Humidity : सावधान! हवा में तैरते खतरनाक बैक्टीरिया बना रहे सांस के नए मरीज Meerut News
बारिश के बाद बनी Humidity ने सांस मरीजों को परेेेेेेेशानी में डाल दिया है। यह घातक है कि हवा में तैरती पानी की सूक्ष्म बूंदों में खतरनाक बैक्टीरिया सांस के नए मरीज बना रहे हैं।
By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 10:05 AM (IST)Updated: Sat, 10 Aug 2019 10:05 AM (IST)
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। आर्द्रता Humidity ने सांस के मरीजों पर शिकंजा कस दिया है। हवा में तैरती पानी की सूक्ष्म बूंदों में खतरनाक बैक्टीरिया सांस के नए मरीज बना रहे हैं। वाहनों एवं उद्योगों से उत्सर्जित सल्फर, नाइट्रोजन एवं कार्बन इन बूंदों में फंसकर इसे विषाक्त करती हैं। फेफड़ों में फंफूंदी भी लग सकती है। उधर, वायरल बुखार से मरीजों के गले में संक्रमण बढ़ रहा है।
प्रदूषण की बूंदों में फेफड़े का जहर
बारिश और धूप से हवा में आर्द्रता बढ़ी हुई है। मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. अमित गर्ग का कहना है कि बारिश में कई प्रकार के वायरस, बैक्टीरिया और फंगस तेजी से संक्रमित होते हैं। पानी एवं भोजन के प्रदूषण से जहां डायरिया, पीलिया एवं टायफायड के मरीज बढ़े हैं, वहीं लोगों की प्रतिरोधक क्षमता न्यूनतम स्तर पर है।
गले में खराश
वायरल बुखार के कई मरीजों में अपर रिस्पेरिटरी ट्रैक इन्फेक्शन-गले का संक्रमण देखा जा रहा है। गले में खराश, कफ एवं सांस में दिक्कत हो रही है तो लापरवाही करने पर यह फेफड़े तक पहुंच सकता है। ओपीडी में बुखार का इलाज कराने वाले ज्यादातर मरीजों की सांस फूलती मिली है। पीला बलगम का कल्चर कराने पर इसमें कई अन्य बैक्टीरिया भी मिल रहे हैं। निमोकोकल बैक्टीरिया की वजह से कई मरीजों में निमोनिया भी हो गया।
फेफड़ों में फंगस
बारिश में आर्द्रता बढ़ने से नम बूंदों के जरिए फंगस हवा में तैरते हैं। ये फेफड़ों में एलर्जी पैदा कर मरीज को खतरनाक स्थिति में पहुंचा सकता है। खासकर, सांस के पुराने मरीजों में ये एलर्जी ज्यादा मिल रही है। हवा में केमिकल सांस की नलिकाओं में सूजन बनाती है। कई स्थानों पर प्रदूषण की वजह से अम्लीय वर्षा भी हो सकती है।
डॉक्टर बता रहे, ऐसे रखें अपना ध्यान
आर्द्रता बढ़ने पर अस्थमा एवं सीओपीडी के मरीजों के फेफड़ों में फंफूदी का संक्रमण हो सकता है। इससे एलर्जिक ब्रांकोपल्मोनरी एस्पिरीजिल्सोसिस बीमारी बनती है, जो खतरनाक है। बारिश में कई बार हाथ धोएं। गले में खराश होने पर नमक पानी का गरारा करें। तौलिया साफ रखें।
- डा. वीरोत्तम तोमर, सांस रोग विशेषज्ञ
ह्यूमिडिटी में हवा में पानी के सूक्ष्म कणों में कई प्रकार के बैक्टीरिया व फंगस पनपते हैं। जो सांस के मरीजों के लिए खतरनाक हैं। गले में खराश और संक्रमण जल्द ठीक न हो तो ये फेफड़े में उतर जाता है। हल्का बुखार हो तो सिर्फ पैरासिटामॉल लें। पीला बलगम आए तभी एंटीबायोटिक खाएं। खट्टी चीजों का सेवन न करें।
- डा. तुषार त्यागी, सांस रोग विशेषज्ञ
प्रदूषण की बूंदों में फेफड़े का जहर
बारिश और धूप से हवा में आर्द्रता बढ़ी हुई है। मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. अमित गर्ग का कहना है कि बारिश में कई प्रकार के वायरस, बैक्टीरिया और फंगस तेजी से संक्रमित होते हैं। पानी एवं भोजन के प्रदूषण से जहां डायरिया, पीलिया एवं टायफायड के मरीज बढ़े हैं, वहीं लोगों की प्रतिरोधक क्षमता न्यूनतम स्तर पर है।
गले में खराश
वायरल बुखार के कई मरीजों में अपर रिस्पेरिटरी ट्रैक इन्फेक्शन-गले का संक्रमण देखा जा रहा है। गले में खराश, कफ एवं सांस में दिक्कत हो रही है तो लापरवाही करने पर यह फेफड़े तक पहुंच सकता है। ओपीडी में बुखार का इलाज कराने वाले ज्यादातर मरीजों की सांस फूलती मिली है। पीला बलगम का कल्चर कराने पर इसमें कई अन्य बैक्टीरिया भी मिल रहे हैं। निमोकोकल बैक्टीरिया की वजह से कई मरीजों में निमोनिया भी हो गया।
फेफड़ों में फंगस
बारिश में आर्द्रता बढ़ने से नम बूंदों के जरिए फंगस हवा में तैरते हैं। ये फेफड़ों में एलर्जी पैदा कर मरीज को खतरनाक स्थिति में पहुंचा सकता है। खासकर, सांस के पुराने मरीजों में ये एलर्जी ज्यादा मिल रही है। हवा में केमिकल सांस की नलिकाओं में सूजन बनाती है। कई स्थानों पर प्रदूषण की वजह से अम्लीय वर्षा भी हो सकती है।
डॉक्टर बता रहे, ऐसे रखें अपना ध्यान
आर्द्रता बढ़ने पर अस्थमा एवं सीओपीडी के मरीजों के फेफड़ों में फंफूदी का संक्रमण हो सकता है। इससे एलर्जिक ब्रांकोपल्मोनरी एस्पिरीजिल्सोसिस बीमारी बनती है, जो खतरनाक है। बारिश में कई बार हाथ धोएं। गले में खराश होने पर नमक पानी का गरारा करें। तौलिया साफ रखें।
- डा. वीरोत्तम तोमर, सांस रोग विशेषज्ञ
ह्यूमिडिटी में हवा में पानी के सूक्ष्म कणों में कई प्रकार के बैक्टीरिया व फंगस पनपते हैं। जो सांस के मरीजों के लिए खतरनाक हैं। गले में खराश और संक्रमण जल्द ठीक न हो तो ये फेफड़े में उतर जाता है। हल्का बुखार हो तो सिर्फ पैरासिटामॉल लें। पीला बलगम आए तभी एंटीबायोटिक खाएं। खट्टी चीजों का सेवन न करें।
- डा. तुषार त्यागी, सांस रोग विशेषज्ञ
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