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मासूम ने दी नम आखों से पिता को मुखाग्नि

कोरोना संक्रमण के बीच अस्पतालों में तरह तरह के संकट को देखते हुए एक बुजुर्ग महिला ने हास्पिटल में भर्ती होने से ही इंकार कर दिया। स्वजन घर पर ही महिला की देखभाल करते रहे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 06:55 AM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 06:55 AM (IST)
मासूम ने दी नम आखों से पिता को मुखाग्नि
मासूम ने दी नम आखों से पिता को मुखाग्नि

मेरठ, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के बीच अस्पतालों में तरह तरह के संकट को देखते हुए एक बुजुर्ग महिला ने हास्पिटल में भर्ती होने से ही इंकार कर दिया। स्वजन घर पर ही महिला की देखभाल करते रहे। तबीयत बिगड़ने पर भी महिला हास्पिटल नहीं गई। इस वजह से उनकी मृत्यु हो गई। वही मुक्तिधाम में नम आखों से दस साल के मासूम ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। मृतक के स्वजन का कहना है कि उन्होंने नगर निगम को घर सैनिटाइज करने के लिए प्रार्थना पत्र भी दिया था। उसके बावजूद भी नगर निगम की टीम घर नहीं पहुंची।

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हे भगवान मेरा सुहाग लौटा दो

दिल्ली रोड स्थित पाम ग्रीन कालोनी निवासी हरि सिंह पुत्र ध्यान सिंह स्वजन संग रहते थे। वह मोदीनगर स्थित एक कंपनी में नौकरी करते थे। कुछ दिनों पहले उनकी कोविड रिपोर्ट पाजिटिव आ गई थी। मृतक की पत्नी मानसी ने घर पर ही पति का उपचार शुरू कर दिया था। अचानक तबियत बिगड़ने पर उन्हें आनंद अस्पताल में भर्ती कराया गया। फेफड़ों में संक्रमण ज्यादा बढ़ने की वजह से हरि सिंह की मृत्यु हो गई। रविवार को मृतक के दस साल के बेटे आयुष ने पिता को अग्नि दी। मृतक की पत्नी अपने पति की धधकती चिता देखकर यही कहती रही हे भगवान, तूने कैसा अनर्थ कर दिया। मेरे बच्चों को अब पिता का प्यार कौन देगा। वही मृतक के स्वजन का कहना है कि प्रार्थना पत्र देने के बावजूद भी नगर निगम की टीम ने उनके घर को सैनिटाइज नहीं किया। जिसकी वजह से परिवार के अन्य सदस्यों को भी संक्रमण होने का डर है। हास्पिटल नहीं जाऊंगी, चाहे प्राण चले जाएं

गाडविन कालोनी निवासी सुरेश कुमार के मुताबिक उनकी मा शीला देवी कई दिनों से बीमार चल रही थीं। इसी बीच जाच कराई तो कोविड रिपोर्ट पाजिटिव आ गई। परिवार के लोगों ने बुजुर्ग महिला को हास्पिटल में भर्ती करने के लिए कहा, लेकिन महिला ने हास्पिटल में भर्ती होने से इंकार कर दिया। स्वजन के अनुसार उनका कहना था कि कोरोना से मचे हाहाकार के बीच हास्पिटलों में मरीजों की दुर्गति हो रही है। ऐसी स्थिति में भगवान चाहे मेरे प्राण क्यों न ले लें, लेकिन में हास्पिटल नहीं जाऊंगी। आखिर वही हुआ जिसका स्वजन को डर था। दो दिन बाद महिला की मृत्यु हो गई। दाह संस्कार के बाद बुजुर्ग महिला के बेटे ने स्वजन से कहा की हास्पिटल चली जातीं तो शायद मा की जान बच जाती।


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