मुठभेड़ पर मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, मारा गया था 20 साल का युवक
सरधना में हुई मुठभेड़ का मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने पूछा है कि जब इरशाद का कोई आपराधिक इतिहास नहीं था उसे क्यों मारा।
By Ashu SinghEdited By: Published: Fri, 30 Nov 2018 12:52 PM (IST)Updated: Fri, 30 Nov 2018 12:52 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। सरधना थाना पुलिस की मुठभेड़ में मारे गए 20 साल के इरशाद को लेकर मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर खुद संज्ञान लिया है। प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी ओपी सिंह को नोटिस भेजकर चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। नोटिस में कहा गया है कि मृतक का कोई आपराधिक इतिहास नहीं था। फिर उसे क्यों मार दिया गया?
वेबसाइट पर किया सार्वजनिक
मानवाधिकार आयोग ने अपनी वेबसाइट पर इसे सार्वजनिक किया है। इसमें कहा गया है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट से साबित हो रहा है कि एनकाउंटर में कोई झोल है। मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है कि क्या मुठभेड़ वास्तव में असली है। इसके मानवाधिकार आयोग ने प्रमाण भी मांगे हैं। बता दें कि इस मुठभेड़ की अभी मानवाधिकार आयोग में किसी भी पीड़ित पक्ष से कोई शिकायत नहीं की गई है। गौरतलब है कि 28 नवंबर को सरधना पुलिस चेकिंग कर रही थी। द्रोण पब्लिक स्कूल के पास पिक-अप गाड़ी बैलों से भरी आई। जिसके बाद पुलिस ने गाड़ी का पीछा किया। सरूरपुर थाना क्षेत्र में पहुंचने के बाद पुलिस की मुठभेड़ हुई। जिसमें पुलिस का दावा है कि दोनों तरफ से गोली चली और इरशाद को गोली लग गई। बाकी बदमाश फरार हो गए।
फरार आरोपितों के नजदीक पहुंची पुलिस
मुठभेड़ की जांच कर रहे दारोगा अविनाश कुमार अष्ठवाल ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान फरार हुए पांच साथियों के नाम पुलिस के पास आ गए है। दो गो-तस्कर मृतक इरशाद के गांव नंगला के रहने वाले हैं। जबकि तीन बदमाश झिंझाना के रहने वाले बताए गए है। दावा किया जा रहा है कि जल्द ही आरोपितों को पकड़ लिया जाएगा। वहीं, बरामद पिक-अप गाड़ी वैसे तो हरियाणा के यमुनानगर से रजिस्टर्ड है, लेकिन उसका मालिक कौन है। अभी यह पता नहीं चला है।
‘इरशाद के परिजनों को दें मुआवजा’
गुरुवार को हापुड़ रोड पर आदर्श सेवा समिति की बैठक हुई, जिसमें अध्यक्ष अनस चौधरी ने आरोप लगाया कि सरधना में फर्जी मुठभेड़ हुई है। गोतस्करी का आरोप लगाकर इरशाद की हत्या कर दी गई। इस मामले में सरधना के अलावा सरूरपुर थाना पुलिस भी शामिल है। दोनों थानों में तैनात थानेदारों व अन्य पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया जाए। उनकी मांग है कि मृतक के परिजनों को कम से कम 10 लाख रुपये का मुआवजा व परिवार में किसी एक को सरकारी नौकरी दी जाए। उसके दो छोटे भाइयों की शिक्षा का खर्च सरकार उठाए। इस मौके पर इंतजार, अंकुर, टीपू, फैज अल्वी, अरमान, गुड्ड, अरमान, आरिफ, शहजाद आदि उपस्थित रहे।
‘गोतस्करी के नाम पर हो रहे फर्जी एनकाउंटर’
सत्ताधारी पार्टी फूट डालो और राज करो अंग्रेजों की नीति पर काम कर रही है। यह बात मोमिन अन्सार सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद अकरम अंसारी ने प्रेस वार्ता में कहीं। हापुड रोड स्थित नूरजहां पैलेस में आयोजित की गई प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि सत्ताधारी पार्टी सत्ता हासिल करने के लिए ऐसे मुद्दे ला रही है जिससे नागरिकों में एक-दूसरे के प्रति गलतफहमियां जन्म ले रही हैं। उन्होंने कहा कि पूरा देश बुनकर, दस्तकार, कारोबारी वर्ग समस्याओं से जूझ रहा है। उन्होंने एनकाउंटर पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि गौ तस्करों के नाम पर पुलिस द्वारा फर्जी एनकाउंटर किए जा रहे हैं। उन्होंने इस अवसर पर संगठन के बारे में बताते हुए कहा कि मोमिन अन्सार सभा गैर राजनैतिक संगठन है। जहां से जाति, धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठ कर सभी उपेक्षित इंसानों के उत्थान के लिए काम किया जा रहा है। इस मौके पर जिलाध्यक्ष नसीम अंसारी, प्रदेश महामंत्री मेराजुद्दीन, यासिर अंसारी, रईस अहमद, रिजवान अहमद, फजल करीम आदि मौजूद रहे।
