घोसीपुर के जंगल में गोवध, भाजपाइयों में पनपा रोष
खरखौदा के गांव घोसीपुर के जंगल में गोवंशी तस्करों ने गोवध की घटना को अंजाम दे दिया। उधर भाजपा कार्यकर्ताओं ने रोष प्रकट करते हुए पुलिस से कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने बिना पशु चिकित्सा विभाग को सूचना दिए अवशेष दबा दिए।
मेरठ, जेएनएन। खरखौदा के गांव घोसीपुर के जंगल में गोवंशी तस्करों ने गोवध की घटना को अंजाम दे दिया। उधर, भाजपा कार्यकर्ताओं ने रोष प्रकट करते हुए पुलिस से कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने बिना पशु चिकित्सा विभाग को सूचना दिए अवशेष दबा दिए। पुलिस ने तहरीर न मिलने की बात कहकर मामले को दबाने में जुटी है।
घोसीपुर के जंगल में बुधवार को किसान खेतों पर जा हे थे। उन्होंने देखा कि गोवंश के कुछ अवशेष खेत में पड़े थे। सूचना पाकर भाजपा युवा मोर्चा के महानगर महामंत्री विनोद जाहिदपुर कार्यकर्ताओं के साथ पहुंच गए। उन्होंने पुलिस से कार्रवाई की मांग करते हुए घटना के राजफाश की मांग की। आरोप है कि पुलिस ने आश्वासन देकर बिना पशु चिकित्सा विभाग को सूचना दिए बिना अवशेषों को दबाकर मामले पर पर्दा डाल दिया। मौके पर मिले औजार कुल्हाड़ी, रस्सी और चाकू को पुलिस ने कब्जे में ले लिया। गोकुशी की घटना में चौकी प्रभारी सुखबीर सिंह ही पुलिसकर्मियों को लेकर पहुंचे। इंस्पेक्टर ने सुचना के बाद मौके पर जाना उचित नहीं समझा। इंस्पेक्टर संजय शर्मा का कहना है कि उन्हें मामले में कोई तहरीर नहीं मिली है। सूचना पर चौकी प्रभारी को भेजा गया था। वहां अवशेष न मिलने की बात कही है।
खरखौदा क्षेत्र बना गोवध का अड्डा : खरखौदा क्षेत्र गोवध का अड्डा बनता जा रहा है। पूर्व में कैली के जंगल में कई बार गोवध की घटना हुई है। गत दिनों बिजौली के जंगल में मिनी कमेला चलता मिला। जहां भाजपा कार्यकर्ता और पुलिस में तकरार भी हुई। लेकिन काफी दिन बीत जाने के बाद घटना का राजफाश नहीं हुआ। क्षेत्र में अन्य स्थानों पर गोवंश के अवशेष मिलने के मामले प्रकाश में आये है।
विधानसभा चुनाव में पड़ सकता है प्रभाव : लोगों की माने तो तत्कालीन सरकार में गोवध की घटना को लेकर भाजपा कार्यकर्ता मुद्दा बनाकर सड़क पर उतरते थे। लेकिन सरकार में आने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही है। जिसको लेकर कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता जा रहा है। भाजपा के एक बड़े नेता ने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि विपक्ष में होने पर भाजपाइयों की मांग पर पुलिस प्रशासन कार्रवाई करता था। आज पुलिस कार्यकर्ताओं पर हावी है।