कोख के कातिलों ने निकाला तोड़, अब मोबाइल से भी कर रहे भ्रूण लिंग जांच Meerut News
थाईलैंड से गुपचुप मंगाए गए चीनी टेबलेट से लिंग जांच का खेल चल रहा है। यह डिवाइस जेब में भी रख सकते हैं।
By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 04:22 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 04:22 PM (IST)
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। माफ करना बेटियों...! अब हम तुम्हें गर्भ में भी नहीं बचा पा रहे हैं। लिंग जांच का रैकेट चलाने वाले चीनी टेबलेट के जरिए भ्रूण में ताकझांक करने लगे हैं। इसे मोबाइल से कनेक्ट कर मिनटभर में भ्रूण का लिंग पता कर लिया जाता है। थाईलैंड से मंगाई गई यह डिवाइस रोजाना छह हजार रुपए किराये पर उपलब्ध है। इस हथकंडे पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी हैरान हैं।
कोख के कातिलों ने निकाला तोड़
एक जुलाई-2017 से प्रदेश में चल रही मुखबिर योजना के तहत मेरठ में स्वास्थ्य विभाग ने गत एक साल में 11 केंद्रों पर लिंग जांच के रैकेट पकड़े। लिंगानुपात को लेकर प्रदेश सरकार सख्त हुई तो कोख के कातिलों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। दलालों ने अपने तार थाईलैंड और चीन तक जोड़ लिए। स्वास्थ्य विभाग ने हाल में मेरठ में अलग-अलग स्थानों पर छापामारी कर चार ऐसे चीनी टेबलेटों को जब्त किया, जिससे गर्भवती के भ्रूण की जांच कुर्सी पर बैठकर भी की जा सकती है। इस टेबलेट से मोबाइल को जोड़कर भ्रूण को स्क्रीन पर देख लिया जाता है। इसमें किसी तार का भी प्रयोग नहीं होता।
छह हजार रुपये में किराये पर उपलब्ध
ये तरीका इतना शातिराना है कि व्यक्ति बात करते-करते महिला की जांच कर सकता है और किसी को इसका संदेह तक न होगा। विभागीय अधिकारियों ने माना कि मेरठ में आधा दर्जन से ज्यादा रैकेट सक्रिय हैं। ये टेबलेट रोजाना छह हजार रुपये किराए पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। महिला को अल्ट्रासाउंड केंद्र तक जाने की जरूरत भी नहीं। एजेंट गर्भवती का बीपी नापने के बहाने घर पहुंचकर लिंग जांच कर रहे हैं।
विभाग डाल-डाल...धंधेबाज पात-पात
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. राजकुमार ने बताया कि पिछले एक साल में टीम ने मिथ्या ग्राहकों की मदद से 11 केंद्रों पर लिंग जांच पकड़ी। अल्ट्रासाउंड केंद्रों में गुपचुप पहुंचकर पैसे जब्त करते हुए स्टिंग आपरेशन के दौरान फिगर प्रिंट का प्रमाण जुटाया जाता है। अब दलाल स्टिंग से बचने के लिए अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर फीस जमा करके वैधानिक तरीके से जांच कराते हैं। इससे नकद का कोई लेनदेन ही नहीं होता। महिला रिपोर्ट लेकर घर चली जाती है। डाक्टर शाम तक फोन पर दलाल को लिंग की जानकारी दे देता है। उधर, दलाल तीन दिन बाद डाक्टर का पैसा पहुंचा देता है। ऐसे में जांच टीम कोई नकदी नहीं पकड़ पाती है।
ये है गर्भवती की जांच का नियम
केंद्र में गर्भवती का नाम, मोबाइल नंबर और पूरा पता दर्ज होता है। इसी रिकार्ड के आधार पर स्वास्थ्य विभाग की टीम महिला का प्रसव तक फालोअप लेती है। अगर बीच में गर्भपात हुआ तो कारण बताना पड़ेगा।
इन्होंने बताया
