एक्सप्रेस-वे पर वाहनों की भीड़, दुर्घटना की आशंका
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के निर्माणाधीन मेरठ से डासना तक हिस्से पर हल्के व भारी वाहन दिन भर फर्राटा भर रहे हैं लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है।
मेरठ, जेएनएन। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के निर्माणाधीन मेरठ से डासना तक हिस्से पर हल्के व भारी वाहन दिन भर फर्राटा भर रहे हैं, लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। एक दो बार इन्हें रोकने के लिए बैरियर लगाए गए, लेकिन वाहन चालकों ने उसे हटा दिया, जबकि इस हिस्से पर अभी वाहन ले जाने से दुर्घटना का अंदेशा बना है। मेरठ के परतापुर तिराहे से लेकर डासना तक अभी तेजी से काम चल रहा है। कहीं माíकंग हो रही है तो कहीं डिवाइडर पर पेंट किया जा रहा है। कहीं क्रैश बैरियर लगाए जा रहे हैं तो कहीं गैलेंट्री पर बोर्ड लगाए जा रहे हैं। अलग-अलग तरह के काम होने की वजह से एक्सप्रेस-वे के बीच में भी श्रमिक खड़े रहते हैं और मशीनें खड़ी रहती हैं, लेकिन वाहनों के लगातार चलने से काम प्रभावित हो रहा है। जहां भी बैरियर या डायवर्जन की पट्टिका लगाई जाती है उसे भी वाहन चालक तोड़ देते हैं या हटा देते हैं। कभी भी मशीनों व श्रमिकों से वाहनों के टकराने का अंदेशा रहता है, लेकिन वाहन चालक 150 की गति से नीचे नहीं चलते। एक और बड़ी चुनौती है डासना के पास। परतापुर से कुशलिया में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे तक यानी 29 किमी तक भले ही एक्सप्रेस-वे पर तेजी से चलने का मौका मिल जाता है, लेकिन कुशलिया में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे के पास दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे को पूरी तरह से बंद रखा गया है। ऐसे में वाहनों को चढ़ने या उतरने का विकल्प मिलता एक खतरनाक रास्ते से। ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे के ही किनारे डासना की ओर एक संकीर्ण व कच्चा रास्ता है। इसे तो रखा गया है कंपनी के डंपरों के लिए, लेकिन अब इसका उपयोग करने लगे हैं दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के वाहन। इस रास्ते पर धूल भी उड़ती रहती है जिससे वाहनों के टकराने का भी अंदेशा रहता है। एनएचएआइ के अधिकारी व कार्यदायी कंपनी के अधिकारियों के अनुसार गाजियाबाद पुलिस व प्रशासन को इस पर रोक लगाने की मांग रखी गई थी पर कोई समाधान नहीं हुआ।
एक्सप्रेस-वे पर कैट आइ लगाने का कार्य शुरू
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर कैट आइ लगाने का कार्य सोमवार से शुरू कर दिया गया। लेन को बांटने वाली सफेद पट्टी बनाने के बाद कैट आइ लगाई जाती है। डामर वाली परत पर यह अंतिम कार्य होता है। कुशलिया से इसकी शुरूआत की गई। कैट आइ सड़क दुर्घटना को रोकने में ज्यादा मदद करती हैं। दरअसल, एक्सप्रेस-वे हो या फिर हाईवे। इन पर अंधेरा रहता है, जबकि वाहनों की भीड़ रहती है। छह लेन का एक्सप्रेस-वे होने के नाते बराबर से तेज गति से वाहन चलते रहेंगे। वैसे तो सफेद पट्टी से लेन अलग किया गया है। सफेद पट्टी पर जब गाड़ी की रोशनी पड़ती है, तब सफेद पट्टी चमकने लगती है, लेकिन इसे भी पर्याप्त नहीं माना जाता। इसलिए कैट आइ भी लगाई जाती है। सफेद पट्टी के किनारे ही कैट आइ लगाई जाती है, ताकि लेन व डिवाइडर आदि का अंदाजा हो जाए। कैट आइ प्लास्टिक की छोटी सी डिब्बी की तरह होती है, जिसमें फाइबर कांच होता है। इस कांच की डिजाइन इस तरह से होती है कि जैसे ही उस पर वाहन की रोशनी पड़ती है वैसे ही वह चमक उठती है मानो जैसे उसमें से कोई बल्ब जल उठा हो।