Move to Jagran APP

बस्तियों के बच्चों को डिजिटली साक्षर बना रहीं मेरठ की मोनिका, ऐसे की सफर की शुरुआत

Digital Education मेरठ में डा. मोनिका अब तक करीब साढ़े चार हजार बच्चों को डिजिटल शिक्षा से जोड़ चुकी हैं और 120 बच्‍चों का विभिन्‍न स्‍कूलों में कराया दाखिला। यह हर किसी के लिए एक प्रेरणा लेने का विषय है। मोनिका के जज्‍बे को सलाम है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 01:30 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 01:30 PM (IST)
बस्तियों के बच्चों को डिजिटली साक्षर बना रहीं मेरठ की मोनिका, ऐसे की सफर की शुरुआत
Dr Monica Patel Meerut मेरठ की मोनिका जरूरतमंद बच्चों तक शिक्षा की जिम्‍मेदारी उठाई है।

अमित तिवारी, मेरठ। Dr Monica Patel Meerut सौ प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य पूरा करने की ओर देश बढ़ ही रहा है कि अब चुनौती डिजिटल साक्षरता की सामने आ चुकी है। कोविड महामारी में आनलाइन हुई शिक्षा ने लोगों की डिजिटल साक्षरता को परखा तो इसका स्तर साक्षरता से भी बहुत ज्यादा पीछे है। नई पीढ़ी के लिए अनिवार्य जरूरत बन चुकी डिजिटल साक्षरता बस्तियों में रहने वाले जरूरतमंद बच्चों की पहुंच से बहुत दूर है। ऐसे में बस्ती-बस्ती बच्चों को डिजिटल शिक्षा में साक्षर बनाकर नया सवेरा लाने की मुहिम डा. मोनिका पटेल और उनके आगे बढ़ा रहे हैं।

loksabha election banner

की-बोर्ड पर उंगलियां चली तो बढ़ा आत्मविश्वास

डा. मोनिका के अनुसार उनकी टीम मेरठ और हापुड़ में 10 जगहों पर डिजिटल शिक्षण का केंद्र चला रहे हैं। टैबलेट के जरिए बच्चों को पढ़ाने से उनके भीतर झिझक खत्म हो रही है। वह की-बोर्ड का इस्तेमाल सीखने के साथ ही उनमें अंग्रेजी के प्रति डर भी कम हो रहा है। इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा है। सोचने-समझने की क्षमता बढ़ रही है और ग्रुप में कार्य करना सीख रहे हैं। गूगल पर पढ़ाई की सामग्री कैसे खोजनी है आदि में बच्चों की रुचि देखने को मिल रही है। अब तक करीब 120 बच्चों का प्रवेश परिषदीय विद्यालयों या आरटीई के तहत विभिन्न स्कूलों में करा चुके हैं। स्कूल में प्रवेश के बाद भी इन बच्चों की डिजिटल क्लास हर दिन शाम को चलती रहती है।

पढ़ाई के दौरान शुरू हुआ सफर अब बना पैशन

डा. आंबेडकर डिग्री कालेज में शिक्षक के तौर पर कार्यरत डा. मोनिका पटेल ने वर्ष 2013 में पढ़ने के दौरान ही बस्तियों में बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे यह पैशन बन गया और दिसंबर 2016 में संगठन बनाकर इसे निरंतर क्लास की तरह संचालित करने लगे। कालेजों के प्रोफेसर और तेजस फाउंडेशन जैसी संस्थाओं ने बच्चों के लिए किताबें, टैबलेट, प्रवेश स्कूल से संबंधित अन्य सामग्री आदि मुहैया कराते गए और कारवां बढ़ता गया।

महिला जागरूकता से हुई शुरुआत शिक्षा तक पहुंची

ब्रह्मपुरी निवासी डा. मोनिका पटेल के अनुसार उन्होंने सबसे पहले महिला जागरूकता कार्यक्रमों से शुरुआत की थी। जरूरतमंद परिवारों के बीच पहुंचने पर बच्चों की शिक्षा व शिक्षण के स्तर को देखा तो इस ओर भी कदम बढ़ाया। पंख प्रोजेक्ट के अंतर्गत महिलाओं को भी बुनियादी शिक्षा से जोड़ रही हैं। इस मुहिम में वह और भी लोगों को जोडऩा चाहती हैं जिससे हर जरूरतमंद बच्चे तक डिजिटल शिक्षा से जुड़कर डिजिटल साक्षर बन सके।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.