कचरे और गैस सिलेंडर में लगी आग, डॉक्टरों ने बुझाई
आग लगने पर समय रहते बचाव करने के लिए अग्निशमन दस्ते ने गुरुवार को लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों और अन्य स्टॉफ को प्रशिक्षण दिया। इस दौरान आग बुझाने के तरीके बताए गए।
मेरठ । आग लगने पर समय रहते बचाव करने के लिए अग्निशमन दस्ते ने गुरुवार को लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों और अन्य स्टॉफ को प्रशिक्षण दिया। इस दौरान आग बुझाने के तरीके बताए गए।
प्रशिक्षण के दौरान प्रशासनिक भवन के सामने कचरे में आग लगाई गई। फायर सेफ्टी आफीसर संजीव कुमार सिंह ने फायर सिलेंडर के इस्तेमाल का तरीका एक-एक कर सभी डॉक्टरों और नर्सिग स्टॉफ को बताया। कहा कि सिलेंडर में मौजूद गैस इतनी तीव्र गति से निकलती है कि 30 से 35 सेकेंड में सिलेंडर खाली हो जाता है। इसलिए मौके पर ही सिलेंडर की पिन खोले। आग बुझते ही पिन को बंद कर दें। इसके साथ ही महिला डॉक्टरों को घरेलू गैस सिलेंडर में आग लगने के दौरान बचाव का तरीका भी बताया। फायर सेफ्टी आफीसर ने कहा कि एक कपड़े को पानी में भिगो लें। उसके बाद सिलेंडर में आग निकलने वाले स्थान पर उल्टी दिशा से जाकर गीले कपड़े से दबा लें। पलक झपकते ही सिलेंडर की आग बुझ जाएगी। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता, डॉ. तुंगवीर सिंह आर्य, मेडिकल कॉलेज अग्निशमन सह प्रभारी डॉ. अमरेंद्र चौधरी सहित अन्य चिकित्सक मौजूद रहे।
सुरक्षा के लिए ऐसा हो इंतजाम
फायर सेफ्टी आफीसर ने मेडिकल कॉलेज प्राचार्य से कहा कि सायरन, स्प्रिंकलर पाइप लाइन और डिटेक्टर अस्पताल के सभी आइसीयू, वार्डो में होने चाहिए। एक कमेटी होनी चाहिए। जिसमें शामिल सदस्यों की जिम्मेदारी तय हों। आपदा के दौरान एक सुरक्षित स्थान पहले से स्थान तय हो। बाहर निकलने के सभी रास्ते खुले हों। जीने के दरवाजों में कभी भी ताला न लगाएं। आग के दौरान लिफ्ट से नहीं उतरना है। यह नोटिस लिफ्ट के पास चस्पा होनी चाहिए।
अभी नहीं है पर्याप्त व्यवस्था
मेडिकल कॉलेज में अभी फायर फाइटिंग सिस्टम की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। स्प्रिंकलर पाइप लाइन और डिटेक्टर का कार्य अधूरा पड़ा है। केवल ए बी सी प्रकार के 121 और कार्बन डाई आक्साइड के 32 फायर सिलेंडर मौजूद हैं। कॉलेज और अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में कहीं भी अलार्म नहीं लगे हुए हैं।