Move to Jagran APP

Illegal Books In Meerut: अवैध किताबें छापने के 'मास्टर' निकले चाचा-भतीजे, इन प्रकाशकों की भी छाप रहे थे पुस्‍तकें

अवैध किताबों के फर्जीवाड़े में नए राजफाश हो रहे हैं। मुख्य आरोपित संजीव गुप्ता और सचिन गुप्ता NCERT के अलावा कई और बड़े प्रकाशकों की किताबें भी अवैध रूप से छाप रहे थे।

By Prem BhattEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 08:00 AM (IST)
Illegal Books In Meerut: अवैध किताबें छापने के 'मास्टर' निकले चाचा-भतीजे, इन प्रकाशकों की भी छाप रहे थे पुस्‍तकें

मेरठ, [सुशील कुमार]। अवैध किताबों के फर्जीवाड़े में रोजाना नए राजफाश हो रहे हैं। मुख्य आरोपित संजीव गुप्ता और सचिन गुप्ता के बारे में पता चला है कि वे एनसीईआरटी के अलावा कई और बड़े प्रकाशकों की किताबें भी अवैध रूप से छाप रहे थे। उनके गोदाम में बहुचर्चित आरडी शर्मा की गणित और कुमार मित्तल की भौतिकी की भी किताबें मिली हैं। कई किताबों की कीमत एक हजार रुपये तक है। गुरुवार को दिल्ली के एक प्रकाशन ने परतापुर थाने पहुंचकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की।

loksabha election banner

कई किताबें शहर के प्रकाशकों की भी

माना जा रहा है कि चाचा-भतीजा एनसीईआरटी किताबों से भी ज्यादा रकम बड़े प्रकाशनों की किताब अवैध रूप से छापकर जुटा रहे थे। एनसीईआरटी से भी ज्यादा मुनाफा इन किताबों की छपाई में है। संभव है कि कुछ और बड़े प्रकाशक संजीव और सचिन गुप्ता के खिलाफ कॉपीराइट एक्ट का मुकदमा दर्ज करा सकते हैं। बता दें कि 21 अगस्त को छापामारी के दौरान परतापुर के अछरौंडा और गजरौला में छापामारी कर बड़ी संख्या में एनसीईआरटी व अन्य प्रकाशकों की किताबें बरामद की गई थीं। इनमें कई किताबें शहर के प्रकाशकों की भी हैं। इंस्पेक्टर आनंद मिश्रा का कहना है कि यदि कोई प्रकाशन मुकदमा दर्ज कराना चाहता है तो तहरीर दे। पुलिस तत्काल मुकदमा दर्ज करेगी।

उत्तराखंड से ब्लैकलिस्ट हो चुके थे संजीव गुप्ता

पुलिस ने संजीव और सचिन गुप्ता का इतिहास खंगालना शुरू कर दिया है। भगत सिंह कोश्यारी सरकार के समय संजीव ने वहां किताब छापने का टेंडर लिया था। सत्ता पक्ष के एक विधायक ने मदद की थी। वहां भी अवैध ढंग से पुस्तकों को छापना शुरू किया। पता चलने पर संजीव का टेंडर निरस्त कर उन्हें हमेशा के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया। उसके बाद संजीव ने मेरठ के कई प्रकाशन की किताबें छापनी शुरू कर दीं। 2015 में विद्या प्रकाशन की शिकायत पर किताबें पकड़ी गई थीं। उस समय भी टीपीनगर थाना पुलिस ने संजीव को क्लीनचिट दे दी थी। क्लीनचिट मिलने के बाद संजीव ने मेरठ के अलावा गजरौला में प्रिंटिंग प्रेस लगाकर अवैध रूप से पुस्तकों को छापकर कई राज्यों में सप्लाई का नेटवर्क खड़ा कर लिया। पुलिस का मानना है कि इस साल भी संजीव और सचिन करीब 100 करोड़ रुपये की किताबों को खपा चुके हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.