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Daughter's Day : हादसे में पैर गंवाया, टेबल पर बैठकर चलाती है रायफल, ओलंपिक है निशाना

एक हादसे ने उसका पैर छीन लिया। उसने हार नहीं मानी। बिस्तर से उठते ही जुट गई अपने लक्ष्य को पाने के लिए। बेटी दिवस पर इस बहादुर बिटिया को सलाम।

By Ashu SinghEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 01:20 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 02:26 PM (IST)
Daughter's Day : हादसे में पैर गंवाया, टेबल पर बैठकर चलाती है रायफल, ओलंपिक है निशाना
Daughter's Day : हादसे में पैर गंवाया, टेबल पर बैठकर चलाती है रायफल, ओलंपिक है निशाना

मेरठ (गिरिराज सिंह)।
तू पंख ले-ले, मुझे सिर्फ हौसला दे दे।
फिर आंधियों को मेरा नाम-ओ-पता दे-दे।
हौसले की रहनुमाई करता यह शेर मानो आकांक्षा के लिए लिखा गया हो। छोटी उम्र में एक पैर गंवा देने वाली बिटिया ने निराशा की जगह उम्मीदों का दामन थामा। बंदूक को बैसाखी बना लक्ष्य को भेदने की ठान ली। निशानेबाजी के खेल में पदकों की झड़ी लगाने वाली आकांक्षा की निगाह अब ओलंपिक पदक पर है। बैसाखी को लगन की बंदूक बनाने वाली इस बेटी की यह कोशिश न सिर्फ काबिल-ए-तारीफ बल्कि दूसरों के लिए नसीहत भी है। आज डॉटर्स डे पर जानते हैं आकांक्षा की कहानी।

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हादसे के बाद शुरू हुआ संघर्ष
बिजनौर, उप्र के गांव स्वाहेड़ी निवासी आकांक्षा साल 2008 में कक्षा सात की छात्रा थीं। ट्रेन की चपेट में आने से उसका बायां पैर कट गया। निराशा हुई, लेकिन परिवार ने हौसला दिया तो पढ़ाई जारी रखते हुए स्नातक किया। 2016 में जिला रायफल एसोसिएशन के अध्यक्ष खान जफर सुल्तान के निर्देशन में निशानेबाजी के गुर सीखे। एक पैर नहीं होने के कारण वह टेबल पर बैठकर निशाना साधती हैं। फिलहाल दिल्ली में रहकर वह डॉ. करणी सिह शूटिंग रेंज में ओलंपिक की तैयारी में जुटी हुई हैं।
हर कदम पर रहा भाइयों का साथ 
10 मीटर एयर रायफल शूटिंग में निपुण आकांक्षा पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी है। दो बहनों की शादी हो चुकी है। बड़ा भाई रोहित चौधरी खेती करता है जबकि छोटा भाई मोहित चौधरी आर्मी में पैरा कमांडो है। पिता अर्जुन सिंह की 2015 में कैंसर से मौत हो गई थी। पिता की याद में भाइयों की मदद से तीन लाख रुपये खर्च कर घर में ही शूटिंग रेंज बनाई।
सीएम योगी ने भी की सहायता
पिछले दिनों आकांक्षा उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिली थीं। उनके आदेश पर जिला प्रशासन ने उन्हें बेहतर रायफल खरीदने के लिए दो लाख रुपये का चेक दिया। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने तब एक लाख रुपये की मदद की थी। आकांक्षा ने अब 2.35 लाख रुपये की रायफल खरीदी है। इससे पहले उनके भाइयों ने उन्हें दो लाख रुपये की एयर गन खरीदकर दी थी, जिससे निशानेबाजी सीखी।
ये हैं उपलब्धियां
तीसरी स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप
39वीं स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप
26वीं आल इंडिया जीवी मावलंकर शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल विजेता हैं।
60वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप-16
कुमार सुरेंद्र सिंह मेमोरियल शूटिंग चैंपियनशिप-17
61वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप
18वीं सुरेंद्र सिंह मेमोरियल शूटिंग चैंपियनशिप-18 में सिल्वर मेडल जीते। 


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