पुलिसिया खेलः दारोगा को खाना खाता मिला पंद्रह साल पहले मरा व्यक्ति
दारोगा ने गवाह महफूज (मृतक) की ओर से लिखा है कि 12 जुलाई, 2018 को वह अपने घर पर बैठा खाना खा रहा था।
मेरठ (जेएनएन)। मेरठ पुलिस का एक कारनामा उजागर हुआ है। पंद्रह साल पहले मरा व्यक्ति पुलिस ने चश्मदीद गवाह बना डाला। उसके बयान दर्ज किए। पुलिस को वह खाना खाता हुआ मिला। इसके बाद पुलिस ने रिपोर्ट कोर्ट में भी दाखिल कर दी। आरोपित पक्ष ने कोर्ट से गवाहों के नाम निकलवाए तो पुलिस के इस कारनामे का पता चला। एसपी ने मामले की जांच बैठा दी है।
गत 12 जुलाई को नई बस्ती मवाना रोड किठौर निवासी फरमान व खिलाफत के बीच झगड़ा हुआ था। फरमान ने खिलाफत, सलीम, अजीम, नईम और तीन-चार अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। फरमान ने इमरान उसके पिता महफूज, सरताज को गवाह दर्शाया। अपराध संख्या 348/18 की विवेचना दारोगा विमल कुमार को दी गई। 14 जुलाई को दारोगा ने महफूज आदि की गवाही भी दर्ज कर ली।
अदालत में दारोगा ने मुकदमे के कागजात दाखिल किए। अहम बात यह है कि महफूज की वर्ष 2003 में ही मौत हो चुकी है। दूसरे पक्ष ने गवाहों की सूची निकलवाई तो मामले का पता चला। दारोगा ने गवाह महफूज (मृतक) की ओर से लिखा है कि 12 जुलाई, 2018 को वह अपने घर पर बैठा खाना खा रहा था। उसी समय कई लोग हाथों में डंडे व धारदार हथियार लेकर आए और फरमान आदि पर हमला बोल दिया।
यह सब उनसे अपनी आंखों से देखा है। वहीं पूर्व चेयरमैन मतलूब गौड़ ने बताया कि महफूज को मरे हुए 15 साल बीत गए। एसपी देहात राजेश कुमार ने बताया कि विवेचक के खिलाफ जांच बैठा दी गई है। मृतक के बयान कैसे दर्ज कर लिए। जांच रिपोर्ट आने के बाद दारोगा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए एसएसपी को लिखा जाएगा।