Move to Jagran APP

वर्दी वाला : आइजी से बड़ा है ‘उनका’Appointment Meerut News

शायद जनपद में महिला उत्पीड़न पर सुनवाई बीते दिनों की बात बन गई है। हो भी क्यों न जब ‘उनसे’ मिलने के लिए पीड़ितों को एप्वाइंटमेंट लेना पड़े। बात हम महिला थाने की कर रहे हैं।

By Taruna TayalEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 12:16 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 12:16 PM (IST)
वर्दी वाला : आइजी से बड़ा है ‘उनका’Appointment Meerut News

सुशील कुमार। शायद जनपद में महिला उत्पीड़न पर सुनवाई बीते दिनों की बात बन गई है। हो भी क्यों न, जब ‘उनसे’ मिलने के लिए पीड़ितों को एप्वाइंटमेंट लेना पड़े। बात हम महिला थाने की कर रहे हैं। यहां सक्षम अधिकारी के एप्वाइंटमेंट का इंतजार इतनी पीड़ा देता है कि पीड़ित उनसे मिलने के बजाय कुछ ही कदमों की दूरी पर बैठे कप्तान और आइजी से मिल लेते हैं। यह इंतजार एक या दो नहीं बल्कि कभी कभी तीन-चार घंटे का हो जाता है। इतनी देर में अफसरों को पीड़ित अपना दर्द बयां कर घर लौट जाते हैं। यह तो सिर्फ मिलने की बात थी। उससे ज्यादा उलझनें और भी हैं। थाने में पीड़ितों के वाहन ले जाने पर भी प्रतिबंध है। पीड़ित थाने के बाहर वाहन खड़ा करें तो उसे चोर चुरा ले जाते हैं, तो कभी यातायात पुलिस की टीम उठा ले जाती है।

loksabha election banner

एकबार सुनकर आवाज पहचानती पुलिस

भले ही हमारी पुलिस अपराध काबू में करने पर हांफ जाती हो लेकिन बिना फोरेंसिक लैब के ही वॉइस पहचान लेती है। पुलिस में समझने की शक्ति इतनी ज्यादा है कि एकबार आवाज उनके कान में पड़ जाए, फिर दोबारा वही आवाज सुनाई दी तो पकड़ लेती है। हम बात कर रहे हैं हाल के चर्चित मवाना कांड की। दुष्कर्म पीड़िता ने इंसाफ नहीं मिलने पर मौत को गले लगा लिया। पुलिस ने तीन ऑडियो रिकाडिर्ंग को आधार बनाकर पूरा केस ही बदल दिया। छात्र के परिवार को जेल भेज दिया, जबकि छात्र के लिखे सुसाइड नोट को पहचान नहीं पाई। उसे पहचान करने के लिए फोरेंसिक लैब भेज दिया। लैब रिपोर्ट आने पर ही पीड़ितों को राहत मिल सकेगी। मवाना के लोगों को तो बस अब एक कहावत याद आ रही है, भाई ये पुलिस है, जो चाहे तो रस्सी का सांप बना देती है।

सत्‍ता से डोला खाकी का सिंहासन

एक ट्रैक्टर ने इन दिनों पुलिस की नींद उड़ा दी है। एक थाना प्रभारी के तो सपने में भी ट्रैक्टर आने लगा है। यह ट्रैक्टर आम नहीं हैं, क्योंकि इसके मालिक जो खास हैं। बात कुछ दिनों पहल की है। पल्लववपुरम क्षेत्र में ट्रैक्टर ने हादसे को अंजाम दे दिया। सत्ता का रसूख दिखाकर ट्रैक्टर के मालिक उसकी जगह हादसे में दूसरा ट्रैक्टर लगाने की जिद करने लगे। उनकी पहुंच ऊपर तक होने के बाद अफसर भी ट्रैक्टर को बदलने के लिए तैयार हो गए। थाना प्रभारी ने ट्रैक्टर बदलने के बजाय मुकदमे में अंकित कर दिया। उसके बाद तो ट्रैक्टर स्वामी इतने बिगड़े की थानेदार को हटाने की धमकी देने लगे। थाना प्रभारी को हटाने के लिए कई जनप्रतिनिधि भी कप्तान अजय साहनी से गुहार लगा चुके। उसके बाद थानेदार का सिंहासन डोल रहा है। अब देखना है कि कुर्सी जाएगी या बचेगी।

कुर्सी से दूर होते हैं कष्ट

खाकीवालो की भी महिमा अलग ही है। जब तक कुर्सी पर बैठा दिया जाए तो विभाग की तारीफ शुरू हो जाती है। अगर कुर्सी खींच ली जाए तो विभाग के अफसरों पर उत्पीडऩ का आरोप लगा दिया जाता है। हम बात हाल ही में मवाना थाने में तैनात इंस्पेक्टर राजेंद्र त्यागी की कर रहे हैं। तत्कालीन एसएसपी ने उन्हें थाने के चार्ज से हटा दिया, तब इंस्पेक्टर साहब की एक वीडियो सोशल साइट्स पर आ गई थी, जिसने लखनऊ तक धूम मचाई। वीडियो में इंस्पेक्टर पुलिस के अफसरों पर उत्पीडऩ का आरोप लगा रहे थे। इंस्पेक्टर की इस हरकत से विभाग की फजीहत हुई, अफसरों को शर्मसार होना पड़ा। अब इंस्पेक्टर फिर से अफसरों की गुड बुक में आ गए। उन्होंने मवाना थाना प्रभारी के लाइन हाजिर होते ही थाने की कुर्सी झपट ली। कुर्सी में मोह में अब अफसर अच्छे हो गए। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.