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CCSU में जारी हुई ई कार्यशाला, अच्छे शोध करने को बताए तरीके Meerut News

सीसीएसयू में ई कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें एक अच्‍छे शोध करने को लेकर जानकारी दी गई। इस दौरान इसके गुणवत्‍ता पर विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 01:30 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 01:30 AM (IST)
CCSU में जारी हुई ई कार्यशाला, अच्छे शोध करने को बताए तरीके Meerut News
CCSU में जारी हुई ई कार्यशाला, अच्छे शोध करने को बताए तरीके Meerut News

मेरठ, जेएनएन। CCSU के राजनीति विज्ञान विभाग के पं. दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ में चल रहे ई कार्यशाला में शोध की गुणवत्ता पर विशेषज्ञों ने प्रकाश डाला। कहा कि अच्छे शोध के लिए विषय की गहराई में उतरना होगा।

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इन बातों पर दिया जोर

राजनीति विज्ञान के प्रो. पवन शर्मा ने कहा कि हमें अपने प्राचीन ज्ञान परंपरा से भी सीखना है। डा. राजेंद्र कुमार पांडेय ने कहा कि शोधार्थियों को शोध करते समय शोध के मूल में जाने की आवश्यकता है। तभी वह प्रमाणिक और गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य कर पाएंगे। कहा कि अंग्रेजी भाषा में कोई भी शोध कार्य किया जाता है तो उसका अर्थ यह नहीं है कि वह शोध प्रामाणिक और उच्च कोटि का है। अपनी भाषा में भी शोध किया जा सकता है। अंग्रेजी के एसोसिएट प्रोफेसर विकास शर्मा ने प्रतिभागियों को समकालीन शोध के विभिन्न आयामों के बारे में बताया। शोधार्थी को शोध विषय का चयन कैसे करना चाहिए। उसे भी बताया। प्रो. एनएन पांडेय ने कहा कि शोधार्थी तभी अच्छा शोध कार्य कर पाएंगे जब शोध निर्देशक मूल्यांकन करें। वह देखें कि शोधार्थी परिश्रमी, जिज्ञासु प्रवृत्ति के हैं या नहीं।

प्रो. आसिफ ने दी कुछ अहम जानकारी

जेएनयू के प्रो. मजहर आसिफ ने कहा कि प्राचीन सनातन ज्ञान परंपरा में सभी विषयों और क्षेत्रों में शोध किया गया है। प्राचीन भारत में उन्नत किस्म की कृषि की जाती थी। 400 प्रकार के फल, 200 तरह की फसलें उगाई जाती थी। वर्तमान समय में हमने भारतीय ज्ञान परंपरा में बोई जाने वाली बहुत सी फसलों को लगाना ही बंद कर दिया है। गोरखपुर से प्रो. मुरली मनोहर पाठक ने प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा और समकालीन ज्ञान विज्ञान की परंपरा के विषय में बताया।  


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