मेरठ में कूड़े से बिजली उत्पादन का सपना जल्द होगा साकार, जानिए प्रोजेक्ट की प्रगति रिपोर्ट Meerut News
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की टीम संयंत्र से ग्रिड पर बिजली लेने के लिए सब स्टेशन के निर्माण में युद्ध स्तर पर जुटी है। अब वो दिन ज्यादा दूर नहीं कि मेरठ में भी कूड़े से बिजली का उत्पादन शुरू हो सकेगा। तैयारियां तेजी से हो रही है।
मेरठ, जेएनएन। लगभग एक साल पहले कूड़े से बिजली बनाने का देखा गया सपना जल्द साकार होने वाला है। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की टीम संयंत्र से ग्रिड पर बिजली लेने के लिए सब स्टेशन के निर्माण में युद्ध स्तर पर जुटी है। वहीं गत दिनों एनजीटी द्वारा गठित ओवरसाइट कमेटी ने गांवड़ी कूड़ा प्लांट से संबंधित याचिका पर जो रिपोर्ट दी है, उसमें ब्रिजेंद्रा एनर्जी एंड रिचर्स कंपनी के कूड़े से बिजली बनाने के संयंत्र का हवाला देते हुए कहा है कि प्रदेश में ऐसे ही और भी संयंत्र लगाने की आवश्यकता है।
तेजी से हो रहा काम
मेरठ के भूड़बराल के समीप ब्रिजेंद्रा एंड रिसर्च कंपनी का वेस्ट टू एनर्जी संयंत्र स्थापित किया गया है। जहां पर आरडीएफ(कूड़े से निकले ज्वलनशील कचरा जैसे प्लास्टिक, पालीथिन, कपड़ा कागज आदि) से बिजली उत्पादन के लिये संयंत्र को ग्रिड से जोड़ने का काम अब अंतिम चरणों में है। संयंत्र को ग्रिड से जोड़ने के लिए पीवीवीएनएल के प्रबंध निदेशक अरविंद मलप्पा बंगारी और कंपनी के निदेशक बिजेंद्र सिंह के बीच नौ दिसंबर को बैठक हुई थी। इससे पहले नगर आयुक्त मनीष बंसल ने पीवीवीएनएल प्रबंध निदेशक से संयंत्र को ग्रिड से जल्द जोड़ने की चर्चा की थी। जिसके बाद पीवीवीएनएल के बिजली अधिकारियों की टीम संयंत्र को ग्रिड से जोड़ने के काम में युद्ध स्तर पर लगी हैं।
पांच दिन का ट्रायल
नगर आयुक्त मनीष बंसल ने कहा कि तीन से चार दिन में संयंत्र को ग्रिड से जोड़ने का काम पूरा हो जाएगा। प्रतिदिन कार्य की मानीटरिंग की जा रही है। ग्रिड से संयंत्र जुड़ने के बाद चार से पांच दिन का ट्रायल किया जाएगा। लगभग एक सप्ताह बाद संयंत्र से ग्रिड को बिजली निकासी शुरू कर दी जाएगी। वहीं कंपनी के निदेशक ब्रिजेंद्र सिंह ने कहा कि ट्रायल के बाद संयंत्र का शुभारंभ मुख्यमंत्री से कराया जाएगा। इसकी तैयारी चल रही है।
नगर निगम से कंपनी खरीदेगी आरडीएफ
ब्रिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च कंपनी नगर निगम में आरडीएफ खरीदेगी। एक मेगावाट का यह संयंत्र है। प्रतिमाह 900 टन आरडीएफ कंपनी खरीदेगी। प्रति टन 250 रुपये नगर निगम को मिलेंगे।इससे नगर निगम को आय होगी। संयंत्र शुरू होने के साथ ही शहर के कचरे का निस्तारण शुरू हो जाएगा। नगर निगम बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट से आरडीएफ, ईंट-पत्थर और कंपोस्ट अलग-अलग करेगा। आरडीएफ कंपनी खरीदेगी। ईंट-पत्थर लैंडफिल के काम आएगा और कंपोस्ट किसानों का दी जाएगी।
25 वर्षों के शोध के बाद विकसित किया प्लांट
बिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च के निदेशक ब्रिजेंद्र सिंह का दावा है कि 25 वर्षों के शोध के बाद उन्होंने ये प्लांट विकसित किया है। जिसमें कूड़े का समुचित निस्तारण होता है। इससे बहुत कम मात्रा में राख निकलती है जो कि पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं होती। खेती में इस्तेमाल की जा सकती है। इससे टार भी बनता है, जो कि तारकोल की तरह सड़क बनाने में काम आता है। इस संयंत्र में गैसिफिकेशन तकनीक से कूड़े से निकले आरडीएफ से ईधन गैस बनाकर उस गैस से गैस जनरेटर चलाकर बिजली बनाई जाएगी। यह तकनीक प्रदूषण रहित है।