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गंभीर बीमारियों को दावत दे रहे हैं मेरठ में इन जगहों पर पड़े कचरे व कूड़े के ढेर

दिल्ली रोड से जैन नगर होते हुए रेलवे स्टेशन को जाने वाले मार्ग पर मवाना रोड पुल से डिफेंस कालोनी के बगल से कसेरूखेड़ा को जाने वाली आबूनाला रोड पर पांडव नगर में गन्ना भवन के पास सड़क किनारे पड़ने वाला कचरा बीमारी का घर बन गया है।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 02:26 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 02:26 PM (IST)
गंभीर बीमारियों को दावत दे रहे हैं मेरठ में इन जगहों पर पड़े कचरे व कूड़े के ढेर
गंभीर बीमारियों को दावत दे रहे हैं मेरठ में इन जगहों पर रखे कचरे व कूड़े के ढेर

जागरण संवाददाता, मेरठ। दिल्ली रोड से जैन नगर होते हुए रेलवे स्टेशन को जाने वाले मार्ग पर, मवाना रोड पुल से डिफेंस कालोनी के बगल से कसेरूखेड़ा को जाने वाली आबूनाला रोड पर, पांडव नगर में गन्ना भवन के पास सड़क किनारे पड़ने वाला कचरा बीमारी का घर बन गया है। सुबह-शाम यहां लगने वाले कचरे के ढेर से भीषण दुर्गंध उठ रही है। जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं। बढ़ते डेंगू-मलेरिया समेत अन्य तरह की बीमारियों की आशंका से भयभीत हैं। इन खत्तों से निजात दिलाने की मांग लोग कर रहे हैं। कई बार नगर निगम अधिकारियों को पत्र लिख चुके हैं। उनसे मुलाकात कर गंदगी से निजात दिलाने की गुहार लगा चुके हैं। लेकिन नगर निगम अफसरों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। ये बात दीगर है कि शासन से होने वाली वीडियो कांफ्रेंसिंग में रोजाना निगम अफसर डेंगू समेत अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए विशेष सफाई अभियान चलाने के कागजी दावे कर रहे हैं।

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मेरठ नगर निगम क्षेत्र में रिकार्ड में तो 56 ढलाव घर ही हैं। लेकिन अस्थायी खत्तों की संख्या 146 के ऊपर है। इनमें से कुछ खत्ते तो सड़क पर ही मौजूद हैं। इनमें मवाना रोड पुल से कसेरूखेड़ा को जाने वाली सड़क पर खत्ता मौजूद है। आसपास न्यू मीनाक्षापुरम कसेरूखेड़ा, डिफेंस कालोनी, आजाद नगर, रक्षापुरम समेत आसपास की करीब एक दर्जन कालोनियां हैं। इनका कचरा ही यहां डंप होता है। नगर निगम ट्रैक्टर ट्राली से यहां से कचरा दोपहर में उठाता है। लेकिन कचरे की गंदगी कभी साफ नहीं होती है। कचरे से छनने वाला लीचेट (गंदा पानी )से उठती दुर्गंध वातावरण को प्रदूषित कर रही है। अक्सर सड़क से गुजरने वाले स्थानीय लोगों को मुंह पर रुमाल लगाकर निकलते हुए देखा जा सकता है। इसी तरह ईदगाह से जैननगर होते हुए रेलवे स्टेशन को जाने वाली यह सड़क है। इस सड़क पर खत्ता कई सालों से मौजूद है। जैननगर, देवपुरी, ईदगाह, आनंदपुरी, दशमेश नगर समेत करीब एक दर्जन मोहल्लों का कचरा इसी खत्ते पर डंप होता है। खत्ते से करीब आधी सड़क आवागमन के लिए बची है तो आधी सड़क खत्ते ने घेर रखी है। पांडव नगर में गन्ना भवन के पास सड़क पटरी पर कई साल से खत्ता है। गन्ना भवन के अधिकारियों ने कई बार इस पर आपत्ति जताई। निगम अफसरों ने इसे समाप्त करने का आश्वासन भी दिया लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात है।

कैसे मिलेगी बीमारियों से निजात

सवाल ये है कि जब सड़क खुले खत्ते बने रहेंगे तो बीमारियों से कैसे निजात मिलेगी। इन दिनों डेंगू, मलेरिया समेत अन्य बीमारियां पैर पसार रही हैं। इनकी रोकथाम के लिए शासन-प्रशासन एड़ी-चोटी का जोर लगाए है। लेकिन सड़क पर मौजूद खत्ते अफसरों की तैयारी की पोल खोल रहे हैं। ये खत्ते तो उदाहरण हैं। ऐसे कई और भी हैं।

योजना है...लेकिन इन खत्तों का समाधान चाहिए

नगर निगम ने पांच स्थानों पर कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन की योजना बनाई है। बच्चा पार्क चौराहे, हापुड़ रोड कमेला के पास, माधवपुरम, मंगलपांडे नगर और नगलाताशी में कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन बनाए जा रहे हैं। इसी तरह 25 खुले खत्तों को दीवार बनाकर कवर्ड करने की भी योजना है। लेकिन जैननगर, कसेरूखेड़ा और पांडवनगर के सड़क पर पड़ने वाले खत्तों से निजात चाहते हैं। क्योंकि ये खत्ते आते-जाते हर व्यक्ति को परेशान करते हैं।

सहायक नगर आयुक्त प्रथम ब्रजपाल सिंह ने कहा: जैननगर रोड, कसेरूखेड़ा नाला रोड और पांडव नगर के खत्तों को समाप्त करना है। इनको सड़क से शिफ्ट करने के लिए नगर निगम जमीन तलाश रहा है। जमीन उपलब्ध होते ही इन्हें समाप्त किया जाएगा। 


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