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आमिर खान की दंगल और ठग्‍स आफ हिंदुस्तान से जुड़ी रहीं कनुप्रिया ने क्‍यों स्‍वीकार नहीं किया 'लाल सिंह चड्ढा' का आफर

मुजफ्फरनगर निवासी और मेरठ में पढ़ीं फीजियोथेरेपिस्ट कनुप्रिया ने आमिर खान की फिल्‍मों दंगल और ठग्‍स आफ हिंदुस्तान की शूटिंग में बतौर फीजियोथेरेपिस्ट कार्य किया था। कनुप्रिया का कहना है कि बॉलीवुड की किसी भी फिल्म के साथ पूर्णकालिक तौर पर काम करने वाली वह पहली फिजियोथेरेपिस्ट हैं।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 29 Mar 2021 07:20 AM (IST)Updated: Tue, 30 Mar 2021 12:15 PM (IST)
ठग्‍स आफ हिंदुस्‍तान की शूटिंग दौरान आमिर खान के साथ कनुप्रिया

मेरठ, [प्रवीण वशिष्‍ठ]। बालीवुड के बड़े बैनर में ब्रेक मिल जाए तो अक्सर वहीं अपने करियर को बुलंदियों तक पहुंचाने के सपने हर व्यक्ति देखने लगता है, लेकिन इनमें कुछ अपवाद भी होते हैं। अब मुजफ्फनगर निवासी और मेरठ में पढ़ीं फीजियोथेरेपिस्ट कनुप्रिया का नाम भी इनमें शामिल हो गया है। उन्होंने आमिर खान जैसे सुपर स्टार के साथ दंगल और ठग्‍स आफ हिंदुस्तान की शूटिंग में बतौर फीजियोथेरेपिस्ट कार्य किया था। जब उन्हें आमिर की नई फिल्म लाल सिंह चड्ढा से जुड़ने का आफर मिला तो उन्होंने इसके लिए उनका आभार जताते हुए असमर्थता जता दी। कनुप्रिया ने जागरण से हुई बातचीत में इस फिल्म से न जुड़ने और अपने वर्तमान काम के बारे में विस्‍तार से चर्चा की।

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भारतीय कुश्ती और वेटलिफ्टंग टीमों के साथ हुई करियर की शुरुआत

मुजफ्फनगर की साकेत कालोनी निवासी कनुप्रिया ने 2011 में देहरादून से फिजियोथेरेपी में ग्रेजुएशन और 2014 में मेरठ के कालेज आफ एप्‍लाइड एजुकेशन हेल्‍थ साइंस से स्‍पोटर्स फिजियोथेरेपी में पोस्‍ट ग्रेजुएशन किया था। इसके बाद उन्‍हें नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ स्‍पोटर्स पटियाला में कार्य का अवसर मिला। यहां वह भारतीय महिला कुश्ती और वेटलिफ्टंग टीमों की फिजियोथेरेपिस्ट रहीं। 

दंगल से जुड़ने का मिला मौका

पटियाला में काम के दौरान ही कनुप्रिया को फिल्म दंगल से जुड़ने  का अवसर मिला। इसमें पहलवान का किरदार निभा रहे आमिर खान ने अपना वजन 94 किलो तक बढ़ाया था। उसके बाद उन्‍हें इसे घटाकर 60 किलो तक लाना था। वजन घटाने की प्रक्रिया में उन्‍होंने कई विशेषज्ञों की मदद ली थी। फिजियोथेरेपिस्ट के तौर पर कनुप्रिया ने भी उन्‍हें सलाह दी। हालांकि फिल्‍म में कुश्‍ती के सीन की शूटिंग के दौरान उनका मुख्‍य काम आमिर खान और उनकी पहलवान बेटियों का किरदार निभाने वाली अभिने‍त्रि‍यों की मदद करना था। कनुप्रिया बताती हैं कि कुश्ती जैसे खेल पर आधारित फिल्म में फिजियोथेरेपिस्ट की अधिक आवश्यकता होती है। कलाकार पहलवान नहीं होते और शूटिंग के दौरान उन्हें चोट न लगे, इसका फिजियोथेरेपिस्ट ध्यान रखता है, यदि चोट लग भी जाए तो जल्द ठीक हो और शूटिंग समय पर पूरी हो सके। बेटियों को पहलवानी के दांव सिखाने वाले एक सीन को शूट करने के दौरान आमिर खान की मसल्‍स खींच गईं थीं। उन्‍होंने उन्‍हें फिजियोथेरेपी में इस्‍तेमाल होने वाली टेप बांधी थी और वह कुछ दिनों में ठीक हो गए थे। कनुप्रिया का कहना है कि बॉलीवुड के इतिहास में किसी भी फिल्म के साथ पूर्णकालिक तौर पर काम करने वाली वह पहली फिजियोथेरेपिस्ट हैं। फिल्‍म के कुछ सीन में भी वह नजर आईं थीं।

