बुलंदशहर में दारोगा अपनी बहू पर रखता था गलत निगाह, बेटों ने की हत्या, छह माह बाद हुआ राजफाश
एसएसपी बुलंदशहर संतोष कुमार सिंह ने बताया कि 30 मार्च की रात से सेगा जगतपुर गांव निवासी बीएसएफ में तैनात दारोगा रामपाल लापता थे। वह छुट्टी पर आए हुए थे। एसपी क्राइम कमलेश बहादुर को इसकी जांच सौंपी गई थी।
बुलंदशहर, जागरण संवाददाता। अगौता थाना क्षेत्र से करीब छह माह पूर्व लापता हुए बीएसएफ के दारोगा की हत्या उसके ही दोनों बेटों ने दोस्त के साथ मिलकर की थी। साक्ष्य मिटाने के लिए आरोपितों ने अपने ट्यूबवेल के कुएं में शव डालकर दो ट्राली मिट्टïी डालकर दबा दिया था। पुलिस ने छोटे बेटे को गिरफ्तार कर उसकी निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त बलकटी व कंकाल बरामद कर लिया। पुलिस के मुताबिक दारोगा अपनी बहू पर गलत नजर रखता था इसी कारण बेटों ने उसकी हत्या कर दी।
ऐसे हुआ मामले का राजफाश
मंगलवार को एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि 30 मार्च की रात से सेगा जगतपुर गांव निवासी बीएसएफ में तैनात दारोगा रामपाल लापता थे। वह छुट्टी पर आए हुए थे। एसपी क्राइम कमलेश बहादुर को इसकी जांच सौंपी गई थी। जांच के दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि दारोगा के लापता होने के पीछे उसके बेटों का हाथ है। संदेह के आधार पर स्वाट टीम व अगौता पुलिस ने 11 अक्टूबर की रात दारोगा के छोटे बेटे हिमांशु को हिरासत में लेकर पूछताछ की। उसने बड़े भाई रोशिंद्र और अपने दोस्त प्रशांत के साथ मिलकर पिता रामपाल की बलकटी से गर्दन काटकर हत्या कर शव को अपनी ट्यूबवेल के कुएं में छिपाने का इकबाल कर लिया। दूसरे आरोपित गांव के ही प्रशांत को पुलिस 11 अक्टूबर को ही सोशल मीडिया पर तमंचे समेत फोटो वायरल करने पर आरोप में जेल भेज चुकी है। फरार बड़े बेटे रोशिंद्र की गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबिश दे रही है। दारोगा रामपाल पोखरन जैसलमेर (राजस्थान) में तैनात थे। उन्हें एक अप्रैल को विशेष प्रशिक्षण के लिए जम्मू जाना था। वहां जाने से पहले वह गांव आए थे। रामपाल की हत्या की जानकारी ग्रामीणों ने उनके भाई वेदप्रकाश को भी दी थी।
चाचा से मांगे ढाई लाख तो खुल गई वारदात
बुलंदशहर। पुलिस ने दारोगा हत्याकांड की गुत्थी को भले की सुलझा दिया हो, लेकिन इस हत्याकांड में जहां पुलिस की लापरवाही उजागर हुई है, वहीं दारोगा के भाई व ग्रामीणों की उदासीनता भी सामने आई है। पुलिस से लेकर सभी को मालूम था कि दारोगा की हत्या उनके बेटों ने की है, लेकिन किसी ने सामने आने की प्रयास नहीं किया। अगर चाचा से आरोपित भतीजे उधार के ढाई लाख नहीं मांगते तो आज भी पुलिस उलझी रहती। हालांकि इस मामले में लापरवाही उजागर होने पर एसएसपी ने दो इंस्पेक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की है।
दरअसल, दारोगा रामपाल की हत्या की जानकारी ग्रामीणों और तत्कालीन और वर्तमान इंस्पेक्टर को भी थी। ग्रामीणों और आरोपितों के चाचा वेदप्रकाश ने इस लिए चुप्पी साध रखी थी कि आरोपित दोनों भाई रोङ्क्षशद्र और हिमांशु आपराधिक प्रवृति के हैं। दोनों भतीजों की दहशत से चाचा वेदप्रकाश पहले ही गांव की जमीन और मकान बेचकर बुलंदशहर आवास विकास द्वितीय में स्वजन सहित रह रहे हैैं। बताया गया है कि ग्रामीणों ने वेदप्रकाश को रामपाल की हत्या की जानकारी दी थी। वेदप्रकाश ने गांव पहुंचकर जब हंगामा किया तो दोनों भाइयों ने उनके इकलौते बेटे को जान से मारने की धमकी दे दी। जिसके बाद वह भी चुप्पी साध गए। करीब दो माह पहले रोङ्क्षशद्र और हिमांशु को घर से पिता रामपाल की डायरी मिली थी, जिसमें ढाई लाख रुपये चाचा वेदप्रकाश को देना लिखा था। दोनों भाइयों ने जब चाचा से ढाई लाख रुपये वापस मांगे तो वेदप्रकाश ने पुलिस कार्यालय, डीएम कार्यालय, मुख्यमंत्री पोर्टल और एडीजी से पूरे मामले की शिकायत की। इसके बाद हत्याकांड का राजफाश हो गया।
इनका कहना है...
लापरवाही का मामला संज्ञान में आया है। तत्कालीन इंस्पेक्टर ध्रुव भूषण दुबे और वर्तमान इंस्पेक्टर अमर सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है।
-संतोष कुमार सिंह, एसएसपी।