मैंने महात्मा गांधी को देखा है, मेरठ में कई जगह पड़े हैं उनके पदचिह्न
मेरठ में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने गांधी को देखा और वह उन स्मृतियों को आज तक भी नहीं भूल पाएं हैं। उनमें से 94 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमरनाथ गुप्ता एक हैं। गांधी जी से वह मेरठ में दो बार मिले थे।
मेरठ, जेएनएन। मेरठ में गांधी जी के पदचिह्न कई जगह पड़े, वे जगह आज भी गांधी जी की याद दिलाती हैं। वहीं मेरठ में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने गांधी को देखा और वह उन स्मृतियों को आज तक भी नहीं भूल पाएं हैं। उनमें से 94 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमरनाथ गुप्ता एक हैं। गांधी जी से वह मेरठ में दो बार मिले थे। संत स्वभाव के गांधी जी से मिलकर वे इतने प्रभावित हुए कि दिल्ली जाकर उनकी प्रार्थना सभा में भी शामिल होते थे। सदर में रहने वाले अमरनाथ गुप्ता ने नौ अगस्त 1942 को सीएबी स्कूल पर लगे ब्रिटिश शासन के झंडे को उखाड़ दिया था। उस समय उनकी आयु 14 साल थी। इसके बाद उन्हें स्कूल से निष्कासित कर दिया गया था। 1946 तक उन्हें शहर के किसी स्कूल में दाखिला नहीं मिला। इसके बाद अमरनाथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ जुड़ गए। अमरनाथ बताते हैं कि देश जब आजाद हुआ तो 1947 में मेरठ कॉलेज में उन्हें दसवीं में प्रवेश मिला था। बकौल अमरनाथ वह गांधी जी से दो बार मेरठ में मिले थे। पहली बार वह बच्चा पार्क में पंडित रामस्वरूप शर्मा के घर मिले। दूसरी बार बुढ़ाना गेट निवासी रामकृपाल सिंह के घर आए थे। गांधी जी का व्यक्तित्व जितना विशाल था, उनका स्वभाव उतना ही सरल। वह बड़े आत्मीयता से मिलते थे। टाउनहाल में उनका एक कार्यक्रम था, उस समय वहां बहुत भीड़ थी, इसलिए वहां से वापस चला आया। गांधी जी के सचिव प्यारेलाल थे। उनसे अधिक संपर्क रहा।