चक्का जाम : भाकियू ने समय से पहले खोल दिया चक्का जाम
कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन ने जिले में छह स्थानों पर चक्का जाम किया।
जागरण संवाददाता, मेरठ : कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन ने जिले में छह स्थानों पर चक्का जाम किया। भाकियू पदाधिकारियों ने राजमार्गो पर वाहनों को रोककर सुबह 11 बजे आवाजाही ठप कर दी। इससे लंबा जाम लग गया। कुछ जगह वाहन सवारों व चक्का जाम कर रहे लोगों के बीच नोकझोंक हुई। वाहन सवार गंतव्य पर पहुंचने के लिए इधर-उधर वैकल्पिक मार्गो की तलाश में लगे रहे। वहीं, भाकियू चक्का जाम के दौरान आम किसानों को नहीं जोड़ पाई। निर्धारित समय से पहले ही सभी स्थानों पर पुलिस की मौजूदगी में प्रशासनिक अफसरों को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन देकर धरना समाप्त कर दिया गया।
भूड़बराल में जाम, एक्सप्रेस-वे से निकले वाहन
भाकियू ने परतापुर तिराहे के पास भूड़बराल में हाईवे को जाम किया। हाईवे पर ट्रैक्टर-ट्राली लगाकर सुबह 11 बजे वाहनों की आवाजाही रोक दी। मेहराज सिंह, दीपक घोपला, मदन आदि के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। इस दौरान वाहन सवारों से उनकी नोकझोंक हुई। करीब दो घंटे बाद दोपहर एक बजे सीओ ब्रह्मापुरी व परतापुर थाना पुलिस की मौजूदगी में एसीएम को प्रधानमंत्री के नाम आठ सूत्रीय ज्ञापन देकर जाम खोल दिया गया। इस दौरान वाहन डायवर्ट रूट से एक्सप्रेस-वे से गाजियाबाद की ओर निकल गए। दौराला में संजय दौरालिया के नेतृत्व में टोल व फ्लाईओवर के बीच मलिक अस्पताल के सामने जाम लगाया गया। जंगेठी में सत्यवीर और राजकुमार के नेतृत्व में चक्का जाम किया। जानी में हरेंद्र व मवाना खुर्द में नरेश के नेतृत्व में चक्का जाम कर ज्ञापन दिया गया।
पदाधिकारियों ने गाजीपुर में संभाली कमान
जिले के मुख्य पदाधिकारियों ने चक्का जाम की कमान गाजीपुर बार्डर पर संभाली। इसमें जिलाध्यक्ष मनोज त्यागी, रवींद्र दौरालिया, गजेंद्र सिंह आदि सुबह नौ बजे से चक्का जाम में लगे रहे। मेरठ की कमान अन्य पदाधिकारियों ने संभाली। छह सूत्रीय मांग -
- कृषि कानूनों को सरकार वापस ले
- एमएसपी कानून लागू किया जाए
- किसानों की ऋण माफी की जाए
- सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार गन्ने का भुगतान
- किसानों को मुफ्त बिजली
- किसानों के मुकदमे वापस