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स्कूली शिक्षा में मिली प्रोन्नति, 2020 एवं 2021 में छात्र-छात्राओं को नहीं मिले स्कूलों में अंकपत्र

छात्र-छात्राओं को नहीं मिले स्कूलों में अंकपत्र स्कूली शिक्षा में भले ही 12 से 15 साल तक पढ़ाई होती हो लेकिन करियर या अन्य जगहों पर जरूरत केवल 10वीं व 12वीं के मार्कशीट यानी अंकपत्र की होती है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 07:48 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 07:48 PM (IST)
स्कूली शिक्षा में मिली प्रोन्नति, 2020 एवं 2021 में छात्र-छात्राओं को नहीं मिले स्कूलों में अंकपत्र
छात्र-छात्राओं को नहीं मिले स्कूलों में अंकपत्र।

मेरठ, जेएनएन। स्कूली शिक्षा में भले ही 12 से 15 साल तक पढ़ाई होती हो, लेकिन करियर या अन्य जगहों पर जरूरत केवल 10वीं व 12वीं के मार्कशीट यानी अंकपत्र की होती है। एक समय था जब कक्षा पांच व आठ की परीक्षाएं भी बोर्ड परीक्षा की तरह दूसरे केंद्र पर जाकर देनी पड़ती थीं। तब उनका महत्व भी बोर्ड परीक्षा की मार्कशीट की ही तरह था। बदली शिक्षा नीति में आठवीं तक सभी बच्चों को पास किया जाने लगा, लेकिन सभी की परीक्षा होती है और उन्हें अंकपत्र भी प्रदान किया जाता है। व्यक्तिगत तौर पर यह अंक पत्र हर किसी को प्रिय होते हैं। कोविड महामारी में साल 2020 और 2021 में कक्षा एक से 12वीं तक प्रोन्नत होकर पहुंचे अधिकतर छात्रों को अंकपत्र नहीं मिल सके।

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दो साल में पांच लाख से अधिक रहे वंचित

जिले में इस साल परिषदीय विद्यालयों में कक्षा आठवीं तक करीब 1.29 लाख बच्चे हैं। इसी तरह माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा छह से आठवीं तक 63,297, नौवीं

में 44,228 और 11वीं में 42,545 छात्र-छात्राएं हैं। वर्ष 2020 में 16 मार्च से ही स्कूल बंद होने के कारण स्कूलों में न परीक्षा हो सकी न ही रिजल्ट तैयार हुए।

सभी बच्चों को अगली कक्षा में प्रोन्नत किया गया। वर्ष 2021 में मार्च में स्कूल चल रहे थे, इसलिए शहरी क्षेत्र के माध्यमिक स्कूलों ने तो परीक्षा करा कर रिजल्ट दे दिया, लेकिन अधिकतर वंचित ही रहे। वहीं परिषदीय स्कूलों में इस साल भी परीक्षा नहीं हो सकी। इन दो सालों में दो कक्षा आगे बढ़ चुके बच्चे बिना परीक्षा व अंकपत्र की ही आगे बढ़े हैं।

12वीं तक न पहुंचा दे तीसरी लहर

यूपी बोर्ड में पाठ्यक्रम समिति के सदस्य एवं केके इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डा. वीर बहादुर ङ्क्षसह के अनुसार वर्ष 2020 में आठवीं से नौवीं में आए बच्चे इस

साल 10वीं भी बिना परीक्षा के ही पास होने जा रहे हैं। अगर कोविड की तीसरी लहर या उसके बाद भी स्थिति ऐसी ही रही तो यह बच्चे बिना परीक्षा 11वीं से 12वीं में भी पहुंच जाएंगे। इस तरह यह बैच अपनी मेहनत से एक भी परीक्षा पास किए बिना 12वीं में पहुंच जाएगा, क्योंकि आठवीं तक फेल नहीं होते हैं और उसके बाद परीक्षा ही नहीं हुई।

पिछले साल रिजल्ट देने की थी तैयारी

बेसिक शिक्षा विभाग में जिला समन्वयक प्रशिक्षण रश्मि अहलावत के अनुसार 2020 की परीक्षा के लिए अंक पत्र छपकर आ गए थे और वितरण के लिए बीआरसी में दिए भी गए थे, लेकिन न परीक्षा हुई न ही अंक पत्र वितरित हुए। इस साल पहले ही प्रोन्नत के निर्देश आ गए तो पिछले साल के ही छपे हुए अंकपत्र भी रखे ही रह गए।


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