Jam In Meerut: रैपिड रेल से सीखिए काम करने का तरीका, योजनाबद्ध तरीके से चलें तो मिलेगी जाम से राहत
मेरठ में जाम की समस्या आम है। इससे निजात की तमाम कोशिशें हर बार नाकाम हुई हैं। आलम यह है कि प्रशासनिक बदइंतजामी के कारण रोजाना लोगों को जाम से घंटों तक जूझना पड़ रहा है। मिनटों का सफर घंटों में तब्दील हो चुका है।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Jam In Meerut आंधी हो या तूफान, बारिश हो या कड़ी धूप। धरती के ऊपर भी, नीचे भी। रैपिड रेल का काम रुकता नहीं है। भारी-भरकम मशीनें और कुशल कार्यबल दिन-रात तन्मयता से 2024 की समय सीमा को ध्यान में रखकर जुटा हुआ है देश की पहली रैपिड रेल परियोजना को मूर्त रूप देने में। कार्य में लगीं कार्यदायी संस्थाओं ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि रैपिड के काम की वजह से किसी को परेशानी न हो। लेकिन, इसमें स्थानीय प्रशासन का सहयोग अपेक्षित है। सहयोग चाहिए यातायात व्यवस्था को बनाए रखने में। लेकिन, यह बन नहीं पा रही। आलम यह है कि प्रशासनिक बदइंतजामी के कारण रोजाना लोगों को जाम से घंटों तक जूझना पड़ रहा है। मिनटों का सफर घंटों में तब्दील हो चुका है। स्थानीय प्रशासन के लिए ट्रैफिक व्यवस्था को सुगम बनाना इतना मुश्किल भी नहीं है, बस जरूरत है अपने काम को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम देने की। पेश है इन्हीं कारणों की पड़ताल करती एक रिपोर्ट...
अवैध कट में उलझा ट्रैफिक
दिल्ली रोड पर बने अवैध कट जाम की समस्या को नासूर बना रहे हैं। स्थानीय निवासी अपनी सुविधानुसार डिवाइडर को तोड़कर अवैध कट बना लेते हैं। इससे राहगीरों का मिनटों का सफर घंटों में तब्दील हो जाता है। यातायात विशेषज्ञ सुनील शर्मा ने बताया कि दिल्ली रोड पर अवैध कट की भरमार है। बेगमपुल से लेकर परतापुर तक 10 से 12 अवैध कट हैं, जिनमें अब तीन कट टीपीनगर के भी शामिल हो गए हैं। बेगमपुल के पास कैंट अस्पताल के सामने वाले कट को तो उन्होंने कुछ दिन पहले बंद भी कराया था, लेकिन उसे फिर से खोल दिया गया। इसके अलावा सोतीगंज में, ईदगाह के पास, रेलवे रोड और मेहताब सिनेमा के नजदीक के अवैध कट यातायात को बेपटरी करने के साथ ही हादसों की भी बड़ी वजह हैं। दिल्ली रोड का ट्रैफिक टीपीनगर की ओर डायवर्ट किया गया है, वहीं तीन कट हैं। ट्रक और अन्य वाहन इन कट से मुड़ते हैं, जिससे हर वक्त जाम की स्थिति बनी रहती है। वे इन सभी अवैध कट को बंद कराने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से बात भी कर चुके हैं। दिल्ली रोड पर एमडीए, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम और कैंट का कुछ हिस्सा है। हर विभाग अपने-अपने डिवाइडर की जिम्मेदारी लेता है, लेकिन होता कुछ नहीं है।
यहां तो डिवाइडर ही नहीं है
दिल्ली रोड पर वाहनों के भारी दबाव के बावजूद केसरगंज से लेकर रेलवे रोड चौराहे तक डिवाइडर नहीं है, जबकि यह सुरक्षा के साथ ही यातायात को बेहतर बनाने में भी सहायक होते हैं। यातायात विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि यहां कंक्रीट के डिवाइडर का इस्तेमाल हो सकता है, जिसे हटाना आसान नहीं होता।
अतिक्रमण...गंभीर समस्या
दिल्ली रोड हो या फिर टीपीनगर। हर जगह अतिक्रमण है। ट्रैफिक पुलिस ने रूट डायवर्जन से पहले ट्रांसपोर्ट नगर में डिवाइडर के दोनों ओर 12-12 फुट की सड़क अतिक्रमण मुक्त करने का निर्देश दिया था, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। ट्रक सड़कों पर ही खड़े रहते हैं, जिससे हर वक्त वाहन चालक जूझते रहते हैं। सामान भी रखा रहता है।
गड्ढों को मरम्मत की जरूरत
दिल्ली रोड के वाहनों का दबाव ट्रांसपोर्ट नगर में है, लेकिन यहां रैपिड का काम शुरू होने से पहले से सड़क खस्ताहाल है। करीब पांच सौ से सात सौ मीटर के रास्ते में कई जगह गड्ढे ही गड्ढे हैं। इसके चलते रफ्तार पर ब्रेक लगता है। बारिश में तो स्थिति और खराब हो गई है। ट्रांसपोर्टर गड्ढों की मरम्मत की मांग करते हैं, लेकिन इसे अनसुना किया जा रहा है। बागपत रोड की बदहाली भी अधिकारियों को नहीं दिख रही है।
तैनाती तो सही, लेकिन बात नहीं बन रही
दिल्ली रोड पर ट्रैफिक पुलिस के साथ ही थाना पुलिस और कार्यदायी कंपनी के मार्शल पांच जगहों पर तैनात रहते हैं। दिल्ली रोड की स्थिति तो कुछ सुधरी है, लेकिन टीपीनगर थाने के पास बागपत रोड पर टी-प्वाइंट का जाम अब भी परेशानी का सबब बना हुआ है। यहां पर एक तरफ के वाहनों को निकालने के लिए दो ओर के यातायात को रोका जाता है। इस कारण कुछ ही देर में वाहनों की कतार लग जाती है। इस प्वाइंट पर जाम न लगे, इसके लिए ट्रैफिक पुलिस ने डिवाइडर को भी चौड़ा किया था। इससे कुछ राहत मिली थी, लेकिन जाम की स्थिति बन रही है। एसपी ट्रैफिक भी निरीक्षण कर चुके हैं, लेकिन बात नहीं बन रही।