शारीरिक शिक्षा में गिल्ली-डंडा भी शामिल
नई शिक्षा नीति के तहत चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और उससे जुड़े कालेजों में
मेरठ, जेएनएन। नई शिक्षा नीति के तहत चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और उससे जुड़े कालेजों में संचालित बीए शारीरिक शिक्षा का पाठ्यक्रम तय हो गया है। पहली बार पाठ्यक्रम में परंपरागत खेलों को भी शामिल किया है। इनमें छात्र गिल्ली-डंडा, स्टापू, कंचे, गुट्टे जैसे खेलों के विषय में पढ़ेंगे और उनका अभ्यास भी करेंगे।
रविवार को स्नातक में शारीरिक शिक्षा का पाठ्यक्रम तय करने के लिए पाठ्यक्रम समिति की बैठक हुई। इसमें राज्य सरकार की ओर से तैयार पाठ्यक्रम में 30 फीसद संशोधन के साथ स्वीकार किया गया। शारीरिक शिक्षा में छह सेमेस्टर होंगे। पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे में एक प्रैक्टिकल और एक थ्योरी को रखा गया है। पांचवें सेमेस्टर में दो थ्योरी और दो प्रैक्टिकल हैं। छठे सेमेस्टर में भी दो थ्योरी और दो प्रैक्टिकल रखे गए हैं। इसके अलावा दो माइनर पेपर का सिलेबस तय किया गया है। जिसे शारीरिक शिक्षा के अलावा अन्य विषय में छात्र ले सकेंगे। इन कोर्स में योग और स्वास्थ्य को शामिल किया गया है। शारीरिक शिक्षा पाठ्यक्रम में पतंजलि के योग सूत्र को भी रखा गया है। शारीरिक शिक्षा में हर सेमेस्टर में प्रैक्टिकल भी रखा गया है। कुश्ती, कबड्डी जैसे खेल को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। शारीरिक शिक्षा विषय के विशेषज्ञ डा. एसएन सिंह के मुताबिक हर सेमेस्टर में छात्र को एक खेल लेना अनिवार्य है।
अर्जुन अवार्डी अलका तोमर भी पाठ्यक्रम का हिस्सा
शारीरिक शिक्षा में उत्तर प्रदेश के ऐसे खिलाड़ी जो ओलंपिक तक पहुंचे, उन्हें भी शामिल किया गया है। इनमें विश्वविद्यालय से निकलीं अर्जुन अवार्डी अलका तोमर, अर्जुन अवार्डी अनुज कुमार जैसे खिलाड़ियों को भी शामिल किया गया है।