दंगल के सेट पर कनुप्रिया और ठग्‍स आफ हिंदुस्‍तान के सेट पर मना था आमिर का जन्‍मदिन

कनुप्रिया बताती हैं कि आमिर खान को दंगल में बतौर फिजियोथेरेपिस्ट उनका कार्य बहुत पसंद आया। इसके कारण उन्‍हें उनके साथ ठग्‍स आफ हिंदुस्‍तान में कार्य करने का मौका भी मिला। वर्ष 2018 में जोधपुर में इसकी शूटिंग के दौरान 14 मार्च को आमिर का जन्‍मदिन आया। उन्‍होंने टीम के सभी सदस्‍यों के बीच केक काटकर जन्‍मदिन मनाया। कनुप्रिया बताती हैं कि यह सुखद संयोग था कि दंगल के सेट पर 25 अक्‍टूबर 2015 को उनका जन्‍मदिन भी मना था और आमिर खान की मौजूदगी में उन्‍होंने केक काटा था।

अब 65000 की आबादी वाले देश बरमूडा में हैं कनुप्रिया

वर्तमान में कनुप्रिया उत्‍तर अटलांटिक महासागर में स्‍थित छोटे से द्वीपीय देश बरमूडा में हैं। इसकी आबादी मात्र 65000 के आसपास है। कनुप्रिया बताती हैं कि दो साल पहले उनका विवाह गाजियाबाद निवासी सिद्धार्थ शर्मा के साथ हुआ। सिद्धार्थ पिछले करीब छह वर्ष से बरमूडा में केएफसी में वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं। विवाह के बाद वह भी बरमूडा चली गई और वहां के सबसे बड़े मेडिकल सेंटर किंग एडवर्ड मैमोरियल हॉस्पिटल में बतौर फिजियोथेरेपिस्ट काम कर रही हैं। कनुप्रिया ने बताया कि उन्हें आमिर खान प्रोडक्शन के एक वरिष्ठ अधिकारी की तरफ से फिल्म लाल सिंह चड्ढा की शूटिंग के दौरान फिजियोथेरेपिस्ट के तौर पर जुड़ने का आफर मिला था। लेकिन उन्होंने पूरी शालीनता के साथ आमिर खान का आभार व्यक्त करते हुए असमर्थता जता दी। इसका कारण बताते हुए कहती हैं कि फिजियोथेरेपिस्ट के तौर पर नई चुनौतियों का सामना करने का यहां बरमूडा में बहुत अच्छा अवसर है। उन्होंने कुश्ती टीम के साथ और फिर बालीवुड कलाकारों के साथ काम करके अच्‍छा अनुभव लिया। अब यहां उनके सामने फिजियोथेरेपी में कुछ अलग सीखने का अवसर है। बरमूडा के इस अस्‍पताल में उन्हें 100 वर्ष के आसपास के मरीजों के साथ भी काम करने का मौका मिलता है। इनमें डिमेंशिया और पैरालेसिस के मरीज भी होते हैं। एक मरीज तो करीब 110 साल के थे। बताती हैं कि इससे पूर्व उन्हें कंगना रनौत की कबड्डी को लेकर बनी फिल्म पंगा की शूटिंग से जुड़ने का आफर मिला था, लेकिन उन्होंने इससे भी इन्कार कर दिया था।

