आप कैसे बचेंगे कोरोना और प्रदूषण दोनों से, जानने के लिए पढ़िए मास्क लगाने के फायदे Meerut News
जैसे-जैसे मौसम में बदलाव हो रहा है। कोरोना के साथ ही प्रदूषण का भी खतरा बढ़ गया है। ऐसे में अब मास्क आपकी सुरक्षा करेगा। प्रदूषित हवा का असर मरीजों पर नजर आने लगा है। खांसी गले में दर्द नाक की एलर्जी और सांस फूलने के लक्षण मिल रहे हैं।
मेरठ, जेएनएन। एनसीआर में वायु प्रदूषण और कोरोना का दोहरा आक्रमण है। फेफड़े बेहद संवेदनशील और नाजुक अंग हैं। इन्हें रोजाना पांच गुना विषाक्त हवा का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश में सबसे प्रदूषित हवा मेरठ मंडल में बह रही है। यहां पीएम2.5 की मात्रा एनसीआर के कई शहरों से ज्यादा है। केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने 52 टीमें निगरानी के लिए नियुक्त की हैं। इन टीमों की नजर अब तक मेरठ में बढ़ रहे प्रदूषण पर नहीं पड़ी है। विशेषज्ञों ने बताया है कि मास्क जहां कोरोना से बचाएगा, वहीं पार्टीकुलेट मैटर को फेफड़ों में जाने से भी रोकेगा।
ऐसे हो रहे बीमार
गाजियाबाद के पर्यावरण वैज्ञानिक डा. एसके त्यागी ने बताया कि एनसीआर में सड़कों की धूल, कंस्ट्रक्शन कारोबार, औद्योगिक इकाइयां, पुराने वाहन, कचरों को जलाने एवं फसलों को जलाने से हवा खराब हो रही है। सॢदयों में हवा की गति मंद पडऩे से प्रदूषित कण बिखर नहीं पाते हैं। ऐसे में सांस की परत में आकर लोगों को बीमार बनाने लगते हैं। लाकडाउन के बाद औद्योगिक इकाइयां पूरी रफ्तार से चल पड़ी हैं। इससे वायु प्रदूषण बढ़ेगा। केंद्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक सप्ताहभर से गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, बुलंदशहर, बागपत और मेरठ में एक्यूआइ 300 से ज्यादा बनी हुई है, खतरनाक सूक्ष्म कण यानी पीएम 2.5 की उच्चतम मात्रा 400 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज की गई है। यह निर्धारित मानक 60 से करीब सात गुना है।
प्रदूषित शहरों का आंकड़ा
शहर एक्यूआइ पीएम2.5 की उच्चतम मात्रा
लखनऊ 361 500
बुलंदशहर 344 454
गाजियाबाद-लोनी 338 442
मेरठ-पल्ल्वपुरम 333 411
नोएडा 324 413
बागपत 306 415
मुजफ्फरनगर 257 360
इनका कहना है
प्रदूषित हवा का असर मरीजों पर नजर आने लगा है। खांसी, गले में दर्द, नाक की एलर्जी और सांस फूलने के लक्षण मिल रहे हैं। पीएम2.5 और पीएम10 से सांस की नलिकाओं में सूजन बनती है। ये रासायनिक कण जेनेटिक बदलाव कर कई अन्य खतरनाक बीमारियां बना सकते हैं। मास्क लगाने से कोरोना व प्रदूषण दोनों से बचाव मिलेगा।
- डा. सुमित उपाध्याय, नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