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यकीन नहीं होगा लेकिन नाले ही बन गए पोलियो 'वैक्सीन'

स्टूल से नालों में पहुंचा वैक्सीनेटेड पोलियो वायरस। नालों का वायरस फूड चेन में पहुंचकर वैक्सीन से छूटे बच्चों में बना रहा एंटी बॉडीज।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 02:35 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 02:35 PM (IST)
यकीन नहीं होगा लेकिन नाले ही बन गए पोलियो 'वैक्सीन'
यकीन नहीं होगा लेकिन नाले ही बन गए पोलियो 'वैक्सीन'

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। शहर के जिन नालों से पोलियो वायरस फैलता था, अब वही नाले पोलियो वैक्सीन का काम कर रहे हैं। शायद आपको इस पर यकीन न आए लेकिन डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट इसकी गवाही दे रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, 90 फीसद बच्चों में वैक्सीन के जरिए डेड वायरस (जो संक्रमण नहीं करता, सिर्फ एंटीबॉडी बनाता है) पहुंचा। फिर उनके स्टूल के जरिए नालों में पहुंचकर यह वायरस फूड चेन में शामिल हुआ। आखिरकार इस डेड वायरस ने टीकाकरण से वंचित बच्चों के शरीर में पहुंचकर हर्ड इम्युनिटी (सामुदायिक प्रतिरोधक क्षमता) विकसित कर दी। बता दें कि पोलियो का संक्रमण सिर्फ वाइल्ड वायरस से होता है।
टूट गई वाइल्ड वायरस की चेन
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक, 1995 से अब तक पोलियो की वैक्सीन नियमित रूप से दी जा रही है। चिकित्सकों के मुताबिक, 85 फीसद से ज्यादा बच्चों को वैक्सीन देने के बाद शेष 15 फीसद आबादी भी सुरक्षित हो जाती है। बच्चों के शरीर में वैक्सीन का डेड वायरस पहुंचने से बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बनी। करीब 25 दिन बाद ये वैक्सीन वायरस आंतों से स्टूल के जरिए निकलकर नालों से होते हुए पेयजल व फूड चेन में भी पहुंच गए। डब्ल्यूएचओ के सर्विलांस अधिकारी डॉ. रजत का कहना है कि जो बच्चे वैक्सीन से छूट गए, उनमें नाले के वायरस से एंटीबाडीज बन गई। इससे वाइल्ड वायरस की चेन भी टूट गई। इसे हर्ड इम्यूनिटी कहते हैं। वैक्सीन वाला डेड वायरस आज भी देश के कई नालों और बच्चों के स्टूल में मिलता है।
ये है तस्वीर

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  • मेरठ में हर चक्र में 7.40 लाख घरों तक टीम पहुंची। हर चक्र में 5.50 लाख बच्चों को वैक्सीन दी गई।
  • गत वर्ष 300 बच्चों का स्टूल चेक हुआ। कोई पोलियो केस नहीं मिला किंतु वैक्सीन वायरस मिल सकता है।
  • मेरठ में अब तक नालों में वाइल्ड वायरस की खोज में 25 सैंपल लिए गए हैं।
  • यूपी में 24 से ज्यादा बार स्टूल सैंपलों में वैक्सीनेटेड पोलियो वायरस-पी 2 मिल चुका है।
  • जिले में 140 स्थानों को वायरस संक्रमण के लिए बेहद संवेदनशील माना जाता है।
  • यूपी में अंतिम बार पी-1 वाइल्ड वायरस 13 नवंबर 2011 को मुरादाबाद, पी-2 अंतिम बार 24 अक्टूबर 1999 को अलीगढ़ व पी-3 वायरस 21 अप्रैल 2010 को फीरोजाबाद में अंतिम बार मिला।

विशेषज्ञों ने बताया...
भारत को पोलियोमुक्त बनाने के लिए 1995 से लगातार टीकाकरण हो रहा है। देश में 2011 के बाद कोई नया केस नहीं मिला। 90 फीसद से ज्यादा बच्चों में पोलियो वैक्सीन वायरस पहुंचा तो अन्य 10 फीसद में हर्ड इम्युनिटी (सामुदायिक प्रतिरक्षा) पैदा हो गई। स्टूल के जरिए नालों में बहते वैक्सीन वायरस से छूटे बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता बनती है।
-डॉ. विश्वास चौधरी, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी


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