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मेरठ में धड़ल्‍ले से बन रहे नकली फिंगर प्रिंट, पढ़िए पड़ताल में कैसे सामने आया फर्जीवाड़े का सनसनीखेज सच

यह बेहद खतरनाक है। नकली फिंगर प्रिंट का फर्जीवाड़ा मेरठ में धड़ल्ले से चल रहा है। तकनीक के सहारे शातिर पांच से दस हजार रुपये में किसी के भी फिंगर प्रिंट की नकल बना देते हैं। दैनिक जागरण ने इस पूरे फर्जीवाड़ा की तहकीकात की तो सनसनीखेज सच्चाई सामने आई।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 09:45 AM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 09:45 AM (IST)
मेरठ में धड़ल्‍ले से बन रहे नकली फिंगर प्रिंट, पढ़िए पड़ताल में कैसे सामने आया फर्जीवाड़े का सनसनीखेज सच
मेरठ में नकली फिंगर प्रिंट के सहारे पूरी व्यवस्था को अंगुलियों पर नचा रहे शातिर।

अभिषेक कौशिक, मेरठ। मेरठ में नकली मुहर और प्रमाण-पत्र ही नहीं, बल्कि हाथों की लकीरें भी तैयार हो रही हैं। नकली फिंगर प्रिंट का फर्जीवाड़ा शहर में धड़ल्ले से चल रहा है। तकनीक के सहारे शातिर पांच से दस हजार रुपये में किसी के भी फिंगर प्रिंट की नकल बना देते हैं। दैनिक जागरण ने इस पूरे फर्जीवाड़ा की तहकीकात की तो सनसनीखेज सच्चाई सामने आई। इस संवाददाता ने खुद नक्कालों के एक गिरोह से संपर्क साधा और रकम देकर एक फर्जी फिंगर प्रिंट तैयार करा लिया। बड़ा सवाल यह है कि पूरी व्यवस्था को पैरों तले रौंदने वालों पर अब तक पुलिस की नजर क्यों नहीं पड़ी।

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ऐसे चलता है काम

गिरोह से जुड़े लोग नकली फिंगर प्रिंट बनवाने वालों से सौदा करते हैं। फिर चंद घंटों में नकली फिंगर प्रिंट बना दिया जाता है। धंधे के बारे में भी ज्यादा नहीं बताते। तैयार नकली फिंगर प्रिंट की डिलीवरी सुनसान जगह पर की जाती है। गिरोह के लोग पहले ही वहां पहुंच जाते हैं। कोई गड़बड़ी न होने का भरोसा होने पर ही डिलीवरी की जाती है। इस दौरान डिलीवरी मैन का मुंह ढका रहता है।

एडवांस लिया जाता है पैसा

सौदा तय होते ही एडवांस में पूरी रकम लेते हैं। दरअसल, दैनिक जागरण संवाददाता ने थोड़ा कुरेदा तो गिरोह के एक सदस्य ने बताया कि फिंगर प्रिंट तैयार होने के बाद लोग ना-नुकर करने लगते हैं। रकम मिलने के बाद यह झंझट खत्म हो जाता है।

ऐसे तैयार होते हैं नकली फिंगर प्रिंट

कंप्यूटर, स्कैनर और रबर की मदद से इस काम को किया जाता है। नकली फिंगर प्रिंट के लिए कोई तय रकम नहीं ली जाती। ग्राहक की जरूरत के मुताबिक पांच से 10 हजार रुपये तक लिए जाते हैं। एक फिंगर प्रिंट बनाने के लिए आपकी अंगुली की करीब 50 छाप ली जाती हैं। इसके बाद पांच के सेट में आपको एक अंगुली का फिंगर प्रिंट मिलता है। यह काम शहर में करीब आधा दर्जन जगहों पर चल रहा है। एक जगह तो पुलिस चौकी के पास हैं, जबकि वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय के नजदीक भी यह धंधा चलता है। सभी लोग एक-दूसरे से जुड़े हैं। यदि खुद वह काम नहीं करते तो ग्राहक को दूसरी जगह भेज देते हैं।

तीन वजहों से ज्यादा खतरनाक है नकली फिंगर प्रिंट

1 साल्वर गैंग : नकली फिंगर प्रिंट की मदद से साल्वर गैंग के सदस्य साल्वरों के जरिए परीक्षा दिलाकर मोटी रकम वसूलते हैं। कुछ समय पहले कई साल्वर नकली फिंगर प्रिंट के जरिये दूसरे की परीक्षा देते पकड़े भी जा चुके हैं।

2 बायोमीट्रिक हाजिरी : ज्यादातर दफ्तरों में अब हाजिरी बायोमीट्रिक हो गई है। नकली फिंगर प्रिंट के जरिए किसी की भी हाजिरी लगाई जा सकती है। ऐसे कई मामले सामने भी आए हैं।

3 वारदात में इस्तेमाल : बड़ी वारदातों में पुलिस, फारेंसिक टीम व अन्य जांच एजेंसियां मौका-ए-वारदात से फिंगर प्रिंट जुटाती हैं। वारदात के राजफाश में मौके पर मिले अंगुलियों के निशान अहम सुबूत होते हैं। ऐसे में ये नकली फिंगर प्रिंट पूरे केस को भटका सकते हैं।

इनका कहना है

मामला बेहद गंभीर है। हालांकि अभी ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। जांच कराई जाएगी। दोषियों को गिरफ्तार कर नेटवर्क को खत्म किया जाएगा।

- विनीत भटनागर, एसपी सिटी


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