रैपिड रेल के ट्रैक पर जीडीए का 'रेड' सिग्नल
जीडीए ने शासन को पत्र लिखकर धनराशि देने से इन्कार कर दिया है। वहीं एनसीआरटीसी का कहना है कि प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य तय समय पर ही शुरू किया जाएगा।
मेरठ (दीपक भारद्वाज)। दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरीडोर ने छह महीने से रफ्तार पकड़ी है। पहले चरण में 16.5 किलोमीटर के होने वाले निर्माण में साहिबाबाद से दुहाई तक कार्य शुरू होना है। इसके लिए रोज टेंडर प्रक्रिया की जा रही है। इसी क्रम में जुलाई से शुरू होने जा रहे निर्माण कार्य से पहले ही गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने रेड सिग्नल दे दिया है। निर्माण कार्य में आने वाले खर्च को उसने देने से इन्कार कर दिया है। इसके चलते ही पहले चरण के लिए शुरू होने वाले निर्माण कार्य में देरी हो सकती है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने मेरठ विकास प्राधिकरण और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को रैपिड रेल के लिए धनराशि देने के लिए कहा था। इसमें एमडीए को दस करोड़ और जीडीए को 40 करोड़ रुपये एनसीआरटीसी (नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन) को देने हैं। जीडीए ने शासन को पत्र लिखकर धनराशि देने से इन्कार कर दिया है। वहीं एनसीआरटीसी का कहना है कि प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य तय समय पर ही शुरू किया जाएगा। मेरठ आगे जीडीए हो गया पीछे
रैपिड रेल कॉरीडोर के निर्माण कार्य को शुरू करने के लिए मेरठ विकास प्राधिकरण ने तेजी दिखाई है। एमडीए की तरफ से रैपिड रेल के खाते में दस करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए गए थे, लेकिन गाजियाबाद विकास प्राधिकरण धनराशि देने के मामले में पिछड़ गया। एमडीए और जीडीए की तुलना की जाए तो आय और क्षेत्रफल दोनों के मामले में जीडीए कहीं ज्यादा भारी नजर आता है। बावजूद इसके वह हाथ खड़े कर रैपिड रेल प्रोजेक्ट को संकट में डाल रहा है। जमीन देने में आगे जीडीए
एनसीआरटीसी को दी गई जमीन को दो भागों में बांटा गया है। स्थायी तौर पर 15 हजार 470 वर्ग मीटर जमीन दी गई है। वहीं अस्थायी तौर पर 82 हजार 104 वर्ग मीटर जमीन दी गई है। पहले चरण के लिए 97 हजार 574 वर्ग मीटर जमीन अप्रैल में दे दी गई थी। अस्थायी जमीन को निर्माण के समय जनता को परेशानी न हो इसलिए दिया गया है, वहीं इससे ही ग्रीन बेल्ट तैयार की जाएगी। स्थायी जमीन पर कॉरीडोर में शामिल स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा। अस्थायी जमीन को निर्माण खत्म होने के बाद गाजियाबाद नगर निगम को सौंप दिया जाएगा। ऐसे दी जाएगी प्रोजेक्ट की धनराशि
कॉरीडोर पर खर्च करने के लिए एनसीआरटीसी की तरफ से लेखा जोखा तैयार है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018-19 के बजट में 250 करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया है। वहीं केंद्र सरकार भी 2018-19 के बजट में 659 करोड़ देने की घोषणा कर चुकी है। एनसीआरटीसी के मुख्य संपर्क अधिकारी सुधीर कुमार शर्मा का कहना है कि शासन का आदेश है कि एमडीए और जीडीए धनराशि दें। एमडीए ने तो दस करोड़ दे दिया है, लेकिन जीडीए ने मना कर दिया है। हालांकि इससे प्रोजेक्ट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसके अलावा शासन ने भी अलग से बजट में 250 करोड़ का प्रावधान किया है। हमें तो शासन धनराशि उपलब्ध करा देगा।