Illegal Books In Meerut: राहुल जैन के लिए तीन प्रकाशन छापते हैं NCERT की अवैध किताबें, पुलिस कसेगी शिकंजा
भाजपा नेता संजीव गुप्ता के अलावा भी मेरठ में अवैध एनसीईआरटी किताबों का बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। तीन प्रिंटिंग प्रेस पर दिल्ली निवासी राहुल जैन के लिए किताबों की छपाई करती हैं।
मेरठ, जेएनएन। भाजपा नेता संजीव गुप्ता के अलावा भी मेरठ में अवैध एनसीईआरटी किताबों का बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। तीन बड़ी प्रिंटिंग पर प्रेस दिल्ली के दरियागंज निवासी राहुल जैन के लिए किताबों की छपाई करती हैं। राहुल जैन ने भी मेरठ में अपना बड़ा नेटवर्क खड़ा कर रखा है, जो प्रेस से सीधे किताबों को दुकानदारों के पास पहुंचा देता है। पुलिस ने तीनों प्रिंटिंग प्रेस के नाम जुटा लिए हैं। एक प्रिंटिंग प्रेस ने तो दूसरे नाम से एनसीईआरटी की छपाई का अधिकृत टेंडर भी ले रखा है। उसकी रिपोर्ट भी पुलिस एनसीईआरटी को भेजेगी, ताकि टेंडर निरस्त कराया जा सके।
तीस जुलाई को पकड़ा था ट्रक
30 जुलाई को लिसाड़ीगेट थाने के नूर नगर से एनसीईआरटी की अवैध किताबों से भरा मिनी ट्रक पकड़ा गया था। मिनी ट्रक के चालक शकूर और माल स्वामी दिल्ली के दरियागंज निवासी राहुल जैन के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। संजीव और सचिन गुप्ता के गोदाम से करोड़ों का माल बरामद होने के बाद पुलिस ने उस मुकदमे की विवेचना भी विस्तार से शुरू कर दी। सामने आया कि राहुल जैन की किताबें नौचंदी स्थित ऑफसेट, मोहकमपुर फेज वन स्थित आफसेट तथा एक प्रिंटिंग प्रेस में छापी जाती थीं।
पुलिस राहुल जैन को पकड़ेगी
पुलिस इन प्रेस स्वामियों को भी मुकदमे में आरोपित बनाने जा रही है। राहुल जैन की धरपकड़ के लिए भी पुलिस टीम बना रही है। तीनों प्रिंटिंग प्रेस से किताब छपाई के बाद राहुल यहीं के डीलरों को सप्लाई देता था। यूपी के कई अन्य शहरों में भी राहुल वहीं की प्रेस से छपाई करने के बाद किताबों को उसी शहर में बेच देता था। पुलिस जांच में सामने आ रहा है कि राहुल जैन और संजीव गुप्ता में एनसीईआरटी की अवैध किताबों की बिक्री के लिए प्रतिस्पर्धा भी रहती थी।
टेंडर एक का, छाप रहे थे पूरी किताबें
एनसीईआरटी ने जिन प्रिंटिंग प्रेस को टेंडर दिया हुआ है। उनमें भी कुछ ऐसी भी हैं, जिनको एक किताब छापने का टेंडर मिला है। मोहकमपुर स्थित एनसीईआरटी के अधिकृत छपाई करने वाले प्रिंटर्स भी सभी किताबें छाप रहे हैं। एक किताब एनसीईआरटी को दी जाती है। बाकी किताबों को बाजार में बेच दिया जाता है। सवाल है कि बाकी किताबों की छपाई के लिए कागज कहां से आता है। लगातार खुल रही परतों से सामने आ रहा है कि महानगर में अवैध किताबों का बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है, जो सरकार को मोटा चूना लगा रहे हैं। सबसे अहम सवाल है कि एनसीईआरटी की विजिलेंस टीम हर बार निरीक्षण कर लौट जाती थी। वह वास्तव में पकड़ नहीं पाए या देखकर अनदेखा करते रहे।
एनसीईआरटी के अफसर भी घिरने लगे
पुलिस की विवेचना में सामने आ रहा है कि किताबों की अवैध छपाई में एनसीईआरटी के कुछ अधिकारी आदि भी मिले हुए हैं। पुलिस विस्तार से जांच कर रही है। एसटीएफ की टीम भी संजीव और सचिन गुप्ता के अलावा अन्य प्रिंटिंग प्रेस की जानकारी जुटा रही है।