काश भारत में भी हों ऐसी मेडिकल सुविधाएं

बरमूडा के बारे में बताती हैं कि यह बहुत छोटा सा देश है। यहां किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल एकमात्र बड़ा मेडिकल सेंटर है इसके अलावा यहां छोटे-छोटे नर्सिंग होम और हेल्थ सेंटर जरूर हैं। यहां की मेडिकल सुविधाएं देखकर लगता है कि हमारे देश भारत में भी ऐसा होना चाहिए। यहां हर व्यक्ति का मेडिकल इंश्योरेंस है। जिससे बीमार होने पर धन की समस्या नहीं होती। यहां बुजुर्गों के लिए विशेष सुविधाएं हैं। जैसे कोई बीमार व्यक्ति किसी अस्पताल में ही भर्ती होता है और उसकी देखभाल के लिए कोई नहीं है तो उसे ठीक होने पर भी डिस्चार्ज नहीं किया जाता। यहां कई व्यक्ति तो दस-दस साल से अस्पताल में ही रह रहे हैं।

बरमूडा की प्राकृतिक सुंदरता करती है आकर्षित, नहीं है प्रदूषण का नामोनिशान

कनुप्रिया ने बताया कि बरमूडा की प्राकृतिक सुंदरता बहुत आकर्षित करती है। यहां के समुद्र जैसा साफ पानी उन्होंने किसी अन्‍य समुद्र तट पर नहीं देखा। बरमूडा अपने सुंदर बीच के लिए बहुत मशहूर है। यहां बहुत हरियाली है और प्रदूषण का नामोनिशान नहीं है। सिद्धार्थ को एक बात ने आश्चर्यचकित किया कि अत्यधिक पेड़-पौधे होने के बावजूद यहां कभी उन्होंने सांप के बारे में नहीं सुना। रहस्यमयी बरमूडा ट्रायंगल का एक कोण यहीं से शुरू होता है। इसके लिए यहां पर पर्यटकों को आकर्षित करने को एक स्थल बनाया हुआ है। बरमूडा की नागरिकता लेना बहुत कठिन है। ऐसे में यहां बाहर के लोग वर्क परमिट पर ही काम करते हैं। खास बात यह है कि कई नागरिकों के पास बरमूडा के साथ-साथ ब्रिटेन का भी पासपोर्ट होता है। 

इस छोटे से देश में रहने का अलग ही रोमांच

सिद्धार्थ शर्मा बताते हैं कि उन्‍होंने मेरठ के जेपी इंस्टिट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट से स्नातक स्तर की पढ़ाई की। स्काटलैंड से पोस्टग्रेजुएशन किया। छोटा देश होने के कारण यहां काम करने का अलग ही रोमांच है। भारत के शहर क्‍या कई कस्‍बे भी इससे बड़े हैं। यहां की खास बात यह भी लगी कि बरमूडा वैसे तो ब्रिटेन का एक प्रवासी क्षेत्र है और ब्रिटिश महारानी इसकी संवैधानिक प्रमुख हैं, लेकिन यहां की मुद्रा बरमूडियन डालर है और उसका मूल्य हमेशा अमेरिकी डालर के बराबर रहता है। इतना होने के बाद भी अन्य कई देशों की तरह यहां अमेरिकी डालर नहीं चलता।

बरमूडा में नहीं है कोई मंदिर

सिद्धार्थ और कनुप्रिया बताते हैं कि बरमूडा में मंदिर न होने से दिक्कत होती है। इसका एक कारण भारतीयों की कम संख्‍या के साथ-साथ उनकी कोई एसोसिएशन न होना है, क्‍योंकि मंदिर निर्माण में काफी लागत आएगी और इस खर्च को सामूहिेक रूप से ही वहन किया जा सकता है। हालांकि मंदिर की कमी पूरा करने को भारतीय ऑनलाइन पूजा के माध्यम से विभिन्न मंदिरों व अपने घरों से जुड़ जाते हैं।

होली पर स्‍वजन और मित्रों से आनलाइन जुडेंगे

सिद्धार्थ कहते हैं कि यहां वह भारतीय मित्रों के साथ होली और अन्‍य पर्व पर मिलकर छोटा सा आयोजन करते हैं, लेकिन इस बार कोराना के चलते विशेष सावधानी रख रहे हैं। इस बार भारत में स्‍वजन और मित्रों के साथ आनलाइन त्‍योहार की खुशी बांटेंगे। हालांकि भारत के समय के मुकाबले यहां का समय साढ़े आठ घंटे पीछे है। इससे दोनों जगह पर्व मनाने के समय में अंतर होता है। 

