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चमोली में ग्लेशियर टूटा, हिल गया खादर

उत्तराखंड के चमोली जनपद में ग्लेशियर टूटने से गंगा नदी की सहायक नदी ऋषि गंगा ने रौद्र रूप धारण कर लिया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2021 02:30 AM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2021 02:30 AM (IST)
चमोली में ग्लेशियर टूटा, हिल गया खादर
चमोली में ग्लेशियर टूटा, हिल गया खादर

मेरठ, जेएनएन। उत्तराखंड के चमोली जनपद में ग्लेशियर टूटने से गंगा नदी की सहायक नदी ऋषि गंगा ने रौद्र रूप धारण कर लिया और उत्तराखंड में फिर से पानी का सैलाब आ गया। चमोली में ही हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पूर्ण रूप से नष्ट हो गया। जैसे ही इसकी सूचना खादर क्षेत्र में पहुंची तो यहां के लोगों की धड़कने बढ़ गई। खादर क्षेत्र में हड़कंप की स्थिति बनी रही। खादर क्षेत्र में तैयारियों का जायजा लेने के लिए डीएम के बालाजी, एडीएम, एसडीएम व सिचाई विभाग के अधिकारियों ने जायजा लिया। वहीं प्रशासन की ओर से गंगा के तटवर्ती गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की चेतावनी दी गई है। उत्तराखंड के चमोली में तबाही का वीडियो वायरल होते हुए खादर क्षेत्र के लोगों के पास पहुंचा तो लोग दहशत में आ गए। परिचितों व स्वजन को फोन मिलाने शुरू कर दिए और ताजा स्थिति से रूबरू होने के लिए आतुर नजर आए। वहीं, तेज गति से आगे बढ़ रहे पानी को लेकर प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। रविवार की दोपहर डीएम के बालाजी, एडीएम वित्त एवं राजस्व सुभाष चंद प्रजापति, एडीएम प्रशासन, उपजिलाधिकारी मवाना कमलेश कुमार गोयल के साथ खादर क्षेत्र के गांव फतेहपुर प्रेम के समीप पहुंचे। वहां उन्होंने ग्रामीणों से वार्ता की और सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा।

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टूटे तटबंध वाले स्थान पर सबसे ज्यादा खतरा

बीते वर्ष बाढ़ के दौरान शेरपुर के सामने से गंगा नदी के कटान ने तटबंध को तोड़ दिया था। इसके बाद इसी स्थान से निकले पानी ने खादर क्षेत्र में तबाही मचाई थी। उसके बाद इस तटबंध की मरम्मत नहीं कराई गई। वर्तमान में सबसे अधिक खतरा इसी स्थान पर है। हालांकि प्रशासन व सिचाई विभाग के अधिकारी शेरपुर के सामने तटबंध पर पहुंचे और अस्थायी तटबंध का निर्माण कराना शुरू किया।

ट्रैक्टर लेकर गंगा किनारे पहुंचे किसान

गंगा का जलस्तर बढ़ने की सूचना मिलते ही किसान अपने खेतों की ओर दौड़ पड़े और खेतों में रखे कृषि यंत्र, पानी का इंजन समेत सभी सामन को सुरक्षित स्थानों पर ले गए। इसके बाद टूटे तटबंध वाले स्थान पर ट्रैक्टर से ही मिट्टी की अस्थायी दीवार बनानी शुरू कर दी। किसानों के हौसले को देखकर लग रहा था कि रात रात में ही वे मिट्टी का काफी ऊंचा तटबंध बना देंगे।

प्रशासन ने गांवों में कराई मुनादी

गंगा नदी में बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने गंगा के तटवर्ती गांवों में लोगों को सचेत करने के लिए मुनादी करा दी। इसमें लोगों को गंगा के समीप न जाने, खेतों पर न जाने व सामान को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की सलाह दी गई।

..तो पलेज वालों को होगा सबसे अधिक नुकसान

गंगा नदी के जलस्तर में अधिक वृद्धि होने पर सबसे अधिक नुकसान खादर क्षेत्र में पलेज लगाने वालों को होगा। ये लोग गंगा की बाढ़ समाप्त होते ही अपना काम शुरू कर देते हैं। बिजनौर से आए भोलू ने कहा कि पलेज पर ही झोपड़ी इत्यादि बनाने में महीनेभर से ज्यादा का वक्त लग जाता है। अब पानी सब बहाकर ले जाएगा।


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