पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देंगे तो हल होगी समस्या
हर सोमवार को होने वाली अकादमिक संगोष्ठी के अंतर्गत ‘क्या होनी चाहिए भारत की पाकिस्तान नीति’ पर विमर्श हुआ। वक्ता थे पूर्व प्रशासनिक अधिकारी प्रभात रॉय।
मेरठ (दुर्गेश तिवारी)। भारत से पाकिस्तान का बंटवारा 14 अगस्त-1947 को हुआ। तत्कालीन नीति निर्माताओं ने उस वक्त ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा कि वे अगली पीढ़ियों को ऐसा घाव देकर जा रहे हैं जो नासूर बन जाएगा। पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद वैश्विक जगत में कुछ उम्मीदें जरूर जगीं पर उसके बाद के घटनाक्रमों ने इन कयासों पर विराम लगा दिया है। ‘क्या होनी चाहिए भारत की पाकिस्तान नीति’। सोमवार को दैनिक जागरण की अकादमिक संगोष्ठी में इसी विषय पर चर्चा हुई। वक्ता थे पूर्व प्रशासनिक अधिकारी व विदेश मामलों के जानकार प्रभात रॉय।
अतिथि के विचार
जिंदगी संस्कृति से चलती है जबकि धर्म, संस्कृति का ही एक तत्व है। पाकिस्तान आतंक, भूख, बेरोजगारी के साथ-साथ धर्माधता और पागलपन के विचारों से भी जूझ रहा है। इसकी बागडोर सेना के हाथ में है, जो मनमाफिक ढंग से सत्ता का रुख मोड़ती है। इसके बावजूद भारतीय नेतृत्व वार्ता के जरिए इस समस्या का हल ढूंढने की बात कर रहा है। लाल बहादुर शास्त्री को अपवाद मान लें तो अब तक किसी प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के मुद्दे पर स्पष्ट सोच और नीति का पालन नहीं किया।
इस पर भी करना होगा विचार
हमारे पास रॉ जैसी सक्रिय व मजबूत एजेंसी है लेकिन अमेरिका की सीआइए या पाक की आइएसआइ जैसी संरचनात्मक मजबूती और सक्रियता अभी भी इसमें नहीं है। दोनों देश के नेताओं में वह इच्छाशक्ति भी नहीं दिखती जिससे लगे कि आने वाले समय में यह समस्या खत्म होगी। इसके अलावा यूपीए शासनकाल में सेना ने 10 से भी ज्यादा सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ऑपरेशन किए। वर्तमान सरकार ने दो साल में ऐसा एक ऑपरेशन किया। इसका प्रचार-प्रसार वैश्विक स्तर पर हुआ, जो नहीं करना चाहिए था।
क्या होनी चाहिए भारत की नीति
ढुलमुल रवैये के कारण कश्मीर के हालात बदतर हो चुके हैं। सैनिक शहीद हो रहे हैं, घुसपैठ जारी है। पाकिस्तान परस्त आतंकवाद व घुसपैठ पर भारतीय नेतृत्व ने कभी निर्णायक जवाब नहीं दिया। फिर भी कुछ बिंदुओं पर अमल करके इसका हल निकालने में मदद मिल सकती है-
1. आंतरिक स्तर पर तोड़ने की नीति: पाकिस्तान कश्मीर में आंतरिक स्तर पर सक्रिय होकर उसे तोड़ने की कोशिश में है, उसी तरह भारत को भी बलूचिस्तान, सिंध, वजीरिस्तान में सक्रिय पाक विरोधी गुटों को समर्थन देकर पाक सेना व नेतृत्व के खिलाफ चल रहे अभियानों को बढ़ावा देना चाहिए।
2. सामने लाएं पाक का सच: पाकिस्तान अपनी कल्याणकारी योजनाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ, आइएमएफ व कई तरह के संगठनों के अनुदान पर निर्भर है। भारत को वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की करतूत उजागर कर उसे कमजोर करना चाहिए।
3. छद्म युद्ध पर काबू: तीस साल से पाकिस्तान की ओर से छद्म युद्ध चालू है। ऐसे में भारत को चाहिए कि वह इन योजनाओं को निष्क्रिय करने की दिशा में त्वरित कदम उठाए।