सपने अपने : चौराहों पर यह कैसा ग्रहण, चौड़ीकरण पर जब भी होती बात क्यों बिगड़ जाते काम
वेस्ट यूपी में हर साल कांवड़ यात्रा के दौरान लगने वाले जाम से अब राहत मिल सकेगी। अब कांवड़ पटरी मार्ग के दोहरीकरण से ऐसी समस्या में काफी कमी आ जाएगी। जाम को कम करने की कवायद लंबे समय से की जा रही थी।
मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। यह अजीब दुर्योग है कि एमडीए जब भी शहर में चौराहों के सुंदरीकरण या चौड़ीकरण आदि की तैयारी करता है, वह किसी न किसी वजह से लटक जाता है। कुछ साल पहले बेगमपुल चौराहे को बेहतर बनाने की तैयारी की तो मेरठ मेट्रो की वजह से उसपर काम करने की अनुमति नहीं मिली। बाद में हापुड़ अड्डा व तेजगढ़ी पर भी मेट्रो का अड़ंगा आ गया। कुछ साल बीते। बेगमपुल-हापुड़ चौराहा-तेजगढ़ी-मेडिकल रूट पर मेट्रो प्लान ठंडे बस्ते में चला गया तो फिर से चौराहों पर बात शुरू हुई। एमडीए ने हापुड़ अड्डा चौराहे की योजना बनाई। काम शुरू करने की तैयारी की तभी उसे एमडीए से लेकर स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में डाल दिया गया। फिर एमडीए ने शुरू की माथापच्ची जेलचुंगी, एचआरएस व तेजगढ़ी के लिए। इसकी डीपीआर व डिजाइन बनवाने का काम शुरू हुआ तो अब, अवस्थापना निधि में धनराशि नहीं बची।
कांवड़ से अब जाम नहीं
कांवड़ यात्रा के समय लगभग पूरे पश्चिमी उप्र के विभिन्न मार्गों पर आवागमन प्रभावित रहता है। हरिद्वार मार्ग होने के नाते मेरठ से हरिद्वार वाले हाईवे को एकल करना पड़ता है। तमाम जगह मार्ग बदलना पड़ता है। सार्वजनिक परिवहन से लेकर निजी आवागमन के वाहनों को या तो कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ता है या फिर दूर रास्ता तय करके गंतव्य तक पहुंचना होता है। पर अब कांवड़ पटरी मार्ग के दोहरीकरण से ऐसी समस्या में काफी कमी आ जाएगी। गंगनगर के किनारे मुरादनगर के पास मुजफ्फरनगर और उसके आगे तक कांवड़ पटरी है तो, लेकिन संकरी होने के कारण उस पर कांवडिय़े कम जाते हैं। कांवड़ यात्रा में ट्रक, ट्रैक्टर ट्रॉली आदि शामिल होते हैं इसलिए उसको पर्याप्त जगह चाहिए सड़क पर। वर्तमान कांवड़ मार्ग पर ऐसा हो नहीं पाता था। हालांकि अब दोहरे मार्ग से कांवड़ यात्रा निकालना आसान हो जाएगा।
कालोनियों में एसटीपी लगवाना चुनौती
वैसे तो शहर में हजारों कालोनियां हैं, लेकिन वैध गिनती की हैं। उन गिनती की कालोनियों में से 237 को एमडीए ने नोटिस दिया है कि उनमें मूलभूत सुविधाएं पूरी कर उनका पूर्णता प्रमाण पत्र लें। इसके बाद उसे नगर निगम को हैंडओवर करें। मूलभूत में सड़क व जलनिकासी से लेकर सीवेज निस्तारण के लिए एसटीपी निर्माण भी शामिल है। हालांकि कुछ कालोनियों ने एसटीपी लगवा भी रखा है मगर महंगी व शानदार कालोनी होना इसका प्रमाण नहीं हो सकता। जब डिफेंस कालोनी सोसाइटी ने लगवाया तो शायद और भी ऐसी ही हों। खैर, अब एमडीए के लिए चुनौती होगी कि कैसे स्वीकृत कालोनियों में सभी आंतरिक कार्य करवा पाए। बहरहाल, यदि एमडीए इसमें कामयाब होता है तो वहां के लोगों को बड़ी सहूलियत मिल जाएगी और नाले में बहते सीवेज से काफी राहत मिल जाएगी। थोड़े-थोड़े प्रयास से शायद जल प्रदूषण से बच सकें।
कुछ ये मांगें, कुछ वे
दुर्बल आय वर्ग के लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फ्लैट देने की तैयारी है। एमडीए भी इसके तहत फ्लैट दो लाख रुपये में आवंटित कर चुका है, अब उसमें कार्य पूरा कराकर कब्जा देने का समय आने वाला है। समय नजदीक है मगर सवाल खड़ा हो गया है कि फ्लैट तो बन जाएंगे, लेकिन मुख्य सड़क से जोडऩे के लिए संपर्क मार्ग, नाला, सीवेज आदि सुविधाएं कैसे देंगे क्योंकि सरकार अनुदान दे रही है प्रति फ्लैट सिर्फ 2.50 लाख। ऐसे में प्रभारी वीसी यानी डीएम ने जल निगम को आदेश दिया कि वह नाले का प्रस्ताव बनाकर शासन से धनराशि की याचना करें। ऊर्जा निगम वहां पर स्ट्रीट लाइट आदि के लिए। पीडब्ल्यूडी सड़क का प्रस्ताव भेजे। इसी तरह से अप्रत्यक्ष मांग की जाए, क्योंकि इन सब काम के लिए एमडीए ने सीधे तौर पर धन मांगा तो प्रस्ताव लौटाकर मना कर दिया गया।