Delhi Meerut Rapid Rail: रैपिड रेल की स्वदेशी तकनीक पर शोध करेंगे छात्र, केंद्रीय सचिव हुए गदगद
Delhi-Ghaziabad-Meerut Rapid Rail देश के पहले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम यानी रैपिड रेल के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली अत्याधुनिक (स्वदेशी) तकनीक पर छात्रों को शोध करने का मौका मिलेगा। इसमें तमाम ऐसी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है जो देश में पहली बार हो रहा है।
(प्रदीप द्विवेदी), मेरठ। Delhi-Ghaziabad-Meerut Rapid Rail देश के पहले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम यानी रैपिड रेल के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली अत्याधुनिक (स्वदेशी) तकनीक पर छात्रों को शोध करने का मौका मिलेगा। इसमें तमाम ऐसी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है जो देश में पहली बार हो रहा है या फिर देश में पहली बार उस तकनीक को स्वदेशी स्तर से तैयार किया गया है। इस उपलब्धि का फायदा भविष्य में देश को मिले इसलिए इस पर छात्रों को शोध करने का अवसर मिलेगा। रैपिड रेल को संचालित करने की जिम्मेदारी संभाल रहे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) के साथ जल्द ही पीएचडी के छात्र जुड़ेंगे, जिन्हें इसमें इस्तेमाल होने वाली तकनीक को सीखने व समझने का मौका मिलेगा।
शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह को इस संबंध में निर्देश दिया है। केंद्रीय सचिव को जब एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने यह बताया कि इसमें ज्यादातर तकनीक स्वदेशी है और देश में पहली बार इस्तेमाल हो रही है। केंद्रीय सचिव ने इसे सराहनीय कदम बताया। निर्देश दिया कि इन तकनीकों को भारत सरकार के राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों से साझा करें, ताकि उन संस्थानों में भी छात्र व विज्ञानी भविष्य के लिए तकनीक का अनुसंधान कर सकें। प्रबंध निदेशक ने आश्वस्त किया कि जल्द ही पीएचडी के छात्रों को एनसीआरटीसी से संबद्ध किया जाएगा। जबकि अन्य निर्देशों के तहत भी कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।
इस तरह स्वदेशी तकनीक का हो रहा इस्तेमाल
-कोच का निर्माण 100 फीसद स्वदेशी तकनीक व मेक इन इंडिया से।
-इलेक्टिक संबंधी कार्य 80 फीसद मेक इन इंडिया व स्वदेशी तकनीक से।
-टेलीफोनिक उपकरण संबंधी अत्याधुनिक तकनीक 50 फीसद स्वदेशी व मेक इन इंडिया के तहत।
-प्लेटफार्म पर लगाने के लिए पारदर्शी दरवाजे का निर्माण 100 फीसद स्वदेशी व मेक इन इंडिया।
-सुपर विजन सिस्टम 100 फीसद स्वदेशी व मेक इन इंडिया।
-180 गति की क्षमता वाले रेलवे ट्रैक का निर्माण स्वदेशी व मेक इन इंडिया।