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सरल पूरक रेचक प्राणायाम कर शरीर को रखें आक्सीजनयुक्त

कोरोना काल में फेफड़ों को आक्सीजन से परिपूर्ण रखने के लिए आवश्यक है कि फेफड़ों के ऊपरी चैंबर के साथ निचले चैंबर को भी अधिक से अधिक कार्बन डाइ आक्साइड से मुक्त रखा जाए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 04:33 AM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 04:33 AM (IST)
सरल पूरक रेचक प्राणायाम कर शरीर को रखें आक्सीजनयुक्त
सरल पूरक रेचक प्राणायाम कर शरीर को रखें आक्सीजनयुक्त

मेरठ, जेएनएन। कोरोना काल में फेफड़ों को आक्सीजन से परिपूर्ण रखने के लिए आवश्यक है कि फेफड़ों के ऊपरी चैंबर के साथ निचले चैंबर को भी अधिक से अधिक कार्बन डाइ आक्साइड से मुक्त रखा जाए, जिससे सामान्य सास की तुलना में ज्यादा से ज्यादा मात्रा में आक्सीजन को अवशोषण करने के लिए फेफड़ों में सामान्य से अधिक स्थान उपलब्ध हो सके। यह कहना है योग विज्ञान संस्थान के योग शिक्षक सुनील सैन का। उन्होंने बताया कि इसके लिए सरल पूरक रेचक प्राणायाम उपयोगी सिद्ध हो सकता है। हमारे शरीर में फेफड़ों में मधुमक्खी के छत्ते की तरह छोटी-छोटी संरचना होती हैं, जो आपस में एक पतली परत (जिसमें रक्त रहता है) से जुड़े रहते हैं। पूरक रेचक प्राणायाम से शरीर में आठ गुना अधिक मात्रा में आक्सीजन फेफड़ों की सबसे सूक्ष्म संरचना तक पहुंचता है। यहा मौजूद रक्त के द्वारा उस आक्सीजन को अवशोषित करके रक्तवाहिनी से होते हुए शरीर की एक-एक कोशिका तक आक्सीजन पहुंचता है।

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ऐसे करे पूरक रेचक प्राणायाम

सबसे पहले पद्मासन या सुखासन में रीढ़ को सीधा करके हृदय मुद्रा में बैठ जाएं। आखें कोमलता से बंद कर खुले स्थान में बैठें। दोनों नासिकाओं द्वारा सास भरते जाएं और तब तक भरें जब तक अंदर से यह संकेत न मिल जाए कि अब अंदर सास भरना संभव नहीं है। फिर पूरी सास भरने के बाद सास को तुरंत ही बाहर निकालते जाएं। तब तक सास निकालें जब और सास बाहर निकालना असंभव हो। ध्यान रहे इस प्रक्रिया को स्वभाविक ढंग से करें और कोई कुंभक (सास अंदर रोकना) या बंध नहीं लगाने हैं। अब लगातार इस अभ्यास को दस मिनट करके सास सामान्य तक शात मुद्रा में बैठ जाएं।

सरल पूरक रेचक प्राणायाम के फायदे-

-देर तक धीमी गति से पूरक (सास अंदर भरना) करने से सामान्य श्वसन की अपेक्षा आठ गुना अधिक मात्रा में वायु फेफड़ों तक पहुंचती है।

-देर तक रेचक (सास बाहर निकालना) करने से फेफड़े के दोनों चैंबर में कार्बन डाइ आक्साइड लगभग 70 फीसद बाहर हो जाती है। इससे फेफड़ों की आक्सीजन को अवशोषित करने की क्षमता बढ़ती है।

-हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने में मदद करता है।

-शरीर के विभिन्न हिस्सों में पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन पहुंचती है।

-फेफड़ों की कार्य क्षमता बढ़ती है और आक्सीजन का उच्चतम स्तर शरीर में बना रहता है।


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