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Meerut-Delhi Expressway: किसानों की इस मांग ने लगाया काम पर विराम, 31 दिसंबर तक कैसे पूरा होगा लक्ष्‍य

मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे का कार्य हर हाल में 31 दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य नितिन गडकरी ने निर्धारित किया है। इसे पूरा करने के लिए एनएचएआइ अफसर और उसकी एजेंसियां जुटी हैं। लेकिन किसानों की जिद से काम पर विराम लगा दिया है।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 09:00 AM (IST)
Meerut-Delhi Expressway: किसानों की इस मांग ने लगाया काम पर विराम, 31 दिसंबर तक कैसे पूरा होगा लक्ष्‍य
किसानों की मांग के चलते मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे पर काम फिलहाल रुका हुआ है।

मेरठ, जेएनएन। मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे का कार्य हर हाल में 31 दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने निर्धारित किया है। इसे पूरा करने के लिए एनएचएआइ अफसर और उसकी एजेंसियां जुटी हैं। किसानों का दावा है कि उन्होंने एकसमान मुआवजे की मांग को लेकर परतापुर तिराहे पर तथा मेरठ से भोजपुर के बीच कई स्थानों पर काम बंद कराकर आंदोलन छेड़ रखा है। एनएचएआइ अधिकारी इस अवरोध से परेशान हैं। रोजाना आंदोलन की पल पल की जानकारी मुख्यमंत्री, प्रदेश शासन, कमिश्नर तथा डीएम को भेजने का दावा एनएचएआइ अफसर कर रहे हैं। कमिश्नर अनीता सी. मेश्रामका कहना है कि उन्हें एनएचएआइ अधिकारियों ने काम बाधित होने की जानकारी नहीं दी है। दोनों जनपदों के डीएम से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी जाएगी।

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किसानों का दावा, बंद है काम

एक समान मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों का दावा है कि उन्होंने परतापुर तिराहा तथा गाजियाबाद के भोजपुर तक कई स्थानों पर मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे का काम बंद करा रखा है। आंदोलन मांग पूरी होने तक जारी रहेगा।

खुद परवाह नहीं, पूछने पर बने अनजान

मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे का काम 31 दिसंबर तक पूरा करने की जिम्मेदारी जहां एनएचएआइ के कंधों पर है, वहीं इस काम को समय से पूरा कराने के लिए सुरक्षा और माहौल उपलब्ध कराने का जिम्मा पुलिस और प्रशासनिक अफसरों का है। कमिश्नर खुद विकास परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा बैठकें करती रहती हैं। एक्सप्रेस-वे पर किसान पिछले पंद्रह दिन से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन से एक्सप्रेस-वे का कार्य बाधित हो रहा है। रोजाना किसानों के आंदोलन की खबरें प्रकाशित हो रही हैं। इसके बावजूद किसानों को समझाने तथा समस्या का समाधान निकालने के लिए डीएम और कमिश्नर में से कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। एनएचएआइ के प्रोजेक्ट मैनेजर मुदित गर्ग का दावा है कि सीएम, कमिश्नर, डीएम समेत तमाम अफसरों के पास प्रोजेक्ट की प्रगति तथा उसमें आ रही बाधाओं की जानकारी रोजाना दी जाती है। इसके बावजूद सोमवार को कमिश्नर अनीता सी. मेश्राम ने दावा किया कि उन्हें किसी भी स्थान पर एक्सप्रेस-वे का काम बाधित होने की जानकारी नहीं है। न ही उन्हें एनएचएआइ के किसी भी अधिकारी ने इसकी जानकारी देकर मदद मांगी। एनएचएआइ अफसरों को सख्त निर्देश है कि यदि कहीं भी एक्सप्रेस-वे के काम में बाधा आए तो उन्हें जरूर बताया जाए।

बाधा तो है, फिर भी कर रहे हैं काम

एनएचएआइ के प्रोजेक्ट मैनेजर मुदित गर्ग ने बताया कि सभी जानते हैं कि किसानों की मांग अनुचित है। वे दबाव बनाने के लिए एक्सप्रेस-वे के काम को बाधित करना चाहते हैं। किसान रोजाना बाधा पैदा कर रहे हैं। इसकी जानकारी सभी को लगातार दी जा रही है। डीएम और एडीएम से लगभग रोजाना बैठक की जाती है। किसान कुछ घंटे के लिए काम रोकते हैं। इसे रात में ओवरटाइम करके पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा है। पंचायत चुनाव के मद्देनजर फिलहाल पूरे प्रदेश में राजनीतिक कारणों से आंदोलन किए जा रहे हैं। प्रशासन के अधिकारी मौजूद तो रहते हैं लेकिन किसानों पर सख्ती नहीं कर रहे हैं। किसानों को कैसे शांत करना है अथवा उनसे कैसे निपटना है, यह जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। उन्होंने दावा किया कि प्रशासन यदि काम का माहौल दे तो प्रोजेक्ट का लक्ष्य समय से पूरा किया जा सकता है।

डीएम से मांगी रिपोर्ट

हमे मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे पर काम बंद होने कोई सूचना नहीं मिली है। एनएचएआइ अफसरों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी समस्या की जानकारी तत्काल दी जाए। उन्होंने नहीं दी। इस संबंध मे दोनों जनपदों के डीएम से रिपोर्ट मांगी गई है।

डीएम आज तक नहीं पहुंचे किसानों के बीच

जिलाधिकारी के. बालाजी की मेरठ में तैनाती के साथ ही किसानों का आंदोलन लगातार चल रहा है लेकिन वे आज तक न तो मौके पर पहुंचे और न ही किसानों को समझाने का प्रयास किया। यही कारण है कि किसानों का आंदोलन चरम पर है। सोमवार को जिलाधिकारी से इसके पीछे के कारण की जानकारी लेने के लिए उनके सीयूजी मोबाइल पर कई बार काल की गई लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

कैसे अनजान हो सकते हैं अफसर

- किसानों का आंदोलन और धरना रोजाना चल रहा है। इसकी खबरें दोनों जनपदों में समाचारपत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित हो रही हैं। फिर भी अनजान, तो क्या अफसर तमाम सूचना के स्रोत से भी बेखबर रहते हैं।

- आंदोलन कर रहे किसानों से वार्ता भी प्रशासन और पुलिस के अधिकारी रोजाना कर रहे हैं। ऐसा नहीं हो सकता है कि वे उच्चाधिकारियों को रोजाना के घटनाक्रमों की जानकारी ना दे रहे हैं।

- परतापुर तिराहे पर काम कई दिन से बंद है। वहां भी परतापुर थाना पुलिस तैनात रहती है।

- एनएचएआइ अफसर जो रिपोर्ट रोजाना भेज रहे हैं क्या उच्चाधिकारी उसे बिना पढ़े ही रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं।


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