चीनी टेबलेट को मोबाइल से जोड़कर मिनटभर में भ्रूण के लिंग का पता लगाया जा रहा है। इसे पैंट के पॉकेट में रखकर व्यक्ति कहीं भी घूम सकता है। मेरठ में यह टेबलेट किराये पर उपलब्ध है। यह पूरी तरह प्रतिबंधित है। उधर, स्टिंग से बचने के लिए दलालों ने अल्ट्रासाउंड केंद्रों में नकदी का लेनदेन बंद कर दिया है। लिंग की जानकारी शाम तक फोन पर दे दी जाती है।
- डा. प्रवीण कुमार गौतम, प्रभारी, पीसीपीएनडीटी सेल, स्वास्थ्य विभाग
कोख के कातिलों ने निकाला तोड़
एक जुलाई-2017 से प्रदेश में चल रही मुखबिर योजना के तहत मेरठ में स्वास्थ्य विभाग ने गत एक साल में 11 केंद्रों पर लिंग जांच के रैकेट पकड़े। लिंगानुपात को लेकर प्रदेश सरकार सख्त हुई तो कोख के कातिलों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। दलालों ने अपने तार थाईलैंड और चीन तक जोड़ लिए। स्वास्थ्य विभाग ने हाल में मेरठ में अलग-अलग स्थानों पर छापामारी कर चार ऐसे चीनी टेबलेटों को जब्त किया, जिससे गर्भवती के भ्रूण की जांच कुर्सी पर बैठकर भी की जा सकती है। इस टेबलेट से मोबाइल को जोड़कर भ्रूण को स्क्रीन पर देख लिया जाता है। इसमें किसी तार का भी प्रयोग नहीं होता।
छह हजार रुपये में किराये पर उपलब्ध
ये तरीका इतना शातिराना है कि व्यक्ति बात करते-करते महिला की जांच कर सकता है और किसी को इसका संदेह तक न होगा। विभागीय अधिकारियों ने माना कि मेरठ में आधा दर्जन से ज्यादा रैकेट सक्रिय हैं। ये टेबलेट रोजाना छह हजार रुपये किराए पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। महिला को अल्ट्रासाउंड केंद्र तक जाने की जरूरत भी नहीं। एजेंट गर्भवती का बीपी नापने के बहाने घर पहुंचकर लिंग जांच कर रहे हैं।
विभाग डाल-डाल...धंधेबाज पात-पात
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. राजकुमार ने बताया कि पिछले एक साल में टीम ने मिथ्या ग्राहकों की मदद से 11 केंद्रों पर लिंग जांच पकड़ी। अल्ट्रासाउंड केंद्रों में गुपचुप पहुंचकर पैसे जब्त करते हुए स्टिंग आपरेशन के दौरान फिगर प्रिंट का प्रमाण जुटाया जाता है। अब दलाल स्टिंग से बचने के लिए अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर फीस जमा करके वैधानिक तरीके से जांच कराते हैं। इससे नकद का कोई लेनदेन ही नहीं होता। महिला रिपोर्ट लेकर घर चली जाती है। डाक्टर शाम तक फोन पर दलाल को लिंग की जानकारी दे देता है। उधर, दलाल तीन दिन बाद डाक्टर का पैसा पहुंचा देता है। ऐसे में जांच टीम कोई नकदी नहीं पकड़ पाती है।
ये है गर्भवती की जांच का नियम
केंद्र में गर्भवती का नाम, मोबाइल नंबर और पूरा पता दर्ज होता है। इसी रिकार्ड के आधार पर स्वास्थ्य विभाग की टीम महिला का प्रसव तक फालोअप लेती है। अगर बीच में गर्भपात हुआ तो कारण बताना पड़ेगा।
इन्होंने बताया
चीनी टेबलेट को मोबाइल से जोड़कर मिनटभर में भ्रूण के लिंग का पता लगाया जा रहा है। इसे पैंट के पॉकेट में रखकर व्यक्ति कहीं भी घूम सकता है। मेरठ में यह टेबलेट किराये पर उपलब्ध है। यह पूरी तरह प्रतिबंधित है। उधर, स्टिंग से बचने के लिए दलालों ने अल्ट्रासाउंड केंद्रों में नकदी का लेनदेन बंद कर दिया है। लिंग की जानकारी शाम तक फोन पर दे दी जाती है।
- डा. प्रवीण कुमार गौतम, प्रभारी, पीसीपीएनडीटी सेल, स्वास्थ्य विभाग
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