक आसपास के गांवों से हैं। कार्यदायी कंपनी के अधिकारियों-कर्मचारियों व ठेकेदारों ने श्रमिकों से संपर्क किया है। कर्मचारियों ने वापस आने का भरोसा तो दिया है, लेकिन कब आएंगे, इस बारे में श्रमिक भी कुछ स्पष्ट नहीं कर सके। श्रमिकों के इस जवाब से एनएचएआइ अपना नया लक्ष्य घोषित करने की स्थिति में नहीं है। इस महीने के अंत तक श्रमिकों की स्थिति देखकर नया खाका तैयार होगा। उतारीं मशीनें, बारिश तक बहुत कुछ एक्सप्रेस-वे के लिए मिट्टी से संबंधित कार्य बारिश से पहले कर लेने का लक्ष्य रखा गया है।
यही नहीं इससे पहले गिट्टी व सीमेंटेड ट्रीटमेंट का काम कर लिया जाएगा। इसके बाद बरसात में भी काम चलता रहेगा। स्ट्रक्चर के दोनों तरफ मिट्टी भराव के बाद गिट्टी के काम को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि बरसात में मशीनें और वाहन खेतों के रास्ते नहीं लाने पड़ें। इंजीनियरों की तकनीकी भाषा में इसे ग्रेवल व सीटीएसबी कार्य कहते हैं। यह तारकोल की परत डालने से पहले किया जाता है। इन सब काम को तेजी से करने के लिए शनिवार से भारी-भरकम मशीनें उतार दी गईं।
यह है काम की स्थिति -69 फीसद हुआ है अब तक काम -18 किमी डाली जा चुकी है तारकोल की परत -05 किमी हिस्से पर डाली जा चुकी है अंतिम परत भी 37 किमी तक लगाए जा चुके हैं क्रैश बैरियर -डासना में एलिवेटेड स्ट्रक्चर, रेलवे ओवरब्रिज, परतापुर इंटरचेंज व ओवरब्रिज का काम शेष । -27 मई से डासना में रेलवे ओवरब्रिज पर रखे जाएंगे गर्डर -16 प्वाइंटस पर चल रहा है काम।
इन्होंने कहा
एक्सप्रेस-वे पर प्रशिक्षित श्रमिक काम करते हैं। उनके स्थान पर आसानी से श्रमिक नहीं मिलते। श्रमिकों की कमी के चलते प्रोजेक्ट के बारे में कहना थोड़ा मुश्किल है। श्रमिकों के लौटने के बाद नए सिरे से लक्ष्य तय किए जाएंगे। बारिश से पहले मिट्टी संबंधित कार्य करने का लक्ष्य है।
- मुदित गर्ग, डीजीएम, एनएचएआइ