पछुआ हवा : कोविड डेस्क तैरती रही, नब्ज डूब गई, भूल गए झूले और डिजिटल सावन जमके बरसे Meerut News
Jagran Special Column कोरोना की महामारी और बारिश की मार से बीच अस्पताल जिंदगी दम तोड़ गई। जरा-सी बारिश में जिला अस्पताल का कोविड हेल्प डेस्क पानी में तैरने लगा।
मेरठ, [संतोष शुक्ला]। कोरोना की महामारी और बारिश की मार से बीच अस्पताल जिंदगी दम तोड़ गई। जरा-सी बारिश में जिला अस्पताल का कोविड हेल्प डेस्क पानी में तैरने लगा। कोरोना की जांच कराने के लिए इस डेस्क तक पहुंचना जरूरी था। बारिश थमने के बावजूद कोविड हेल्प डेस्क पानी में तैरता हुआ ऐसा ढांचा बन गया था, जिस पर सिर्फ चींटे, मकडिय़ां और कीड़े-मकोड़े आसरा ले रहे थे। मेडिकल स्टाफ हेल्पडेस्क छोड़कर भाग खड़ा हुआ। एक मरीज को इस डेस्क से कोरोना जांच कराने की अनुमति लेनी थी, किंतु यहां पानी ही नहीं, अव्यवस्थाओं का भी सैलाब था। मरीज की तबीयत गंभीर होती गई। परिजनों ने सोचा कि जांच हो जाए तो भर्ती कराने में आसानी होगी। पानी में बहती गंदगी पास की दीवारों पर सफाई अपनाने के स्लोगन को चिढ़ा रही थी। अंतत:, मरीज की सांस उखडऩे के साथ नब्ज डूब गई।
भूल गए झूले, डिजिटल सावन जमके बरसे
प्रकृति का चक्र घूमता हुआ बादलों की चौखट पर पहुंच गया है। सावन में बादलों ने मल्हार भी गाया, लेकिन बागों से झूले अब गायब हो चुके हैं। चिडिय़ों की चहचहाहट के बीच गीतों की तान से ऊंचा महिलाओं का झूलना जैसे अब दूसरी दुनिया की बातें लगती हैं। वर्चुअल दुनिया पर तीज का त्योहार मनाया गया। महिलाओं ने हाथों में मेंहदी लगाई। हरी साड़ी भी पहनी, लेकिन हरी-भरी बगिया और पपीहे की बोली नदारद थी। कई लोगों ने अपने घर के परिसर में झूला भी डाला, किंतु यह भी महज सोशल साइटों तक पहुंचा। कोरोना की वजह से जहां निकलना भी नहीं हुआ, वहीं पूरा त्योहार वर्चुअल प्लेटफार्म पर आ गया। यहीं पर झूले लगे, और पूरी रस्में निभाई गईं। एक दूसरे को मोबाइल के पर्दे पर हाय-हैलो किया गया। गीत-संगीत के नाम पर कजरी की नई रचनाएं अंकुरित ही नहीं हुईं।
सियासी मैदान में फुटबाल बना खेल विवि
वेस्ट यूपी की तेज-तर्रार माटी में विश्वस्तरीय खिलाड़ी हुए। नई पीढ़ी में कई खिलाड़ी ओलंपिक में पदक जीतने की ललक के साथ मैदान में नजर आते हैं, लेकिन दुनिया के तमाम धुरंधरों को हराने वाले मेरठ की किस्मत सियासत के नेट में उलझकर हार जाती है। यहां पर एक खेल विवि की मांग को लेकर पहले तो जनप्रतिनिधियों ने कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। जब बात चल पड़ी तो तकरीबन सभी माननीय मैदान में उतर गए हैं। एक ने परतापुर कताई मिल की जमीन पर खेल विवि खोलने की मांग की तो दूसरे ने हस्तिनापुर में जमीन खोज निकाली। विवि की मांग को फुटबाल बनता देखकर पड़ोसी जिलों के राजनीतिज्ञ भी मैदान में उतर गए। उन्होंने मुजफ्फरनगर में खेल विवि खोलने की मांग तेज कर दी। अब गेंद मुख्यमंत्री के पाले में है। वो मेरठ में खेल विवि की जरूरत को मान चुके हैं।
व्यापार संघ की साख में भी सेंध
जिले की सियासत में व्यापार संघ ऐसा समानांतर संगठन रहा है, जिसकी हुंकार अधिकारियों की नींद उड़ा देती थी। संघ की शक्ति और विचारों में तालमेल इसकी ताकत थी। व्यापारियों के हितों को लेकर संघर्ष करने वाला व्यापार संघ वक्त के साथ भटक गया। इस साल तो व्यापार संघ की साख में भारी कमी आई। यह दो टुकड़ों में बंट गया, व्यापारियों की ताकत कमजोर हुई। हाल में एक बाहुबली को मेरठ से भगाने में व्यापार संघ के मुखिया का नाम उछला। उन्होंने पुलिस की मिलीभगत का पन्ना पलटा, जिसमें खुद ही फंस गए। आखिरकार संगठन की छवि पर सवालों की गाढ़ी स्याही चढ़ गई। पुलिस सख्त हुई तो संगठन की आवाज बदल गई, जबकि कभी यही संगठन न्याय की लड़ाई को लेकर पुलिस को घेर लेता था। अब संगठन के दो फाड़ ही नहीं हैं, बल्कि कई छोटे गुट एक दूसरे के आमने-सामने हैं।