इनका कहना है
मानवाधिकार को सुबूतों के साथ पूरी रिपोर्ट दी जाएगी। इस मुठभेड़ की चाहे कोई भी एजेंसी जांच कर ले। पुलिस कभी किसी को जानबूझकर नहीं मारती।
-राजेश कुमार, एसपी देहात
वेबसाइट पर किया सार्वजनिक
मानवाधिकार आयोग ने अपनी वेबसाइट पर इसे सार्वजनिक किया है। इसमें कहा गया है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट से साबित हो रहा है कि एनकाउंटर में कोई झोल है। मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है कि क्या मुठभेड़ वास्तव में असली है। इसके मानवाधिकार आयोग ने प्रमाण भी मांगे हैं। बता दें कि इस मुठभेड़ की अभी मानवाधिकार आयोग में किसी भी पीड़ित पक्ष से कोई शिकायत नहीं की गई है। गौरतलब है कि 28 नवंबर को सरधना पुलिस चेकिंग कर रही थी। द्रोण पब्लिक स्कूल के पास पिक-अप गाड़ी बैलों से भरी आई। जिसके बाद पुलिस ने गाड़ी का पीछा किया। सरूरपुर थाना क्षेत्र में पहुंचने के बाद पुलिस की मुठभेड़ हुई। जिसमें पुलिस का दावा है कि दोनों तरफ से गोली चली और इरशाद को गोली लग गई। बाकी बदमाश फरार हो गए।
फरार आरोपितों के नजदीक पहुंची पुलिस
मुठभेड़ की जांच कर रहे दारोगा अविनाश कुमार अष्ठवाल ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान फरार हुए पांच साथियों के नाम पुलिस के पास आ गए है। दो गो-तस्कर मृतक इरशाद के गांव नंगला के रहने वाले हैं। जबकि तीन बदमाश झिंझाना के रहने वाले बताए गए है। दावा किया जा रहा है कि जल्द ही आरोपितों को पकड़ लिया जाएगा। वहीं, बरामद पिक-अप गाड़ी वैसे तो हरियाणा के यमुनानगर से रजिस्टर्ड है, लेकिन उसका मालिक कौन है। अभी यह पता नहीं चला है।
‘इरशाद के परिजनों को दें मुआवजा’
गुरुवार को हापुड़ रोड पर आदर्श सेवा समिति की बैठक हुई, जिसमें अध्यक्ष अनस चौधरी ने आरोप लगाया कि सरधना में फर्जी मुठभेड़ हुई है। गोतस्करी का आरोप लगाकर इरशाद की हत्या कर दी गई। इस मामले में सरधना के अलावा सरूरपुर थाना पुलिस भी शामिल है। दोनों थानों में तैनात थानेदारों व अन्य पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया जाए। उनकी मांग है कि मृतक के परिजनों को कम से कम 10 लाख रुपये का मुआवजा व परिवार में किसी एक को सरकारी नौकरी दी जाए। उसके दो छोटे भाइयों की शिक्षा का खर्च सरकार उठाए। इस मौके पर इंतजार, अंकुर, टीपू, फैज अल्वी, अरमान, गुड्ड, अरमान, आरिफ, शहजाद आदि उपस्थित रहे।
‘गोतस्करी के नाम पर हो रहे फर्जी एनकाउंटर’
सत्ताधारी पार्टी फूट डालो और राज करो अंग्रेजों की नीति पर काम कर रही है। यह बात मोमिन अन्सार सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद अकरम अंसारी ने प्रेस वार्ता में कहीं। हापुड रोड स्थित नूरजहां पैलेस में आयोजित की गई प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि सत्ताधारी पार्टी सत्ता हासिल करने के लिए ऐसे मुद्दे ला रही है जिससे नागरिकों में एक-दूसरे के प्रति गलतफहमियां जन्म ले रही हैं। उन्होंने कहा कि पूरा देश बुनकर, दस्तकार, कारोबारी वर्ग समस्याओं से जूझ रहा है। उन्होंने एनकाउंटर पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि गौ तस्करों के नाम पर पुलिस द्वारा फर्जी एनकाउंटर किए जा रहे हैं। उन्होंने इस अवसर पर संगठन के बारे में बताते हुए कहा कि मोमिन अन्सार सभा गैर राजनैतिक संगठन है। जहां से जाति, धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठ कर सभी उपेक्षित इंसानों के उत्थान के लिए काम किया जा रहा है। इस मौके पर जिलाध्यक्ष नसीम अंसारी, प्रदेश महामंत्री मेराजुद्दीन, यासिर अंसारी, रईस अहमद, रिजवान अहमद, फजल करीम आदि मौजूद रहे।
इनका कहना है
मानवाधिकार को सुबूतों के साथ पूरी रिपोर्ट दी जाएगी। इस मुठभेड़ की चाहे कोई भी एजेंसी जांच कर ले। पुलिस कभी किसी को जानबूझकर नहीं मारती।
-राजेश कुमार, एसपी देहात
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