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सहारनपुर की शाकंभरी चीनी मिल इस सत्र में न चली तो चुनाव का बहिष्कार, किसानों ने पंचायत में लिया निर्णय

सहारनपुर की शाकंंभरी शुगर मिल पिछले 6 पेराई सत्रों से बंद पड़ी हुई है। क्षेत्र के किसान लगातार मिल चलाए जाने की मांग करते आ रहे हैं जिसको लेकर किसानों ने दो वर्ष पहले लंबा आंदोलन किया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 11:32 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 11:32 PM (IST)
सहारनपुर की शाकंभरी चीनी मिल इस सत्र में न चली तो चुनाव का बहिष्कार, किसानों ने पंचायत में लिया निर्णय
चीनी मिल चलाने की मांग को लेकर सहारनपुर के गांव टोडरपुर में पंचायत करते किसान

सहारनपुर, जागरण संवाददाता। पिछले छह पेराई सत्रों से बंद पड़ी शाकंभरी शुगर मिल को चलाए जाने की मांग को लेकर किसानों ने पंचायत का आयोजन किया, जिसमें किसानों ने मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी मांग रखने और इस सत्र में भी मिल न चलने की दशा में आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया।

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किसानों को आश्वासन के सिवाय कुछ हासिल नहीं हुआ

गौरतलब है कि क्षेत्र की शाकुंभरी शुगर मिल पिछले 6 पेराई सत्रों से बंद पड़ी हुई है। क्षेत्र के किसान लगातार मिल चलाए जाने की मांग करते आ रहे हैं, जिसको लेकर किसानों ने दो वर्ष पहले लंबा आंदोलन किया था। आंदोलन के दौरान किसानों के आमरण अनशन को तो तत्कालीन जिलाधिकारी के समस्या के सकारात्मक समाधान के आश्वासन पर समाप्त करा दिया था। लेकिन किसानों को सिवाय आश्वासन के और कुछ हासिल नहीं हुआ।

गांव टोडरपुर में हुई पंचायत

सोमवार को क्षेत्र के गांव टोडरपुर में आयोजित पंचायत में क्षेत्रीय किसानों ने कहा कि उन्हें अपनी हजारों बीघा उपजाऊ जमीन शुगर मिल को चलाए जाने के लिए दी थी ताकि क्षेत्र का विकास हो सके परंतु मिल बंद होने से क्षेत्र के किसानों व मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट गहरा गया है। मिल को जमीन देने वाले लगभग 90 किसानों का उस समय मिल प्रबंध तंत्र के साथ एक एग्रीमेंट हुआ था, जिसमें मिल को जमीन देने वाले किसानों को योग्यता के आधार पर मिल में स्थाई तौर पर नौकरी दी गई थी, जिसके सहारे उन लोगों का परिवार का गुजारा चल रहा था। परंतु मिल बंद होने के साथ-साथ उन किसान परिवारों का रोजगार भी बंद हो गया। मिल को जमीन देने वाले किसान मिल बंदी के चलते भुखमरी के कगार पर हैं। मिल को जमीन देने वाले किसानों का कहना है कि यदि मिल नहीं चलाई जाती तो उनको उनकी जमीन वापस कर दी जाए। प्रबंध तंत्र द्वारा मिल को फर्जी तरीके से बीमार इकाई घोषित कर बंद किया गया है, जो कि किसानों के साथ घोर अन्याय है।

बोले किसान, प्रशासन मिल मालिक के हाथों की कठपुतली बना

प्रशासन मिल मालिक के हाथों की कठपुतली बनकर रह गया है। पंचायत में किसानों ने जल्द ही मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी मांग रखने का निर्णय लिया। साथ ही पंचायत में मिल न चलने की दशा में आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का भी ऐलान किया गया। इस मौके पर जायर हुसैन चांद, चौधरी ताहिर हसन, सतीश शर्मा, विजय शर्मा, प्रधान मुरसलीन ,चौधरी मुकर्रम, सुरेंद्र, देवी ङ्क्षसह, दर्शनलाल, यशङ्क्षवदर,अवनीश कांबोज, सोङ्क्षवदर कुमार, रवि कांबोज चौधरी आमिर आदि सैकड़ों किसान मौजूद रहे।


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