आयुर्वेद पर प्रश्न : IMA को डा. लक्ष्मीकांत ने दिखाया आइना, पढ़िए क्या लिखा पलटवार में
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर पलटवार किया है। पूछा है कि आयुर्वेद पर प्रश्न खड़ा करने वाले बताएं कि एलोपैथ में लक्षण आधारित चिकित्सा के अलावा कोई अन्य कारगर इलाज है?
मेरठ, जेएनएन। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं आयुर्वेदाचार्य डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर पलटवार किया है। उन्होंने पूछा है कि आयुर्वेद पर प्रश्न खड़ा करने वाले बताएं कि एलोपैथ में लक्षण आधारित चिकित्सा के अलावा कोई अन्य कारगर इलाज है?
उन्होंने लिखा है कि आइएमए अध्यक्ष ने पूर्वाग्रह के चलते कोरोना के इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं को लेकर प्रश्न उठाए हैं। प्रश्न एलोपैथ पर खड़ा है। नर्सिंग होम और अस्पतालों में इलाज का भारी खर्च गरीब मरीजों पर डाला जा रहा है। आइएमए अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में कहा है कि इस बीमारी में प्रतिरोधक क्षमता का सर्वाधिक महत्व है। इसे बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में दर्जनों कारगर व्यवस्थाएं हैं। सभी प्रकार की चिकित्सा का महत्व है। आयुष मंत्रालय ने राज्यों को भेजी गई एडवाइजरी में 34 देसी एवं विदेशी शोध पत्रों का जिक्र किया है।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने 21 अप्रैल 2020 को पंचगव्य से कोरोना मरीजों के इलाज की अनुमति दी है। डा. हितेश जानी की देखरेख में जागमनगर एवं राजकोट में कोविड मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है। एलोपैथ की दवा एक बीमारी ठीक करेगी और दूसरी पैदा करेगी। एलोपैथ चिकित्सक बनाने में 100 में 82 रुपये खर्च होते हैं। शेष 18 रुपए में अन्य सभी प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों की पढ़ाई होती है।
कोरोना नाक से फेफड़ों की बीमारी है। इसमें नमक से गरारा, नाक में तेल डालना और काढ़ा पीना अत्यंत लाभकारी है। मसाले, आंवला, हल्दी, तुलसी, नीम, पंचगव्य और गिलोय से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। एल-1 और एल-2 के सामान्य मरीजों को सप्ताहभर घर में रखकर आयुर्वेद उपचार से ठीक किया जा सकता है।