तीन साल से ‘बीमार’ है मेडिकल कॉलेज में आग बुझाने का प्रोजेक्ट
मेरठ में लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में तीन साल पहले शुरू हुआ फायर फाइटिंग वाटर स्प्रिंकलर सेफ्टी सिस्टम का कार्य पूरा नहीं हो सका।
By Ashu SinghEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 11:55 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 11:55 AM (IST)
मेरठ,जेएनएन। लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में तीन साल पहले शुरू हुआ फायर फाइटिंग वाटर स्प्रिंकलर सेफ्टी सिस्टम का कार्य पूरा नहीं हो सका। कॉलेज से लेकर अस्पताल तक विद्युत तारों का मकड़जाल फैला हुआ है। कभी भी शार्ट सर्किट से निकली चिंगारी लोगों की जान के लिए खतरा बन सकती है। लेकिन अधूरे पड़े प्रोजेक्ट की सुध अभी तक किसी ने नहीं ली है। हालात ये हैं कि कई एकड़ में फैले कॉलेज परिसर में आग लगने पर बुझाने के इंतजाम नाकाफी हैं।
तीन साल पहले सिडको को दिया था प्रोजेक्ट
मेडिकल कॉलेज में फायर फाइटिंग वाटर स्प्रिंकलर सेफ्टी सिस्टम बनाने का काम तीन साल पहले कार्यदायी कंपनी सिडको को दिया गया था। प्रोजेक्ट के तहत कॉलेज और अस्पताल को कवर करना था। ठेका कंपनी ने प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने के लिए बड़ी संख्या पाइप लाइन बिछाने का काम भी किया। अस्पताल परिसर में बड़ी-बड़ी लोहे की पाइप लाइन बिछाने के बाद एकाएक काम बंद कर दिया गया। करीब दो साल हो गए हैं परिसर में खुले में पड़ीं लोहे की पाइपों में जंग लग गई है। कई पाइप तो चोरी भी हो गए। लेकिन दोबारा कार्य शुरू नहीं हो सका। हैरानी की बात ये है कि करीब चार करोड़ से अधिक की लागत वाले इस प्रोजेक्ट पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के आला अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। बंद पड़े कार्य को लेकर कंपनी से कोई पूछताछ करने वाला नहीं है।
मरीज-तीमारदार, स्टॉफ सब खतरे में
मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रतिदिन कम से कम सात हजार लोगों को आना-जाना रहता है। तीन हजार से अधिक मरीज प्रतिदिन ओपीडी में आते हैं। इसके अलावा वार्ड में भर्ती मरीज व उनके साथ कम से कम दो तीमारदार, डॉक्टर, नर्सिग स्टॉफ समेत अन्य कर्मचारियों की मौजूदगी रहती है।
इनका कहना है
फायर फाइटिंग वाटर स्प्रिंकलर सिस्टम को लेकर शासन को कई बार पत्रचार किया जा चुका है। अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका है। अभी फायर सिलेंडर पर ही आश्रित हैं।
- डॉ.आरसी गुप्ता,प्राचार्य,लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज
तीन साल पहले सिडको को दिया था प्रोजेक्ट
मेडिकल कॉलेज में फायर फाइटिंग वाटर स्प्रिंकलर सेफ्टी सिस्टम बनाने का काम तीन साल पहले कार्यदायी कंपनी सिडको को दिया गया था। प्रोजेक्ट के तहत कॉलेज और अस्पताल को कवर करना था। ठेका कंपनी ने प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने के लिए बड़ी संख्या पाइप लाइन बिछाने का काम भी किया। अस्पताल परिसर में बड़ी-बड़ी लोहे की पाइप लाइन बिछाने के बाद एकाएक काम बंद कर दिया गया। करीब दो साल हो गए हैं परिसर में खुले में पड़ीं लोहे की पाइपों में जंग लग गई है। कई पाइप तो चोरी भी हो गए। लेकिन दोबारा कार्य शुरू नहीं हो सका। हैरानी की बात ये है कि करीब चार करोड़ से अधिक की लागत वाले इस प्रोजेक्ट पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के आला अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। बंद पड़े कार्य को लेकर कंपनी से कोई पूछताछ करने वाला नहीं है।
मरीज-तीमारदार, स्टॉफ सब खतरे में
मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रतिदिन कम से कम सात हजार लोगों को आना-जाना रहता है। तीन हजार से अधिक मरीज प्रतिदिन ओपीडी में आते हैं। इसके अलावा वार्ड में भर्ती मरीज व उनके साथ कम से कम दो तीमारदार, डॉक्टर, नर्सिग स्टॉफ समेत अन्य कर्मचारियों की मौजूदगी रहती है।
इनका कहना है
फायर फाइटिंग वाटर स्प्रिंकलर सिस्टम को लेकर शासन को कई बार पत्रचार किया जा चुका है। अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका है। अभी फायर सिलेंडर पर ही आश्रित हैं।
- डॉ.आरसी गुप्ता,प्राचार्य,लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें