तेल का खेल : सूखे टैंक से निकला हजारों लीटर तेल, पूर्ति विभाग भी सवालों के घेरे में Meerut News
एडीएम सिटी का कहना है कि अवैध स्टॉक को छिपाने का नया तरीका पकड़ में आने के बाद अब सभी मिट्टी तेल डिपो डीजल और पेट्रोल पंपों के टैंकों की जांच नये सिरे से की जाएगी।
मेरठ, जेएनएन। छापेमारी के दौरान 70 हजार लीटर केरोसिन का अवैध स्टॉक ऐसे ही नहीं मिल गया। एडीएम सिटी के नेतृत्व में टीम जैसे ही डिपो पर पहुंची, डीएसओ विकास गौतम, एआरओ किशोर कुमार, इंस्पेक्टर शेखर पांडेय, जोगेंद्र सिंह और अजय सिंह ने डिपो के सभी टैंक में तेल की माप शुरू की। डिपो पर 70-70 हजार लीटर की क्षमता के चार भूमिगत टैंक हैं। रिकार्ड के मुताबिक, डिपो में कुल 47 हजार लीटर मिट्टी का तेल होना चाहिए था। तीन टैंकर पहली जांच में खाली मिले। एक में निर्धारित मात्रा में तेल था।
जब गेज नीचे गया तो चला पता
एडीएम सिटी ने बताया कि शक होने पर खाली मिले टैंकों में फिर से गेज डाला गया। टैंक फिर सूखा मिला। गेज को तेजी से मारा तो टैंक के भीतर कुछ टूटा और गेज नीचे चला गया। नीचे तेल था। इसके बाद टैंकों को फिर से जांचा तो सभी में तेल मिला। अवैध स्टॉक रखने के इस तरीके ने अफसरों को चौंका दिया। एडीएम सिटी अजय तिवारी ने बताया कि अवैध स्टॉक को छिपाने का नया तरीका पकड़ में आने के बाद अब सभी मिट्टी तेल डिपो, डीजल और पेट्रोल पंपों के टैंकों की जांच नये सिरे से की जाएगी।
बार-बार पहुंचती है टीम कोई नहीं पकड़ पाया
अफसरों का दावा है कि इस डिपो में समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है। आपूर्ति विभाग में लंबे समय से नौकरी कर रहे निरीक्षकों ने भी तेल छिपाने के इस तरीके पर आश्चर्य जताया। शहरभर में निरीक्षण और छापामारी के दौरान दो दिन पहली भी एक टीम ने इस डिपो का निरीक्षण किया था लेकिन कुछ गड़बड़ी नहीं मिली थी।
पूर्ति विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल
मिलावटी तेल के खेल का पर्दाफाश करने के बाद अब खाद्य आपूर्ति विभाग की कार्रवाई दिखाई देने लगी है। इन सबके बीच अहम सवाल यह भी उठना लाजिमी है कि जब ऐसे मामले लगातार पकड़े जा रहे हैं तो कार्रवाई पहले क्यों नहीं हुई। जिस पूर्ति विभाग को समय-समय पर छापामारी करनी चाहिए थी वह सोता रहा। आरोप तो यह भी लगता रहा है कि मिलावट का खेल पूर्ति विभाग की मिलीभगत से ही चलता है। जब भी इस संबंध में पूर्ति विभाग से पूछा गया तो यही जवाब आया कि डीएम द्वारा निर्देश मिलने पर टीम बनाकर छापामारी होती है जबकि शासनादेश है कि जिलापूर्ति अधिकारी टीम बनाने में खुद सक्षम अधिकारी हैं।
डीएम के निर्देश का इंतजार क्यों
डीएम के पास तमाम कार्य होते हैं। ऐसे में हर बार छापामारी के लिए डीएम के ही निर्देश का इंतजार क्यों। यही नहीं, क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी व पूर्ति निरीक्षक भी जांच कर सकते हैं लेकिन पूर्ति विभाग का कोई अधिकारी ऐसी कार्रवाई करता कभी नहीं दिखा। क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी किशोर कुमार ने बताया कि एडीएम सिटी के निर्देशन में गठित टीम छापामारी कर रही है। उन्हें प्रशासन के निर्देश का इंतजार रहता है।