भारतीय भोजन के प्रति दीवानगी

सिद्धार्थ बताते हैं कि भारतीय भोजन के प्रति यहां दीवानगी है। दो रेस्टोरेंट पूरी तरह से भारतीय भोजन के हैं। इसी के साथ बहुत से रेस्टोरेंट पर भारतीय भोजन की कुछ प्रमुख डिश उपलब्ध रहती हैं। जैसे चिकन टिक्का यहां के बहुत से रेस्टोरेंट पर मिल जाता है।

राजधानी हैमिल्टन में बसी है अधिकांश आबादी

सिद्धार्थ ने बताया कि राजधानी हैमिल्टन में ही बरमूडा की अधिकांश आबादी बसी है। इसके अलावा अनेक छोटे-छोटे द्वीपों पर भी लोग रहते हैं। वहां मौजमस्ती करते हुए क्रूज का इस्तेमाल पर्यटक खूब करते हैं। कई छोटे द्वीपों को हॉलीवुड स्टार और अन्य अमीरों ने खरीदा हुआ है। वहां उनके खुद के बंगले हैं। वे यहां आकर अपना समय गुजारते हैं।

दुनिया के सबसे महंगे देशों में है बरमूडा

कनुप्रिया बताती हैं कि बरमूडा दुनिया के सबसे महंगे देशों में है, क्‍योंकि यहां अधिकांश चीजें अमेरिका, कनाडा या ब्रिटेन आदि से आयात होती हैं। उदाहरण के तौर पर यदि ब्रेड अमेरिका में दो डालर की है तो यहां पांच डालर से कम नहीं मिलती। कई चीजें तो अमेरिका के मुकाबले सात गुना तक महंगी है। एक खास बात यह है कि यहां के छात्र उच्‍च शिक्षा को पड़ोसी देश अमेरिका या कनाडा चले जाते हैं, क्योंकि यहां स्नातक स्तर के सामान्य कोर्स ही उपलब्ध हैं। बरमूडा की सेना के बारे में बताती हैं कि यहां सेना अनुशासन बनाने के काम में लगी होती है क्योंकि उसे कोई जंग आदि की तैयारी नहीं करनी होती। जैसे लॉकडाउन के दौरान लोगों को नियमों का पालन करने के लिए सेना प्रेरित करती दिखी थी। पर्यटन यहां की अर्थव्‍यवस्‍था में बड़ा योगदान देता है। हालांकि कोरोना के चलते इस पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ा है। इसी के साथ यहां बड़ी-बड़ी विदेशी इंश्योरेंस और ऑडिट कंपनियों के दफ्तर भी हैं। उनके यहां होने का प्रमुख कारण अन्य देशों के मुकाबले टैक्‍स कम होना है। इनसे भी इस देश को अच्‍छी आय होती है। बरमूडा की क्रिकेट टीम भी है। वर्ष 2007 के वि‍श्‍व कप में भारत और बरमूडा के बीच मुकाबला हुआ था। इसमें भारत ने आसानी से जीत दजर् की थी।

एक दिन में मतदान और अगले दि‍न चुनाव परिणाम

बरमूडा की राजनीतिक व्यवस्था के बारे में सिद्धार्थ बताते हैं कि यहां गवर्नर यूनाइटेड किंगडम द्वारा नियुक्त करता होता है। एक पद प्रीमियर का है, जिसे प्रधानमंत्री के समकक्ष कहा जा सकता है, उसका चुनाव जनता वोट से करती है। कम वोट गिनने में समय कम लगता है। इस कारण कई बार वोट डालने के बाद शाम को गिनती शुरू होती है और आधी रात के बाद या अगली सुबह तक जनता को पता लग जाता है कि उनका प्रीमियर कौन होगा।

लौटकर देशवासियों को अपने अनुभव से लाभ देने की इच्‍छा

कनुप्रिया का कहना है कि बरमूडा में उन्‍हें बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन अपना देश तो अपना ही होता है। एक दिन वह भारत में ही सेटल्ड होंगी। यहां आकर उनका प्रयास यह होगा कि फिजियोथेरेपिस्ट के तौर पर प्राप्त अनुभवों का लाभ अपने देशवासियों को दें।


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