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कोरोना काल में गर्भवतियों में दस गुना बढ़ गया है चिड़चिड़ापन, इस तरह करें बचाव

कोरोनाकाल में गर्भवतियों में मानसिक परेशानी बढ़ रही है। डॉक्‍टर के अनुसार कम नींद आना दिनभर चुप रहना चिड़चिड़ापन एंजाइटी के लक्षण हैं। पहले जिला अस्पताल के मन कक्ष में एंजाइटी की शिकार तीन से चार महिलाएं आती थीं लेकिन अब माह में तीस से चालीस महिलाएं आ रही हैं।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 10:08 PM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 10:08 PM (IST)
कोरोना काल में गर्भवतियों में दस गुना बढ़ गया है चिड़चिड़ापन, इस तरह करें बचाव
कोरोनाकाल में गर्भवतियों में मानसिक परेशानी बढ़ रही है।

बुलंदशहर, जेएनएन। महामारी काल में लंबे चले लाकडाउन का असर हो या अनलाक में खड़ी हुई विषम परिस्थिति, कारण चाहे जो भी हो गर्भवतियों में मानसिक परेशानी बढ़ रही है। गर्भवती महिलाएं उदासी, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन का शिकार हो रही हैं। चिकित्सकों के मुताबिक ये एंजाइटी बीमारी है। कोरोना आने से पहले जिला अस्पताल के मन कक्ष में एंजाइटी की शिकार तीन से चार महिलाएं आती थीं, लेकिन अब माह में तीस से चालीस महिलाएं पहुंच रही हैं।

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गर्भवतियों में आने वाले इस बदलाव को परिजन जागरुकता के अभाव में समझ नहीं पाते हैं, जबकि इन सब लक्षणों का असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। जिला महिला अस्पताल की चिकित्सक और स्वास्थ्य विभाग की काउंसलरों को इसके लिए ट्रेंड किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग गर्भवतियों को इन समस्याओं के बचाने के लिए आशाओं और एएनएम को भी संवेदनशील बना रहा है।

पार्टम ब्‍लूज है ये अवस्‍था

जिला अस्पताल की मनोरोग चिकित्सक डा. स्वाति यादव का कहना है कि इसे पार्टम ब्लूज कहते हैं। इसमें गर्भवतियों में धीरे-धीरे बदलाव होता है। गर्भवतियों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन, उदासी, किसी बात का जवाब ना देना, गुम रहना जैसे बदलाव नजर आते हैं। यही एंजाइटी है। गर्भकाल में यदि लगातार नौ माह तक गर्भवती मानसिक अवस्था में रह जाए तो इसका असर बच्चे पर पड़ता है। शहरी गर्भवतियों के मुकाबले गांव की गर्भवतियों में ये परेशानी ज्यादा देखने को मिल रही है।

आशा और एएनएम करेंगी लक्षणों की पहचान

गर्भवतियों की सेहत को लेकर सरकार गंभीर है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवतियों के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। गर्भवतियों की काउंसलिंग की जिम्मेदारी अब स्वास्थ्य विभाग न आशाओं और एएनएम को दी है। आशाएं और एएनएम इनकी काउंसलिंग करके इनको समझा रही हैं।

-डा. रोहताश यादव एसीएमओ

चिड़चिड़ा ही होगा बच्चा-गर्भवती जैसे माहौल और जैसे मन से रहेगी उसका सीधा असर गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। इसलिए खुशनुमा माहौल रखने और धार्मिक पुस्तक पढ़ने के लिए गर्भवतियों को सलाह दी जाती है। चिड़चिड़ापन, उदासी और तनाव में रहने वाली गर्भवती जिला महिला अस्पताल में आती हैं। दवा के साथ काउंसलिंग से समझाते हैं।

-डा. सुधा शर्मा-स्त्री रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल 


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