हम जानते हैं अपनों को खोने का दर्द, प्लीज बचकर रहें
कोई मेरे पिता को लौटा दीजिए मेरा सब कुछ ले लीजिए लेकिन मेरा परिवार मुझे लौटा दीि
मेरठ,जेएनएन। कोई मेरे पिता को लौटा दीजिए, मेरा सब कुछ ले लीजिए लेकिन मेरा परिवार मुझे लौटा दीजिए। किसी तरह से मैंने पापा को रेमडेसिविर की दो डोज भी लगवा दी थी लेकिन कोरोना ने मेरे पिता को फिर भी नहीं छोड़ा। आखिर उनकी सासें रोक ही दी। ऐसे ही लफ्ज सूरजकुंड श्मशान घाट में आखों में आसू का सैलाब ला रहे हैं। पिछले 15 दिनों में कई परिवारों को कोरोना तबाह कर चुका है। सोमवार को एक चिकित्सक बेटी ने नम आखों से अपने पिता का मुखाग्नि देकर संतान होने का फर्ज निभाया। इसी तरह से एक बेटा अपनी मा की धधकती चिता के सामने बैठकर कोरोना वायरस और लचर हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था को कोसता नजर आया। ऐसे दृश्य देख सूरजकुंड श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करा रहे पुरोहितों की भी आखें नम हो गईं। चिकित्सक बेटी ने दी कर्नल पिता को मुखाग्नि
मेडिकल थाना क्षेत्र के मोती प्रयाग कालोनी निवासी सेवानिवृत्त कर्नल वीके शर्मा अपने हंसते खेलते परिवार के साथ रहते थे। उनकी पत्नी वीना शर्मा भी मेडिकल कालेज से सेवानिवृत्त थीं। एक बेटी पूर्वा, वह भी चिकित्सक हैं। कोरोना वायरस ने वीके शर्मा और उनकी पत्नी वीना शर्मा को चपेट में ले लिया। हालत बिगडे पर उन्हें आर्मी हास्पिटल में भर्ती कराया गया। उधर, उनकी पत्नी को होम आइसोलेशन पर रखा गया। चिकित्सक बिटिया अपने माता-पिता की देख-रेख कर रही थी। रविवार देर शाम उपचार के दौरान वीके शर्मा जिंदगी की जंग हार गए। सूरजकुंड श्मशान घाट पर नम आखों से चिकित्सक बिटिया ने जब अपने पिता को मुखाग्नि दी, देखने वालों की आखें नम हो गईं। संजीवनी देने के बावजूद नहीं बचे पिता
लालकुर्ती थाना क्षेत्र के बेगमबाग निवासी पारस एबर्ट स्वजन संग रहते हैं। वह दवा कारोबारी हैं। करीब दो सप्ताह पहले उनके पिता इंद्रजीत एबर्ट को हल्की खासी हुई थी। कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आई, जिसके बाद जाच कराने पर परिवार के अन्य लोगों की रिपोर्ट भी पाजिटिव आ गई। हालाकि उन्होंने धैर्य रखा व मुश्किल घड़ी में परिवार को संभाला और समय पर उपचार शुरु कर दिया। इसका नतीजा यह रहा की परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ हो गए लेकिन शुक्रवार को उनके पिता इंद्रजीत की हालत अचानक बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें आनंद अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस दौरान कोरोना की संजीवनी रेमडेसिविर की दो डोज भी लगवा दी गई। उसके बाद भी चिकित्सक इंद्रजीत को बचा नहीं सके। धधकती चिता के सामने पारस एबर्ट बस यही कहते रहे, मुझसे सब कुछ ले लो मगर मेरा परिवार मुझे लौटा दो। पहले पिता, बाद में बेटी ने तोड़ा दम
गढ़ रोड स्थित अजंता कालोनी निवासी मंजू सागर पत्नी जितेंद्र सागर व उनके दो बेटे राजा व अनुभव और एक बेटी ड्क्षट्वकल के साथ रहती थीं। कोरोना के कहर से उनका परिवार भी नहीं बच सका। वायरस ने अपनी चपेट में पूरे परिवार को ले लिया। बेटी को कोरोना वायरस होने की सूचना मिलते ही मंजू के पिता बह्म ड्क्षसह ने सदमे में दम तोड़ दिया। पिता की मौत के अगले ही दिन मंजू ने भी दम तोड़ दिया। कोरोना पाजिटिव होने की वजह से परिवार के अन्य लोग अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सके। अनुभव ने ही अपनी मा का अंतिम संस्कार किया।