अस्पतालों के चक्कर काट काटकर दम तोड़ रहे मजबूर... और यहां बिक रही ‘जिंदगी’
हालात जैसे दिख रहे हैं हकीकत में उससे कहीं ज्यादा भयावह हैं। प्रशासन ने निजी अस्पतालों में कोविड वार्ड खोलकर करीब तीन हजार बेड बना लिए लेकिन ये किसी काम के नहीं। प्राइवेट अस्पताल..नो बेड कहकर स्थानीय मरीजों को भर्ती करने से मना कर देते हैं...
मेरठ, जेएनएन। हालात जैसे दिख रहे हैं, हकीकत में उससे कहीं ज्यादा भयावह हैं। प्रशासन ने निजी अस्पतालों में कोविड वार्ड खोलकर करीब तीन हजार बेड बना लिए, लेकिन ये किसी काम के नहीं। प्राइवेट अस्पताल..नो बेड कहकर स्थानीय मरीजों को भर्ती करने से मना कर देते हैं, जबकि दलालों के माध्यम से नोएडा, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर एवं अमरोहा तक के मरीजों को बेड मिल जाता है। ऐसी कई आडियो क्लिप मिल चुकी हैं, जिसमें निजी अस्पतालों का पैकेज गेम खुलकर सामने आ गया है। विधायक व अधिकारियों तक की नहीं सुनी जा रही। प्रशासन ऐसे अस्पतालों पर शिकंजा कसने में नाकाम रहा है। उधर, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मनिंदरपाल सिंह ने निजी अस्पतालों के रवैये को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत की है।
दर्जनों आडियो सिस्टम में हो रहे खेल को सार्वजनिक कर रही हैं। समाज को बदलने और हर गरीब तक चिकित्सा पहुंचाने का दावा करने वाले निजी अस्पतालों को बिचौलिए संचालित कर रहे हैं। अस्पतालों ने आपदा में अवसर खोज लिया, और मजबूर मरीजों को भर्ती करने के बजाय पड़ोसी जिलों से आने वाले मरीजों को मोटी रकम लेकर भर्ती किया जा रहा है। यह रकम पांच लाख तक भी पहुंच जाती है। स्वास्थ्य विभाग निजी अस्पतालों में कोविड बेड बढ़ाता गया और ये बेड अमीरों या पैसा देने वालों को मिलता रहा। कोविड मरीजों को भर्ती कराने के लिए मोदीपुरम से लेकर बागपत रोड, नई दिल्ली रोड होते हुए गढ़ रोड और मवाना रोड के अस्पतालों का चक्कर काटने वालों ने बताया कि उनके सामने पैसे देकर लोगों को बेड दिए गए, जबकि वही अस्पताल नो बेड बता रहा था।
लागों का कहना है कि निजी अस्पतालों ने अधिकारियों व विधायक के कहने पर भी बेड नहीं दिया, जबकि इसी अस्पताल में बिचौलियों ने दर्जनों मरीजों को शिफ्ट कराया। निजी अस्पताल वाले रेमडेसिविर के लिए स्वजन पर दबाव बनाते हैं। तीन हजार का इंजेक्शन 50 हजार रुपये में बेचा गया। अस्पताल से जुड़े बिचौलियों ने इंजेक्शन भी उपलब्ध करा दिया।
सहकारी बैंक अध्यक्ष मनिंदर पाल सिंह ने बताया- मैंने दर्जनों मरीजों का अनुभव देखा। खुद कई को भर्ती कराने के लिए प्रयास किया, लेकिन सभी बेड भारी पैकेज वाले बाहरी मरीजों को बेचे जा रहे हैं। प्रशासन जांच करे कि भर्ती मरीजों में से मेरठ के कितने हैं? महामारी में भी अस्पतालों के इस रवैये को लेकर सीएम योगी से शिकायत की जाएगी।
सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने कहा- निजी अस्पतालों की गंभीर शिकायतें मिली हैं। कई अमानवीय पहलू भी सामने आए हैं। कोविड बेडों को लेकर अस्पताल झूठ न बोलें। जांच करवाई जाएगी। महामारी एक्ट के तहत लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है।