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मशहूर कव्वाल अहसान भारती घुंघरू वालो का निधन, 84 तरह की निकालते थे आवाज

अपनी जादुई आवाज से प्रसिद्धि पाने वाले 85 वर्षीय अहसान भारती का लम्बी बीमारी के चलते दिल्ली में निधन हो गया। उनके निधन से कस्बे में छाया शोक। मुंह से एक से लेकर 84 घुंघुरूओ की आवाज निकालने की थी कला।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 08:32 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 12:47 AM (IST)
मशहूर कव्वाल अहसान भारती घुंघरू वालो का निधन, 84 तरह की निकालते थे आवाज
मशहूर कव्वाल अहसान भारती घुंघरू वालो का निधन।

मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। कस्बे के मशहूर कव्वाल देश विदेश में अपनी जादुई आवाज से प्रसिद्धि पाने वाले 85 वर्षीय अहसान भारती का लम्बी बीमारी के चलते दिल्ली में निधन हो गया। उनके निधन पर संगीत जगत से जुड़े लोगों व कस्बे में शोक छा गया। अपनी सुरीली आवाज के दम पर उन्होंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया।

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शाहपुर कस्बा निवासी अहसान भारती के पिता अशवाक अहमद उर्फ घोसनी कव्वाल लगभग छह दशक पूर्व दिल्ली रहने लगे थे। उनके साथ अहसान भारती भी दिल्ली जाकर रहने लगे थे। शाहपुर में बिताये अपने बचपन से ही अपनी जादुई आवाज से मशहूर थे। दिल्ली जाकर अहसान भारती ने अपनी सुरीली आवाज से दिल्ली से लेकर मुंबई तक अपनी आवाज का जादू बिखेरा। अहसान भारती मुम्बई में मशहूर कव्वाल के रूप में जाने जाने लगे। पिछले कई माह से बीमार होने के चलते उनका दिल्ली में निधन हो गया। उनके निधन से कस्बे में शोक छा गया।

कस्बा शाहपुर निवासी उनके बचपन के दोस्त बताते है कि अहसान भारती कस्बे में मोहर्रम पर आया करते थे तथा नक्कालों वाली कोठी पर रात्रि के समय संगीत का प्रोग्राम किया करते थे। पूर्व चैयरमेन आरिफ सिद्दीकी ने बताया कि जब कभी उनसे मिलने दिल्ली जाना होता था उनके पास बैठकर वे अपनेपन का अहसास करते थे। उनके सिखाये हुए दर्जनों गायक उनके परिवारिक सदस्य इन दिनों मुंबई के नामचीन गायकों में शामिल है।

84 तरह की निकालते थे आवाज

अहसान भारती अपने गले से 84 तरह की आवाज निकालकर अपनी फनकार से लोगों को अचंभित कर देते थे। उनकी आवाज के दीवाने उन्हें घुंघरू वाले के नाम से पुकारते थे। अहसान भारती सूफी स्टाइल सिंगिंग के लिए जाने जाते है। एक मुलाकात जरूरी है सनम, जिंदा रहने के लिए एक मुलाकात जरूरी है। उनकी जादुई आवाज के दम पर उनका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में भी दर्ज हो चुका है। अहसान भारती ने 1990 में आगरा में आयोजित ताज महोत्सव में मौजूद फ़िल्म अभिनेता को एक शेर पर रोने को मजबूर कर दिया था। शाहजंहा डूब गया हुस्न की गहराई में, ओर ताजमहल बन गया हुस्न की अंगड़ाई में।


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