यहां ‘सीमा’ पार से पढ़ने आती हैं बेटियां, दो शिफ्टों में लगता है स्कूल Meerut News
लिसाड़ी गेट थाने के निकट स्थित इस स्कूल में बच्चे अधिक और जगह कम होने के कारण दो शिफ्ट में स्कूल संचालित होता है। प्राथमिक विद्यालय दो शिफ्टों में लगता है।
By Taruna TayalEdited By: Published: Sat, 03 Aug 2019 06:07 PM (IST)Updated: Sat, 03 Aug 2019 06:07 PM (IST)
मेरठ, [अमित तिवारी]। बच्चा अभी धान के खेत में काम करने गया है, कुछ दिन बाद स्कूल जाएगा, त्योहार में ननिहाल गया है 15 दिन बाद लौटेगा, अमरूद के बाग की रखवाली में लगा है इसलिए स्कूल नहीं पहुंचा, माता-पिता काम पर गए हैं मुझे छोटी बहन की देखरेख करनी है, कल स्कूल आऊंगी। पंजीकृत बच्चों को स्कूल लाने निकली शिक्षिकाओं को छात्र रास्ते के किनारे आम का ठेला लगाते मिला। परिषदीय स्कूलों से बच्चों के दूर रहने के यही प्रमुख कारण होते हैं। कुछ सरकारी स्कूल ऐसे भी हैं, जहां बच्चे घर के निकट स्थित स्कूलों की सीमा पार कर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक कन्या विद्यालय प्रहलाद नगर में दाखिला कराने पहुंच रहे हैं।
टेस्ट के बाद ही होता है दाखिला
लिसाड़ी गेट थाने के निकट स्थित इस स्कूल में बच्चे अधिक और जगह कम होने के कारण दो शिफ्ट में स्कूल संचालित होता है। प्राथमिक विद्यालय सुबह सात बजे से दोपहर 12 बजे तक और उच्च प्राथमिक विद्यालय दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक चलता है। इस सत्र में अब तक प्राथमिक में 406 और उच्च प्राथमिक में करीब ढाई सौ बेटियों का दाखिला हो चुका है। कम जगह होने के कारण दाखिले के लिए आने वाले बच्चों को प्रवेश परीक्षा में भी शामिल किया जाता है। स्कूल में समर गार्डन, तारापुरी रोड, मियां मो. नगर, इत्तेफाकनगर, शौकत कॉलोनी आदि जगहों के बच्चे पढ़ते हैं।
सिर्फ ड्रेस वितरण व परीक्षा में सौ फीसद उपस्थिति
परिषदीय स्कूलों में बच्चों को ड्रेस, जूते-मोजे, स्वेटर, किताबें प्रदान किए जाते हैं, जिस दिन इन सामग्रियों का वितरण होता है उन दिनों में सौ फीसद उपस्थिति रहती है। वार्षिक परीक्षा में भी सभी बच्चे उपस्थित रहते हैं। पूरे सत्र के दौरान पंजीकृत बच्चों में 30 से 35 फीसद बच्चे लगातार अनुपस्थित रहते हैं।
बच्चे सीखकर निकलें, यही है कोशिश
स्कूल की प्रधानाध्यापिका अदीबा के अनुसार स्कूल की हर छात्र को कुछ सिखाकर भेजने की कोशिश हर शिक्षिका करती है। उनके साथ छह शिक्षामित्र प्राथमिक में और जूनियर में चार शिक्षक व तीन अनुदेशक कार्यरत हैं। परिजन निजी स्कूलों से बच्चों को निकालकर यहां दाखिला कराने आ रहे हैं। चौथी या पांचवीं के लिए भी बच्चों का टेस्ट लेने पर उन्हें अक्षर ज्ञान तक नहीं है। इसीलिए शिक्षिकाएं बच्चों का टेस्ट लेती हैं जिससे बच्चों के साथ परिजनों में भी पढ़ाई के प्रति गंभीरता आए। फेल होने पर बच्चे अधिक तैयारी के साथ आते हैं।
टेस्ट के बाद ही होता है दाखिला
लिसाड़ी गेट थाने के निकट स्थित इस स्कूल में बच्चे अधिक और जगह कम होने के कारण दो शिफ्ट में स्कूल संचालित होता है। प्राथमिक विद्यालय सुबह सात बजे से दोपहर 12 बजे तक और उच्च प्राथमिक विद्यालय दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक चलता है। इस सत्र में अब तक प्राथमिक में 406 और उच्च प्राथमिक में करीब ढाई सौ बेटियों का दाखिला हो चुका है। कम जगह होने के कारण दाखिले के लिए आने वाले बच्चों को प्रवेश परीक्षा में भी शामिल किया जाता है। स्कूल में समर गार्डन, तारापुरी रोड, मियां मो. नगर, इत्तेफाकनगर, शौकत कॉलोनी आदि जगहों के बच्चे पढ़ते हैं।
सिर्फ ड्रेस वितरण व परीक्षा में सौ फीसद उपस्थिति
परिषदीय स्कूलों में बच्चों को ड्रेस, जूते-मोजे, स्वेटर, किताबें प्रदान किए जाते हैं, जिस दिन इन सामग्रियों का वितरण होता है उन दिनों में सौ फीसद उपस्थिति रहती है। वार्षिक परीक्षा में भी सभी बच्चे उपस्थित रहते हैं। पूरे सत्र के दौरान पंजीकृत बच्चों में 30 से 35 फीसद बच्चे लगातार अनुपस्थित रहते हैं।
बच्चे सीखकर निकलें, यही है कोशिश
स्कूल की प्रधानाध्यापिका अदीबा के अनुसार स्कूल की हर छात्र को कुछ सिखाकर भेजने की कोशिश हर शिक्षिका करती है। उनके साथ छह शिक्षामित्र प्राथमिक में और जूनियर में चार शिक्षक व तीन अनुदेशक कार्यरत हैं। परिजन निजी स्कूलों से बच्चों को निकालकर यहां दाखिला कराने आ रहे हैं। चौथी या पांचवीं के लिए भी बच्चों का टेस्ट लेने पर उन्हें अक्षर ज्ञान तक नहीं है। इसीलिए शिक्षिकाएं बच्चों का टेस्ट लेती हैं जिससे बच्चों के साथ परिजनों में भी पढ़ाई के प्रति गंभीरता आए। फेल होने पर बच्चे अधिक तैयारी के साथ आते हैं।
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