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तो क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया साध पाएंगे पश्चिम का समीकरण

प्रियंका व ज्योतिरादित्य को जिम्मेदारी देने पर राजनीतिक चर्चा गर्म हुई। भाजपा बनाम कांग्रेस, तो कहीं कांग्रेस को वोट काटने वाली पार्टी बनने की चर्चा।

By Taruna TayalEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 11:58 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 11:58 AM (IST)
तो क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया साध पाएंगे पश्चिम का समीकरण
तो क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया साध पाएंगे पश्चिम का समीकरण
मेरठ, जेएनएन। कांग्रेस ने पश्चिम उप्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया व पूर्वी उप्र में प्रियंका गांधी को प्रभारी बनाकर राजनीतिक चर्चा गर्म कर दी है। ज्योतिरादित्य ने अगर मध्यप्रदेश की तरह यहां भी मेहनत की तो कांग्रेस सीधे तौर पर रेस में आएगी। दोनों युवाओं की आभा का क्या परिणाम दिखेगा, यह तो वक्त बताएगा। पर, कुछ जानकार यूपी में लोस चुनाव की लड़ाई भाजपा बनाम कांग्रेस मानकर चल रहे हैं तो कुछ बसपा-सपा गठबंधन के लिए कांग्रेस को 'वोट काटने वाली' पार्टी से ज्यादा कुछ नहीं मानते, जिसका फायदा भाजपा को मिलेगा। ऊर्जावान व युवा ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी उप्र की कमान इस उम्मीद से दी गई है कि वह मध्यप्रदेश की तरह यहां भी कार्यकर्ताओं में जान फूंकेंगे। साथ ही सवर्ण मतों खासकर ठाकुर वोटों को साधेंगे और मुस्लिम मतों को सपा-बसपा की तरफ से मोड़कर कांग्रेस की तरफ करेंगे।
भाजपा में भी ठाकुर नेता कम नहीं
वैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया पूर्वी उप्र के ठाकुर मतों पर ज्यादा प्रभाव डाल सकते थे, जहां उनकी अधिक वोट हैं। मगर पश्चिम में कुछेक सीटों को छोड़कर बाकी पर ठाकुर वोट 12-15 हजार के करीब हैं। भाजपा में भी ठाकुर नेता कम नहीं हैं। पश्चिम में मेरठ, गाजियाबाद, मथुरा, आगरा, बिजनौर, झांसी, अलीगढ़, हाथरस, सहारनपुर, अमरोहा, फिरोजाबाद व हरदोई जैसी सीटों पर कांग्रेस अपने पुराने वोटरों को जगा सकती है। सबसे अधिक दारोमदार मुस्लिम वोट बैंक का है। अगर कांग्रेस यह समझाने में सफल रही कि यदि मुस्लिम बसपा व सपा के साथ जाकर वोट बर्बाद करने के बजाय राष्ट्रीय फलक पर जाकर सोचें तो इस स्थिति में कांग्रेस लड़ाई में आ सकती है। माना जा रहा है कि कांग्रेस यदि मुस्लिमों के भरोसे लड़ाई में शामिल हुई तो मोदी-योगी की नीतियों से नाराज मतदाता कांग्रेस का पक्ष लेंगे। मगर राजनीतिक पंडितों के इस गणित को भी समझना होगा कि कांग्रेस बेशक इन नेताओं के भरोसे लड़ाई में तो आ जाएगी लेकिन वोट काटने वाली पार्टी बनने तक ही सीमित रह जाएगी। बसपा व सपा का मूल वोट कहीं नहीं खिसकेगा। मुस्लिम यदि कांग्रेस की ओर झुके तो बसपा-सपा को ही कमजोर करेंगे और इससे भाजपा बढ़त बना लेगी।
कभी अवतार सिंह भड़ाना थे कांग्रेस सांसद
मेरठ लोकसभा सीट से 1999 में अवतार सिंह भड़ाना सांसद बने थे। इसके बाद वह एक बार बसपा व दो बार भाजपा के सांसद रहे। पिछले लोस चुनाव में फिल्म अभिनेत्री नगमा को कांग्र्रेस के टिकट पर करीब 50 हजार वोट मिले थे।
दिल्ली से पश्चिम को मथेंगे ज्योतिरादित्य
ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस ने पश्चिम उप्र का प्रभारी बनाया है। वह लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रबंधन की बागडोर संभालेंगे। पार्टी सूत्रों ने बताया कि वह पश्चिम में मेरठ या अन्य किसी शहर को केंद्र बनाने के बजाय दिल्ली में बैठकर ही पूरे पश्चिम की रणनीति बनाएंगे। वहीं से वह जिलों में भ्रमण को निकलेंगे।
इन्‍होंने कहा
प्रियंका गांधी में इंदिरा गांधी की छवि दिखाई देती है। उनमें बहुत धैर्य है। सपा-बसपा के साथ जाने के बजाय मुस्लिम कांग्रेस को वोट करेंगे। ब्राह्मण तो कांग्रेस के मूल वोटर रहे हैं। सपा व बसपा को वोट देने का मतलब है वोट खराब करना।
-जयनारायण शर्मा, पूर्व विधायक कांग्रेस
कांग्रेस ने फिर से परिवारवाद साबित कर दिया है और यह भी कि नेहरू परिवार के बिना पार्टी अस्तित्वविहीन है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात के बाद यहां जिम्मेदारी दी गई है। कांग्रेस पूरी तरह से खारिज हो चुकी है। इन दोनों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
-लक्ष्मीकांत वाजपेयी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भाजपा 

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